चुनौतियों से किया संघर्ष- इंस्पेक्टर योगेश को मिला अनुभव

मुजफ्फरनगर। पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए दिन-रात कार्य करती है, यहां तक कि समय पड़ने पर अपनी जान की बाजी तक लगा देती है। ऐसे अनेक पुलिस कर्मी हैं, जो कर्तव्य पथ पर शहीद हो चुके हैं। हर हाल में कानून व्यवस्था बनाना, पुलिस का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य होता है। अपराधियों से जब पुलिस की मुठभेड़ होती है, तो पता नहीं, गोली किसको लगेगी, लेकिन अंजाम की परवाह किये बिना पुलिस बदमाशों का मुकाबला करती है। इसके अलावा समय-समय पर अनेक चुनौतियां पुलिस की राह में आती है, जिसका वह बिना थके निर्वहन करती है। ऐसे ही एक पुलिस अफसर हैं, मुज़फ्फरनगर शहर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक योगेश शर्मा।

वे अपनी ड्यूटी के प्रति लगनशील, कर्तव्य के प्रति निष्ठावान हैं। अपराधी उनके नाम से ही थर्र-थर्र कांपते हैं। उनके अब तक के कार्यकाल में सबसे बड़ी चुनौती वर्ष 2013 में हुए दंगे थे। इस दौरान कानून एवं शांति व्यवस्था बनाये रखना बेहद मुश्किल था, लेकिन उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ चुनौती को स्वीकार करते हुए कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए कठिन परिश्रम किया। इसके बाद लाॅकडाउन एक बहुत बड़ी चुनौती बनकर उनके सामने आया, जिसकी पहले कभी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। इस समय गरीबों तक भोजन पहुंचाना, लाॅकडाउन का पालन कराना, कोरोना के निर्देशों से लोगों को अवगत कराना, आदि बड़ी चुनौतियों का उन्होंने बखूबी सामना किया। खुद भी कोरोना से बचना था, अधीनस्थ पुलिस कर्मियों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना था और नागरिकों को भी कोरोना न हो, ऐसी व्यवस्था करना, बहुत कठिन कार्य था। इन्हीं सभी कठिन परिस्थितियों में उन्होंने परिवार वालों से दूर रहकर ड्यूटी को अंजाम दिया। इंस्पेक्टर योगेश शर्मा के व्यक्तित्व पर खोजी न्यूज की स्पेशल स्टोरी.....

हाल ही में शहर कोतवाली का कार्यभार संभालने वाले इंस्पेक्टर योगेश शर्मा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के निवासी हैं। उनके पिता ट्रेजरी में कार्यरत थे। इंस्पेक्टर योगेश शर्मा ने खोजी न्यूज की टीम को बताया कि बचपन से ही उनका सपना पुलिस अफसर बनकर देश की सेवा करना था। पुलिस विभाग में वे इसलिए आना चाहते थे, क्योंकि वह समाज के लिए कुछ अलग करने की चाह रखते हैं। पीड़ितों को हर हालत में न्याय दिलाना उनकी प्राथमिकताओं में से एक है। इसलिए उन्होंने पुलिस विभाग को चुना और उसकी तैयारी करने में जुट गये थे।
इसी के चलते उन्होंने कठिन परिश्रम किया और उत्तर प्रदेश पुलिस की परीक्षा को उत्तीर्ण कर अपने लक्ष्य को हासिल करने में कामयाब हुए। इंस्पेक्टर योगेश शर्मा ने बताया कि वैसे तो उनके सभी बड़े पुलिस अफसर उनके आदर्श हैं, लेकिन उनकी सबसे बड़ी आदर्श भारतीय पुलिस सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, भूतपूर्व टैनिस खिलाड़ी एवं राजनेता किरण बेदी हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें पुलिस सर्विस में लगभग 20 साल हो गये हैं।
इंस्पेक्टर योगेश शर्मा के सामने इन सालों में रोज ही चुनौतियां आई और उन्होंने उनका सामना भी किया, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने वर्ष 2013 में हुए दंगे में कानून व्यवस्था को बनाए रखने की थी। उस दौरान इंस्पेक्टर योगेश शर्मा जनपद बिजनौर के थाना किरतपुर के प्रभारी थे।

2013 के दंगो के दौरान पुलिस के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती कानून व्यवस्था को बनाए रखने की थी और 'हर पल हर लम्हा' यही प्रयास था कि किसी भी हालत में हिंसा न हो सके। कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर दिया। न नाश्ते का टाईम था और न ही डिनर का वक्त मिलता था, सिर्फ एक ही लक्ष्य होता था कि क्षेत्र में शांति कायम रहे। उन्होंने बताया कि उन्हें इस दौरान बहुत से अनुभव मिले।
इंस्पेक्टर योगेश शर्मा ने बताया कि उनकी दूसरी चुनौती लाॅकडाउन रही है। उस वक्त वे नई मंडी कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक थे। कोरोना महामारी के चलते प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च के आखिरी सप्ताह में लाॅकडाउन कर दिया था। इस दौर में, जो गरीब तबके के लोग थे, तो उन्हें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे समय में उन्होंने शपथ ली थी कि वे प्रत्येक जरूरतमंद तक राशन पहुंचायेंगे। लाॅकडाउन में डाॅक्टर के बाद पुलिसकर्मियों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी। एक तरह से देखा जाये तो डाॅक्टर से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों के लिये लाॅकडाउन चुनौतियों से भरा हुआ था। पुलिसकर्मी एवं पुलिस अधिकारी अपनी जान की परवाह न कर लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिये ड्यूटी को अंजाम देने में जुटे हुए थे। एक तरह से देखा जाये तो पुलिसकर्मी और पुलिस अफसर के लिये लाॅकडाउन में एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां थीं। किसी व्यक्ति को भूखा न सोने देना, बाहर से आने वाले व्यक्ति की सूचना रखना और फिर उनका कोरोना टेस्ट कराना, परिवार से न मिलना, खुद को सुरक्षित रखना, ऐसी ही अनेक चुनौतियां थीं। इंस्पेक्टर योगेश शर्मा ने ऐसे समय में जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाया। इन परिस्थितियों में भी जो दुकानदार लाॅकडाउन का लाभ उठाते नागरिकों को लूटने का कार्य कर रहे थे, उनके खिलाफ कार्रवाई की। बेवजह घूम रहे या बिना मास्क लगाये हुए घूम रहे लोगों को नसीहत दी गई, उनके चालान काटे गये।
वहीं इंस्पेक्टर योगेश शर्मा ने बताया कि वे नशे से बहुत दूर हैं। उन्होंने आज तक किसी भी प्रकार का कोई नशा नहीं किया है। आज का युवा नशे की दलदल में पड़ रहा है। ऐसे में वह अपने भविष्य को ही बर्बाद कर रहा है। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि वे नशे की दलदल में न पड़े। नशे में अंधकार के अलावा और कुछ भी नहीं है। उन्होंने युवाओं से अच्छी शिक्षा, अच्छे संस्कार ग्रहण कर अपना तथा अपने परिवार का नाम रोशन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नशे से सिर्फ और सिर्फ बर्बाद के द्वार खुलते हैं, इसलिए इस ओर कभी भी रुख न करें।