हरियाणा सरकार ने भी कांग्रेस पर कसा शिकंजा
लखनऊ। तीन अलग-अलग एजेंसियां करेंगी जांच केंद्रीय गृह मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से 8 जुलाई को एक ट्वीट कर कहा गया, 'केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालय कमेटी का गठन किया है, जो कि राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच करेगी। इस जांच में पीएमएलए एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, एफसीआरए एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच की जाएगी। कमेटी की अगुवाई ईडी के स्पेशल डायरेक्टर करेंगे। सूत्रों की मानें, तो ट्रस्ट से जुड़ी फंडिंग की जांच तीन अलग-अलग एजेंसियां करेंगी। इनमें सीबीआई की टीम एफसीआरए एक्ट के तहत मामले को जांचेगी, इसके अलावा ईडी की टीम पीएमएलए उल्लंघन की और आयकर विभाग टैक्स से जुड़े मामले की जांच करेगा।
भारतीय जनता पार्टी ने बीते दिनों राजीव गांधी फाउंडेशन के लेनदेन पर सवाल खड़े किए थे। पिछले कई दिनों ट्रस्ट की फंडिंग को लेकर काफी सियासी बवाल देखने को मिल रहा है। उसी के बाद अब हरियाणा सरकार ने गांधी-नेहरू परिवार की संपत्तियों की जांच का आदेश दे दिया है। राज्य के मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय विभाग को संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया है। दरअसल, आरोप है कि 2005 से 2010 के बीच गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर हरियाणा में कई संपत्तियां जुटाई गई थीं। हरियाणा में 2005 से 2014 के बीच भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी। आरोप है कि इस दौरान कांग्रेस के कई ट्रस्ट और गांधी-नेहरू परिवार के लिए कई संपत्तियां जुटाई गई थीं। कुछ संपत्तियों की पहले से जांच चल रही है। अब केंद्र सरकार के पत्र के बाद गांधी-नेहरू परिवार की बाकी संपत्तियों की जांच के आदेश दिए गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से हरियाणा सरकार को राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट से जुड़ी संपत्तियों की जांच का आदेश दिया गया है। इसके बाद मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग को जांच की जिम्मेदारी दी है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और प्रधानमंत्री राहत कोष से चंदा दिए जाने की खबरों के बाद केंद्र सरकार ने गांधी-नेहरू परिवार से जुड़े ट्रस्ट और फाउंडेशन की जांच का आदेश दिया था। राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच होनी है। इसके लिए एक कमेटी बना दी गई है। यह कमेटी राजीव गांधी फाउंडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की जांच करेगी, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी चंदा सहित कई कानूनों के कथित उल्लंघन के मामलों की जांच की जाएगी। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, टीम का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशालय के एक विशेष निदेशक करेंगे।
इस पूरे मामले पर गौर करें तो, दरअसल, विवाद तब शुरू हुआ जब भारत और चीन के बीच जारी विवाद के बीच कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर हमला शुरू किया तो भारतीय जनता पार्टी ने उल्टा कांग्रेस को घेर लिया। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की ओर से आरोप लगाया गया कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलती थी। इसके अलावा देश के लिए जो प्रधानमंत्री राहत कोष बनाया गया था, उससे भी यूपीए सरकार ने पैसा राजीव गांधी फाउंडेशन को दिया था। बीजेपी का आरोप था कि 2005-08 तक पीएमएनआरएफ की ओर से राजीव गांधी फाउंडेशन को ये राशि मिली थी। बता दें कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी कह चुके हैं ''चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए फंडिंग की है।'' कानून मंत्री ने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन ने पैसे दिए, कांग्रेस ये बताए कि ये प्रेम कैसे बढ़ गया, इनके कार्यकाल में ही चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया। एक कानून है जिसके तहत कोई भी पार्टी बिना सरकार की अनुमति के विदेश से पैसा नहीं ले सकती। कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी? उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए डोनर की सूची है 2005-06 की। इसमें चीन के एम्बेसी ने डोनेट किया ऐसा साफ लिखा है। ऐसा क्यों हुआ? क्या जरूरत पड़ी? इसमें कई उद्योगपतियों, पीएसयू का भी नाम है। क्या ये काफी नहीं था कि चीन एम्बेसी से भी रिश्वत लेनी पड़ी। उन्होंने दावा किया कि चीन से फाउंडेशन को 90 लाख की फंडिंग की गई।
हालांकि, जवाब में कांग्रेस ने इन सभी आरोपों को नकार दिया था और कहा था कि राजीव गांधी फाउंडेशन देश का फाउंडेशन है और इसका उपयोग देश सेवा के लिए किया जाता हैै कांग्रेस ने कहा था कि राजीव गांधी फाउंडेशन को साल 2005-06 में पीएमएनआरएफ से 20 लाख रुपये की मामूली धनराशि मिली थी, जिसका इस्तेमाल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में राहत कार्यों में खर्च किया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि पीएम मोदी को लगता है कि पूरी दुनिया उनके जैसी ही है। उन्हें लगता है हर किसी की कीमत होती है या डराया जा सकता है। वो कभी नहीं समझेंगे कि जो सच के लिए लड़ते हैं, उन्हें खरीदा और डराया नहीं जा सकता।
राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन को पूरा करने के लिए साल 1991 में की गई थी। फाउंडेशन की ऑफिशयिल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, साक्षरता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला और बाल विकास, निःशक्तजनों को सहायता, पंचायती राज संस्थाओं, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, और पुस्तकालयों सहित कई व्यापक मुद्दों पर काम किया है। फाउंडेशन ने साल 2011 में आगे बढ़ते हुए प्रमुख रूप से शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। इसके अलावा, फाउंडेशन ने पहले से ही चलाए जा रहे अपने प्रमुख कार्यक्रमों को जारी रखा है, जैसे- इंटरैक्ट (संघर्ष से प्रभावित बच्चों को शैक्षिक सहायता प्रदान करने का कार्यक्रम), राजीव गांधी एक्सेस टू ऑपॉर्च्युनिटीज कार्यक्रम (शारीरिक रूप से निशक्त युवाओं की गतिशीलता बढ़ाने का कार्यक्रम), राजीव गांधी कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप प्रोग्राम (मेधावी भारतीय छात्र-छात्राओं को कैंब्रिज में पढ़ने हेतु वित्तीय सहायता), प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (ग्राम गौरव कार्यक्रम को सहायता) और वंडरूम (बच्चों के लिए एक अभिनव पुस्तकालय को सहायता) इत्यादि। इस फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं। वहीं न्यासीगणों में डॉ. मनमोहन सिंह, पी. चिदंबरम, मोंटेक सिंह अहलूवालिया, सुमन दुबे, राहुल गांधी, डॉ. शेखर राहा, प्रो एम. एस. स्वामीनाथन, डॉ. अशोक गांगुली, संजीव गोयनका और प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम है।
(केशव कान्त कटारा-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)