भूपेंद्र चौधरी जन्मदिन विशेष - समर्पण भाव और साफ़ छवि से मिली सत्ता
लखनऊ। भूपेंद्र चौधरी सियासत में समर्पण के भाव से काम करते हैं यही वजह है कि जब संगठन में थे तो उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर संगठन को विस्तार दिया, अब सरकार में आने के बाद वह अपने विभाग की कायाकल्प करने में जुटे हुए हैं। तीन दशक के राजनीतिक सफर में बेदाग छवि कायम करने वाले उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायती राज विभाग के काबीना मंत्री के रूप में काम कर रहे भूपेंद्र चौधरी के जन्मदिन पर विशेष ।
30 जून 1966 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के गांव महेंद्री सिकंदरपुर में मध्यमवर्गीय किसान करण सिंह और शकुंतला देवी के घर में जन्म लेने वाले भूपेंद्र चौधरी की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। उसके बाद आर एन कॉलेज से इंटर करने के बाद उनका शैक्षिक सफर जारी रहा । 1989 में भूपेंद्र चौधरी कृषि उप कारक इंटर कॉलेज के प्रबंधक बनने के बाद आरएसएस के कार्यों एंव विचारों से प्रभावित होकर उसमें शामिल हो गए। आरएसएस में काम करते-करते हुए भूपेंद्र चौधरी ने 1991 में जब सूबे में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार थी, तब उन्होंने भाजपा में एंट्री कर काम करना शुरू कर दिया था ।
भूपेंद्र चौधरी के काम करने का ही अंदाज था कि 2 साल बाद वर्ष 1993 में उन्हें बीजेपी की जिला कार्यकारिणी में सदस्य बनाया गया । समाज सेवा को मकसद बना कर सियासत में आए भूपेंद्र चौधरी ने संगठन को मजबूत बनाने के लिए समर्पण भाव से काम करना शुरू कर दिया। 3 साल बाद 1996 में हाईकमान ने संगठन में उनकी जिम्मेदारी बढ़ाते हुए जिला कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष नियुक्त कर दिया। जैसे-जैसे भाजपा में भूपेंद्र चौधरी काम कर रहे थे वैसे वैसे संगठन उन को आगे बढ़ा रहा था। भूपेंद्र चौधरी का सांगठनिक कौशल ही था जो भाजपा कमान ने उन्हें 1998 में मुरादाबाद जिले की जिम्मेदारी देते हुए जिला अध्यक्ष का ताज उनके सर पर रख दिया था। जिला अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे भूपेंद्र चौधरी को भाजपा हाईकमान ने वर्ष 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव के सामने संभल लोकसभा सीट पर अपना प्रत्याशी बना दिया था। भूपेंद्र चौधरी ने चुनावी रण में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ डटकर चुनाव लड़ा , लेकिन वह हार गए ।
साफ छवि, संगठन के लिए ईमानदारी से काम और हाईकमान का विश्वास हासिल करने वाले भूपेंद्र चौधरी को भाजपा ने 2006 में पश्चिमी भाजपा का क्षेत्रीय मंत्री बना दिया था। 6 साल तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मंत्री के रूप में भूपेंद्र चौधरी ने मथ दिया था। जिले - जिले में वह संगठन को मजबूत करने का काम करते रहे। क्षेत्रीय मंत्री के रूप में काम करते हुए भूपेंद्र चौधरी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के जाट नेता के तौर पर अपनी पकड़ बना ली थी । जाटों में रालोद के प्रभाव वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अपनी पकड़ बनाने के लिए भूपेंद्र चौधरी को 2012 में पश्चिमी क्षेत्र का अध्यक्ष बना दिया। क्षेत्रीय अध्यक्ष के रूप में भूपेंद्र चौधरी ने हाईकमान के निर्देशन में संगठन को मजबूत बनाने का काम करना शुरू कर दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि के बल पर चुनावी ताल ठोक रही थी वहीं क्षेत्रीय अध्यक्ष के रूप में भूपेंद्र चौधरी ने भी जाटों को बीजेपी के पाले में लाने का काम किया था। यही दो कारण थे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने पहली बार विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ कर दिया था ।
क्षेत्रीय अध्यक्ष के रूप में 4 साल तक काम करने का इनाम देते हुए भाजपा ने वर्ष 2016 में उन्हें उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में भेज दिया था। 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो उन्हें योगी सरकार में पंचायती राज विभाग का राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। पंचायती राज विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में भूपेंद्र चौधरी ने जिस तरह संगठन में रहते हुए उसे मजबूत बनाने का काम किया था उसी तरह सरकार में आकर विभाग की कायाकल्प करने में जुट गए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन में उत्तर प्रदेश में ही 1.75 करोड़ शौचालय का निर्माण करा कर एक रिकॉर्ड कायम किया है। उनकी कार्यशैली ही थी उत्तर प्रदेश जैसा बड़ा सुबह खुले में शौच से मुक्त हो गया। बीते हरियाणा विधानसभा के चुनाव में भी भाजपा हाईकमान ने उनका सांगठनिक कौशल देखते हुए हरियाणा प्रदेश का चुनाव सह प्रभारी बनाया था।
घोटाले पर 12 अफसरों को निलंबित किया था मंत्री ने
उत्तर प्रदेश में पंचायती राज विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले की खुलासा होते ही पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी ने 12 अफसरों को निलंबित कर दिया था। मंत्री भूपेंद्र ने अधिकारियों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया था उन्होंने तत्कालीन पंचायत राज निदेशक आईएएस अफसर अनिल कुमार दमेले के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे। निलंबित होने वाले अफसरों में अपर निदेशक राजेन्द्र कुमार सिंह, मुख्य वित्त अधिकारी केशव सिंह, 6 एडीओ पंचायत को भी निलंबित किया गया। अपर निदेशक एस के पटेल, उप निदेशक गिरीश चन्द्र रजक के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए। इन सभी पर 14 वें वित्त आयोग में बड़े घोटाले के आरोप लगे हैं। गौरतलब है कि 699 करोड़ रुपए प्रदेश को मिले थे। इसमें से 107 करोड़ बिना आदेश के निकाल लिए गए थे। इस की जानकारी सामने आतेे ही जांच शुरू कर दी गई थी।