यूपी सदन में सहारनपुर मंडल से पहली बार जीतकर पहुंचे 6 MLA - जानिए कौन

यूपी सदन में सहारनपुर मंडल से पहली बार जीतकर पहुंचे 6 MLA - जानिए कौन

लखनऊ। यूपी के 2022 के विधानसभा चुनाव में वैसे तो भाजपा ने पूर्ण बहुमत हासिल कर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बना ली है, मगर 2022 के इस इलेक्शन में 403 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में 126 विधायक पहली बार विधानसभा में चुनकर गए हैं। इनमें से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मंडल की 16 विधानसभा सीटों पर 6 विधायक पहली बार चुनकर सदन में पहुंचे हैं। इनमें से तीन विधायक सहारनपुर जिले से तो शामली से दो और मुजफ्फरनगर जनपद से एक विधायक पहली बार विधानसभा में चुनकर पहुंचा है। कुल मिलाकर सहारनपुर मंडल की 16 विधानसभा सीटों में से 6 विधायक पहली बार विधानसभा में चुनकर गए हैं। इन 6 विधायकों में जहां राष्ट्रीय लोकदल के तीन, समाजवादी पार्टी के दो और भाजपा का एक विधायक शामिल है। कौन-कौन है, यह विधायक पढ़िए खोजी न्यूज़ की खबर ......

राष्ट्रीय लोकदल के तीन विधायक शामली सदर से प्रसन्न चौधरी, शामली की थानाभवन सीट से अशरफ अली खान और मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से चंदन चौहान राष्ट्रीय लोकदल के सिंबल पर चुनाव जीतकर पहुंचे हैं। वहीं समाजवादी पार्टी के टिकट पर सहारनपुर जनपद की बेहट विधानसभा सीट से उमर अली खान तो सहारनपुर देहात से आशु मलिक विजय हुए हैं। इसके साथ ही सहारनपुर जिले की ही नकुड विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर मुकेश चौधरी चुनाव जीते हैं।


बेहट से पहली बार विधायक बने उमर अली खान

मूल रूप से नकुड़ के रहने वाले उमर अली खान, सैयद अहमद बुखारी के दामाद हैं। एमबीए तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले 36 साल के उमर अली खान ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक नरेश सैनी को हराया है। नरेश सैनी भाजपा से पहले बेहट विधानसभा सीट से 2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा का दामन थामा तो उमर अली खान को समाजवादी पार्टी ने साइकिल के निशान पर चुनाव लड़ाया। चुनावी रण में उमर अली खान ने नरेश सैनी को हराकर पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कदम रखा है, हालांकि इससे पहले उमर अली खान को समाजवादी पार्टी ने एमएलसी भी बनाया था।


ब्लाक प्रमुख से विधायक बने मुकेश चौधरी

सहारनपुर जनपद की ही नकुड विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मुकेश चौधरी ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी और कद्दावर नेता धर्म सिंह सैनी को नजदीकी मुकाबले में हराकर पहली बार यूपी के सदन में कदम रखा है। 2006 में बलिया खेड़ी के ब्लाक प्रमुख बनने से अपना सियासी सफर शुरू करने वाले मुकेश चौधरी 2014 में सहारनपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भी चुनाव लड़े थे। 37 साल की उम्र के मुकेश चौधरी ने 2021 के पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ कर जीत हासिल की थी।


सहारनपुर देहात से विधायक बने है आशु मलिक

मुजफ्फरनगर जनपद के बहेड़ी गांव के मूल निवासी आशु मलिक ने अपने सियासी सफर की शुरुआत जनपद गाजियाबाद से की थी। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बेहद नजदीक माने जाने वाले आशु मलिक को जनवरी 2015 के विधान परिषद चुनाव में सपा ने अपना प्रत्याशी बनाकर उन्हें एमएलसी बनाया था। 2015 के पंचायत चुनाव में उन्होंने अपने भाई नूर हसन मलिक को गाजियाबाद से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया और जनवरी 2016 में जीत हासिल करने के बाद उन्होंने अपने भाई नूर हसन मलिक को गाजियाबाद जिला पंचायत का अध्यक्ष भी बनवाया था। समाजवादी पार्टी में सक्रिय रूप से काम करने वाले आशु मलिक 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सहारनपुर देहात विधानसभा सीट में एक्टिव होकर काम कर रहे थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी से टिकट मांगा तो सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट दिया। जिस पर आशु मलिक ने पहली बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सदन में जाने का काम किया है।


किला परिवार को फिर विधानसभा में ले गए अशरफ अली खान

49 साल के अशरफ अली खान जलालाबाद के प्रतिष्ठित किला परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य हैं। कक्षा बारहवीं तक पास अशरफ अली खान का परिवार राजनीतिक रूप से सक्रिय रहा है। पूर्व में इनके दादा भी विधायक रह चुके हैं। जलालाबाद के पूर्व चेयरमैन रहे अशरफ अली खान इस बार थानाभवन विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल और सपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे। उन्होंने लगातार दो बार से विधायक और भाजपा के फायरब्रांड नेता सुरेश राणा को हराकर पहली बार यूपी की विधानसभा में एंट्री की है।


बिजनेसमैन से विधायक बने है प्रसन्न चौधरी

7 साल पहले शामली जिले की सक्रिय राजनीति में शामिल होने वाले प्रसन्न चौधरी वैसे तो बिजनेसमैन है, लेकिन उन्होंने सियासत करने की ठानी तो 2015 में उन्होंने अपनी पत्नी संतोष देवी को बसपा के टिकट पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया और जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार होने के बावजूद भी प्रसन्न चौधरी ने अपनी पत्नी संतोष देवी को जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जितवा लिया था। उन्होंने दिग्गज नेता वीरेंद्र सिंह के बेटे मनीष चौहान की पत्नी शेफाली को चुनाव हराया था। 2017 में जब प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ तो प्रसन्न चौधरी भाजपा में शामिल हो गए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रसन्न चौधरी राष्ट्रीय लोकदल में शामिल होकर टिकट मांग रहे थे। राष्ट्रीय लोकदल हाईकमान ने उन पर भरोसा जताया तो प्रसन्न चौधरी ने भाजपा के निवर्तमान विधायक तेजेंद्र निर्वाल को एक बहुत बड़े अंतर से हराकर यूपी की विधानसभा में पहली बार दाखिल होने का काम किया है।


सियासत की तीसरी पीढ़ी के चंदन चौहान बने विधायक

33 साल के नौजवान चंदन चौहान अपने पिता पूर्व सांसद स्वर्गीय संजय चौहान की मृत्यु के बाद सियासत में सक्रिय हो गए थे। चंदन चौहान ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के नेतृत्व में काम करना शुरू किया तो 2012 के इलेक्शन में समाजवादी पार्टी ने खतौली विधानसभा सीट से चंदन चौहान को टिकट दिया लेकिन चंदन चौहान चुनाव हार गए। उसके बाद चंदन चौहान ने अपने परिवार की परंपरागत सीट मीरापुर पर सक्रिय होकर काम करना शुरू कर दिया। इस इलाके से चंदन चौहान के दादा चौधरी नारायण सिंह विधायक बनकर उपमुख्यमंत्री तक पहुंचे थे तो उनके पिता संजय चौहान जहां मोरना से विधायक रहे वहीं बिजनौर लोकसभा सीट से राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर वह सांसद भी बने थे। इसी क्षेत्र में चंदन चौहान भी सक्रिय हुए और 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा राष्ट्रीय लोकदल गठबंधन के तहत आरएलडी के सिंबल पर चंदन चौहान को चुनाव लड़ा गया तो चंदन चौहान ने भाजपा के प्रत्याशी प्रशांत चौधरी को चुनावी रण में पटकनी देते हुए पहली बार विधानसभा में अपना खाता खोला है।

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