लोजपा सिकमी किराएदार

लोजपा सिकमी किराएदार

बिहार की राजनीति के खेल में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अपने को मुख्य घटक समझ रही है लेकिन चुनाव में सीटों के बंटवारे के बारे में जो खबरें मिल रही हैं, उनसे पता चलता है कि लोजपा एक सिकमी किराएदार है। मकान मालिक से उसका सीधा सम्बन्ध नहीं बल्कि उसे एक किराएदार ने ही भाड़े पर रखा हुआ है। लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान इस बात से जरूर खुश हो सकते हैं कि उनकी पार्टी को जिस किराएदार ने सिकमी बनाया है, उसकी हैसियत मकान में सबसे बड़ी है। राज्य में विधानसभा चुनाव कग सरगर्मियां बढ़ती जा रही हैं। कोरोना वायरस की अब उतनी परवाह नहीं की जा रही है, जितना ध्यान चुनाव पर है। सत्तारूढ़ गठबन्धन में सीटों का बंटवारा कैसे होता है,इस पर चर्चा हो रही है। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, इस बात पर चर्चा तेज होती जा रही है कि किस गठबंधन के किस घटक दल को कितनी सीटें मिलेंगी। बिहार में एनडीए के अभी तीन घटक दल हैं- जेडीयू, बीजेपी और लोजपा। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के शामिल होने की अटकलों से ये बहस और रोचक हो गई है। विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच बात अब सीट बंटवारे की होने लगी है। एनडीए गठबंधन के दो महत्वपूर्ण घटक दल जनता दल युनाइटेड (जदयू) और भाजपा के बीच में सीटों के बंटवारे को लेकर 50-50 का फॉर्मूला बनाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो जिस घटक दल के सहयोगी दल हैं वो उनको अपने कोटे से निपटाए। जानकार भी मानते हैं इस फॉर्मूले पर बात चल रही है। हालांकि नेता इस पर कुछ भी खुलकर बोल नहीं रहे हैं। उनका कहना है कि शीर्ष नेतृत्व सबकुछ आसानी से तय कर लेगा। लोजपा को भाजपा के कोटे की पार्टी माना जा रहा है।

बिहार बीजेपी के नेता संजय पासवान पूर्व में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में पार्टी से विधान परिषद के सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए के बीच सीटों का बंटवारा लोकसभा चुनाव के आधार पर हो या फिर 50-50 का बंटवारा हो। इसके अलावा जो घटक दल हैं वो जिस पार्टी के साथ कंफर्टेबल हैं, वो उनको संतुष्ट करें। मसलन बीजेपी चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को अपने कोटे से संतुष्ट करें तो वहीं जेडीयू जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को अपने कोटे से संतुष्ट करे। यानी जेडीयू बीजेपी आधे-आधे सीटों का बंटवारा कर लें। संजय पासवान के इस फॉर्मूले को एनडीए के दोनों प्रमुख घटक दलों (बीजेपी-जेडीयू) के नेता नकारते नहीं हैं लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व इस बात को तय करेगा कि सीटों का बंटवारा किस फॉर्मूले के तहत होगा। हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नीतीश सरकार में मंत्री प्रेम कुमार कहते हैं कार्यकर्ताओं की भावनाओं का ख्याल जरूर रखा जाएगा। वहीं ,जेडीयू की प्रवक्ता अंजुम आरा कहती हैं कि सब कुछ बेहतर तरीके से हो जाएगा। जेडीयू और बीजेपी का नेचुरल अलाइंस है। बड़े नेता जब बैठेंगे तो सब ठीक हो जाएगा। बिहार की राजनीति पर नजर रखने वालों के मुताबिक बीजेपी और जनता दल युनाइटेड के बीच 50-50 फॉर्मूले के तहत बात बन सकती है। हालांकि 2015 की अपेक्षा 2020 में सियासी परिस्थितियां बदल चुकी हैं। जानकारों का भी मानना है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसने वाला है। लोकसभा चुनाव 2019 की परिस्थितियां अलग थीं लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव की परिस्थिति अलग है। पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे। इस बार वो एनडीए में हैं। अब फॉर्मूला आधे-आधे पर फिक्स हो सकता है। उन्होंने संजय पासवान के फॉर्मूले को सही ठहराया और कहा कि इस पर बात तय हो सकती है।

दरअसल जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है, इस बात पर चर्चा तेज होती जा रही है कि किस गठबंधन के किस घटक दल को कितनी सीटें मिलेंगी। बिहार में एनडीए के अभी तीन घटक दल हैं- जेडीयू, बीजेपी और एलजेपी मगर अब जीतन राम मांझी से जेडीयू की लगातार बातचीत हो रही है जिससे यह माना जा रहा है कि जीतन राम मांझी जल्द ही एनडीए के साथ आ जाएंगे। ऐसे में सीट बंटवारे में किस तरह का फॉर्मूला फिट बैठता है यह तो दलों के बड़े नेता बताएंगे. लेकिन फिलहाल जो कयास लग रहे हैं उसमें 50-50 का फॉर्मूला मजबूत दिख रहा है।। एनडीए में वापसी के संकेत के बीच जीतन राम मांझी ने बैठक स्थगित कर दी। दरअसल, जीतन राम मांझी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति पर चर्चा करने के लिए पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी समेत गैर राजग और गैर महागठबंधन दलों को निमंत्रित किया था।

पार्टी के सूत्रों ने बताया कि राजद नीत महागठबंधन से अलग होने के बाद मांझी जनता दल यूनाईटेड (जदयू), भाजपा और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ जाने पर निर्णय लेने से पहले विकल्पों का मूल्यांकन कर रहे थे।असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली एआईएमआईएम के साथ भी पहले बातचीत हुई थी। वर्ष 2019 के किशनगंज उपचुनाव को जीतने के बाद एआईएमआईएम सीमांचल क्षेत्र में बड़ी संख्या में उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है ।वैसे बैठक स्थगित करने का कोई कारण नहीं बताया गया है, लेकिन एचएएम के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाले जदयू के साथ उत्साहजनक बातचीत चल रही है तब ऐसी चर्चा में लग जाने का कोई तुक नहीं है। मांझी ने पिछले दिनों जब सीएम नीतीश कुमार से भेंट की थी, समझा जाता है कि दोनों के बीच सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई। अब लगता है कि भाजपा ने मांझी के राजग में लौट आने को हरी झंडी दे दी है। प्रदेश भाजपा प्रमुख संजय जायसवाल ने गत दिनों को कहा था कि जो भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास प्रकट करता है, उसका गठबंधन में स्वागत है।यही विश्वास लोजपा को सब कुछ वर्दाश्त करने को मजबूर करता है। (अषोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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