स्मृति - मुज़फ्फरनगर में सबके चचा चित्तो थे पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप

स्मृति - मुज़फ्फरनगर में सबके चचा चित्तो थे पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप

मुज़फ़्फ़रनगर। चचा चित्तो के नाम से पुकारे जाने वाले पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप की 5वीं पुण्यतिथि पर सपाइयों ने दी श्रद्धांजलि अर्पित कर उनसे जुड़े संस्मरण सुनाये । चितरंजन स्वरूप मुज़फ्फरनगर सदर विधानसभा सीट से तीन बार विधायक एंव दो बार मंत्री रह चुके थे ।अपनी व्यवहारिक कार्यशैली से सबको अपना बनाने वाले चितरंजन स्वरूप 19 अगस्त 2015 को बीमारी के बाद इस दुनिया से चले गए थे ।

समाजवादी पार्टी के लोकप्रिय नेता के रूप में शुमार पूर्व मंत्री स्व:चितरंजन स्वरूप की पांचवी पुण्यतिथि पर सपा कार्यालय पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा मे सपा नेताओं एंव कार्यकर्ताओ ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद त्यागी एडवोकेट व पूर्व विधायक अनिल कुमार ने उनको मुजफ्फरनगर की विकास की गाथा का अग्रणी नायक बताते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर की जनता के दिल मे उन्होंने अपनी सादगी व सहजता की आदत से अलग ही मुकाम बनाया था,समाजवादी पार्टी व मुजफ्फरनगर की जनता उनको कभी नही भूल सकती। सपा नेता राकेश शर्मा, सपा महानगर अध्यक्ष अलीम सिद्दीकी व सपा नेता बोबी त्यागी ने स्व:चितरंजन स्वरूप के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि नगर को विकास के पथ पर केवल चित्तरंजन स्वरूप ने पहुंचाकर विकास का रिकार्ड कायम किया । उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। सपा जिला मीडिया प्रभारी साजिद हसन, सपा जिला कोषाध्यक्ष सचिन अग्रवाल, सपा नेता शौकत अंसारी ने नगर के प्रत्येक क्षेत्र को आधुनिक विकास से जोड़ने नगर में प्रत्येक क्षेत्र को पूर्ण विधुतीकरण व अन्य विकास योजनाओं से जोड़ने का पूरा श्रेय स्व:पूर्व मंत्री चित्तरंजन स्वरूप को देते हुए कहा कि उनको विकास पुरुष के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। इस दौरान सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गौरव स्वरूप,पूर्व महानगर अध्यक्ष अंसार आढ़ती,नगर महामंत्री शलभ गुप्ता एडवोकेट,जयवीर सिंह बेनीवाल,सपा अल्पसंख्यक सभा जिलाध्यक्ष डॉ नूरहसन सलमानी,सपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष डॉ इसरार अलवी,सपा मजदूर सभा जिलाध्यक्ष नासिर राणा,शमशाद अहमद,जनार्दन विश्वकर्मा,अरविंद गोयल,सलमान त्यागी,वीरेंद्र तेजियांन,आशुतोश गुप्ता,शिव कुमार खटीक,बृजेश कुमार,टीटूपाल,,ताजीम,इकबाल अहमद,जावेद त्यागी,शाहिद अंसारी आदि मौजूद रहे।

सबको अपना बनाने की कला में माहिर थे चितरंजन स्वरूप

राजनीति चितरंजन स्वरूप को विरासत में मिली थी ,जिसे उन्होंने परवान चढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास सहित 11 विभागों के पूर्व राज्यमंत्री चित्तो चचा से मशहूर चितरंजन स्वरूप मुजफ्फरनगर समाजवादी पार्टी के दो बार जिलाध्यक्ष भी रह चुके थे । समाज के सभी वर्गो में उनकी व्यक्तिगत पकड़ हैं थी , अपनी पुश्तैनी परम्परा को उन्होंने अपने जीवन काल में हमेशा जिन्दा रखा था । चितरंजन स्वरूप मुजफ्फरनगर की सियासत का वों नाम था जिसका नाम आते ही एक सैक्यूलर लीडर का चेहरा सामने आ जाता हैं। एक बार जब समाजवादी पार्टी ने प्रदेश के सभी जिलाध्यक्षों को हटा दिया था तो राजनैतिक हल्कों में कयास लगाये जा रहे थे कि चितरंजन स्वरूप जैसे व्यवहार कुशल नेता का सपा मुखिया के दरबार में कद कम हो गया हैं , लेकिन जब अखिलेश यादव ने जिलाध्यक्षों की सूची जारी की तो मुजफ्फरनगर में उन्होंने चितरंजन स्वरूप में ही भरोसा जताया था । मुजफ्फरनगर समाजवादी पार्टी का पुनः जिलाध्यक्ष के बाद चित्तों चाचा के संगठन को मजबूत बनाने की मुहिम शुरू कर थी। गौरतलब है कि चितरंजन स्वरूप का परिवार हमेशा ही समाजसेवा में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। वर्ष 1967 मे मुजफ्फरनगर विधान क्षेत्र से अपने परिवार की समाज के सभी वर्गो मे मजबूत पकड के चलते चितरंजन स्वरूप के बडे भाई विष्णु स्वरूप निर्दलीय विधायक बन गये थे। इससे पहले वह नगर पालिका परिषद के सदस्य हुआ करते थे चेयरमैन बनाने मे इस परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी इसका कारण था यह परिवार गरीब एवं पीड़ित व्यक्ति की सहायता को सदैव तैयार रहता था। बडे भाई के राजनीति में होने से चितरंजन स्वरूप पर भी समाजसेवा के साथ राजनीति को धुन हो गई । वर्ष 1969 में चितरंजन स्वरूप को मुजफ्फरनगर शहर की कांग्रेस युवा इकाई का अध्यक्ष बनाया गया। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के बाद चितरंजन स्वरूप ने जनता की समस्याओं के निस्तारण में अग्रणी भूमिका निभाने शुरू कर दी। दो साल तक यूथ कांग्रेस में सक्रिय रूप से काम करने के बाद कांग्रेस ने उन्हें जिला कोषाध्यक्ष बना दिया। मात्र तीन वर्षों के राजनैतिक कैरियर मे ही चितरंजन स्वरूप ने कांग्रेस पार्टी और मुजफ्फरनगर की जनता में अपनी मजबूत पकड़ बनाई । वर्ष 1972 मे कांग्रेस हाई कमान ने उनकी सक्रियता को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी में स्थान दिया। दो साल तक कांग्रेस प्रदेश कमेटी मे रहकर पार्टी को मुजफ्फरनगर में मजबूत करने वाले चितरंजन स्वरूप को कांग्रेस हाई कमान ने वर्ष 1974 के विधानसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट से कांग्रेस टिकट दिया। इस चुनाव में चितरंजन स्वरूप का जात पात से ऊपर उठकर जनता की सेवा करना काम आया और मुजफ्फरनगर की जनता ने उन्हें जिताकर विधानसभा में भेज दिया था। लेकिन 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में विधानसभा चुनाव में हार गये। इसके बाद यह लगातार सामाजिक एवं राजनैतिक गतिविधियों से सक्रिय रहे। वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी एवं राष्ट्रीय कांग्रेस कमेंटी में काम करते रहे।


चितरंजन स्वरूप अपने समाजसेवा एवं राजनीति के क्षेत्र में सक्रियता के कारण हमेंशा जनता के सम्पर्क में रहे। कांग्रेस में बढती गुजबाजी से चितरंजन स्वरूप की कार्यशैली प्रभावित होती गयी इसी कारण उन्होने वर्ष 2000 के नगर पालिका परिषद के चुनाव के दौरान कांग्रेस छोडकर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया और सपा के टिकट पर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पर का चुनाव लडा लेकिन कुछ नेताओं की दगा के कारण मात्र 800 वोटो से हार गये । चुनाव हारने के बाद चितरंजन स्वरूप ने हिम्मत नहीं हारी और वह पूरी तरह से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव एवं सपा संगठन प्रति समर्पित रहे। वर्ष 2002 में प्रदेश में विधान सभा चुनावो की घोषणा हुई तो चितरंजन स्वरूप को टिकट देने का कारण स्पष्ट था कि वो ही भाजपा का गढ़ माना जाने वाली मुजफ्फरनगर विधान सभा सौट पर सपा की विजय पताका फहरा सकते थे क्योंकि चितरंजन स्वरूप को व्यापारी, मुस्लिम, पिछडे एवं सभी वर्गों में मजबूत पकड थी । इसी कारण इस चुनाव में अपनी विजय गाथा लिखने मे वह सफल रहे। विधायक बनने के बाद चितरंजन स्वरूप ने मुजफ्फनगर विधान सभा क्षेत्र ही नही बल्कि पूरे जनपद की जनता की समस्याए सुनना शुरू कर दी। उत्तर प्रदेश मे भाजपा के सहयोग से बसपा की सरकार बनने के बाद भी चितरंजन स्वरूप हिम्मत नहीं हारी और वह लगातार जनता की समस्याओ के निस्तारण मे अपनी भूमिका निभाते रहे। मायावती सरकार के पतन के बाद 2003 में जब उत्तर प्रदेश मे सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व मेे गठबंधन में सरकार बनी तो चितरंजन स्वरूप को पार्टी हाई कमान नजर अन्दाज नही कर सका और उन्हें व्यापार कर एवं निबंधन विभाग का राज्य मंत्री बना दिया । जब राज्य में मंत्रियों की संख्या घटायी गई तो चितरंजन स्वरूप भी उससे प्रभावित हो गये लेकिन चितरंजन स्वरूप की जनता में मजबूत पकड़ को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव नजर अंदाज नही कर पाये और उन्होंने चितरंजन स्वरूप को उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद जैसे महत्वपूर्ण विभाग का चेयरमैन बनाकर उन्हें फिर से लाल बस्ती से नवाज दिया था।

2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सपा ने फिर अपना उम्मीदवार बनाया और इस बार फिर चितरंजन स्वरूप विजयी रहे। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार बनी तो चितरंजन स्वरूप को इस बार नगर विकास, संसदीय कार्य मंत्री जैसे 11 विभागों का राज्य मंत्री बनाया गया । अपने इस कार्यकाल में उन्होंने मुज़फ्फरनगर में कई बड़े विकास कार्य कराये लेकिन इस दौरान उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा और 19 अगस्त 2015 को उनका स्वर्गवास हो गया ।

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