हरियाली तीज की पूर्व संध्या पर महिलाओं ने उठाया झूले का आनंद
शामली । सावन और हरियाली तीज का बहुत गहरा नाता है। किसी ऋतु और त्योहार का ऐसा संगम शायद ही देखने को मिले। स्त्री जीवन में इस संगम का बहुत महत्व है, जहां सावन की हरियाली हमारे भीतर नवऊर्जा का संचार करती है, वहीं हरियाली तीज का अपना एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। हरियाली तीज की पूर्व संध्या पर समाजसेविका रितु गोयल के आवास पर आयोजित कार्यक्रम में क्षेत्रीय विधायक तजेंद्र निर्वाल की पत्नी सीमा निर्वाल , विधुत विभाग के अधीक्षण अभियंता जे के पाल की पत्नी अर्चना सिंह समाजसेविका वीना अग्रवाल सहित अनेक महिलाओं ने झूले का आनंद उठाया।
हरियाली तीज का उत्सव प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है
बता दें कि हरियाली तीज का उत्सव प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। इसे महिलाओं का उत्सव माना गया है। सावन में जब सम्पूर्ण प्रकृति हरी चादर से आच्छादित होती है, तब महिलाओं के मन का मयूर नृत्य करने लगता हैं। पहले तो वृक्ष की शाखाओं में झूले पड़ जाते हैं, लेकिन अब इसका रूप बदल गया है। इस दिन महिलाये अपने हाथों, कलाइयों और पैरों आदि पर विभिन्न कलात्मक रीति से मेंहदी रचाती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं मेहँदी रचाने के पश्चात् अपने कुल की बुजुर्ग महिलाओं से आशीर्वाद लेना भी एक परम्परा है। इस उत्सव में कुमारी कन्याओं से लेकर विवाहित युवा और वृद्ध महिलाएं सम्मिलित होती हैं। नव विवाहित युवतियां प्रथम सावन में मायके आकर इस हरियाली तीज में सम्मिलित होने की परम्परा है। इस बार हरियाली तीज का शुभ मुहुर्त आज 3 अगस्त की सुबह 7 बजकर 6 मिनट से आरम्भ होकर कल 4 अगस्त की सुबह 3 बजकर 36 मिनट तक रहेगा।
हरियाली तीज पर माता पार्वती सैकड़ों वर्षों की साधना के पश्चात् भगवान् शिव से मिली थीं
इस अवसर पर रितु गोयल ने बताया कि इस दिन माता पार्वती सैकड़ों वर्षों की साधना के पश्चात् भगवान् शिव से मिली थीं। उन्होंने बताया कि यह भी कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया फिर भी माता को पति के रूप में शिव प्राप्त न हो सके। 108 वीं बार माता पार्वती ने जब जन्म लिया तब श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीय को भगवन शिव पति रूप में प्राप्त हो सके थे, तभी से इस व्रत का प्रारम्भ हुआ था।
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