आपदा को अवसर बनाकर कमाई करने वालों पर हो कार्रवाई: सैलजा
चंडीगढ़। कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान राज्य में आवश्यक साजो-सामान की खरीद में हुये कथित घोटालों की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से या स्वतंत्र आयोग गठित कर जांच कराने की मांग की है।
सैलजा ने मंगलवार को यहां जारी एक बयान में दावा किया कि मॉस्क, दवाएं, ऑक्सीमीटर की खरीद में घोटाले हुये हैं लेकिन इन्हें अंज़ाम देने वालों के खिलाफ आज तक न तो कोई जांच हुई और न ही कार्रवाई की गई। उन्होंने राज्य की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पर घोटाले में संलिप्त लोगों संरक्षण देने का आरोप लगाया। ऐसे में इन कथित घोटालों की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या एक स्वतंत्र आयोग गठित कर की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अपने स्तर पर कमेटी गठित कर जो भी जांच कराई , उसका किसी को कोई पता नहीं कि क्या हुआ। इसी तरह शराब घोटाले सहित अनेक घोटालों की जांच रिपोर्ट सरकार की अलमारी में बंद है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि ताजा घोटाला खानपुर कलां स्थित भगत फूल सिंह राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज में सामने आया है। एक आरटीआई में मिले जवाब के अनुसार हार्पिन इंजेक्शन और एन 95 मास्क सरकार द्वारा निर्धारित दरों के मुकाबले बाजार से कहीं अधिक दाम पर खरीदे गए। उन्होंने दावा किया कि प्रति हार्पिन इंजेक्शन का सरकार ने 16 रुपये दाम तय किया था लेकिन इसे 263 रुपये में खरीदा गया। इसी तरह एन 95 मास्क के दाम 125 रुपये निर्धारित किए गये थे तो 313 रुपये के हिसाब से खरीदे गये। उन्होंने कहा कि इससे पहले भिवानी स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑक्सीमीटर की खरीद का घोटाला सामने आ चुका है। इसमें 625 ऑक्सीमीटर की खरीद 1190 रुपये के हिसाब से की गई, जबकि उसी दौरान डीसी भिवानी ने 290 रुपये की दर से एक हजार ऑक्सीमीटर की खरीद की थी। इससे साफ है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने खरीद के नाम पर पैसे की बंदरबांट की। रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा पीजीआईएमएस और झज्जर के राष्ट्रीय केंसर संस्थान में भी कोरोनाकाल में किया गया इंजेक्शन खरीद घोटाला सामने आया था।
सैलजा ने दावा किया कि कोरोना महामारी को देखते हुये प्रदेश सरकार ने कोरोनिल किट खरीद के लिये बाबा रामदेव की कम्पनी को दो करोड़ 72 लाख रुपये का भुगतान कोरोना राहत कोष से कर दिया लेकिन सरकार को इसके एवज में कोई किट नहीं मिली। वहीं, पीजीआईएमएस रोहतक ने कोरोना के नाम पर महंगे दाम पर दवाएं खरीदीं लेकिन इनका वितरण नहीं किया गया। बाद में ये कालातीत हो गईं। इसी अस्पताल में 15 लाख रुपये से अधिक की कीमत के रेमडेसिवीर, एटोपोसाइड, मोनोक्लोनल एंटी बॉडीज आदि टीके कालातीत हो गये जबकि जनता इनके लिये मारी मारी फिर रही थी। उन्होंने आरोप लगाया कि पीजीआई रोहतक ने एन-95 मास्क और पीपीई किट की खरीदारी में भी बड़ा घोटाला किया। एक मास्क 280 रुपये का खरीदा गया , यह करोड़ों रुपये का घोटाला है। उन्होंने कहा कि कोरोना को आपदा में अवसर के तौर पर देखा गया। इसलिए उस समय स्वास्थ्य विभाग में हुई तमाम खरीद की जांच स्वतंत्र आयोग बनाकर कराई चाहिए ताकि, दोषियों को सबक सिखाया जा सके।