समाजसेवा को माना धर्म- स्वागत में खुद जल लेकर आ जाते हैं राकेश शर्मा

समाजसेवा को माना धर्म- स्वागत में खुद जल लेकर आ जाते हैं राकेश शर्मा

मुजफ्फरनगर। दिल में हमने ठान लिया है।

जीवन का मकसद जान लिया है।।

मानवता को पहचान लिया है।

समाजसेवा ही धर्म हमने मान लिया है।।

यह शायरी वरिष्ठ सपा नेता राकेश शर्मा पर सटीक बैठ रही है। कोई भी व्यक्ति जब सियासत की पटरी पर चलने की शुरूआत करता है तो वह एक सामान्य व्यक्ति होता है। आमतौर पर देखा गया है कि सियासत में कदम पसारने के कुछ दिनों बाद उसका मूड चेंज हो जाता है। वह जनता को अपने सामने कुछ नहीं समझता है। जब उनके घर जनता अपनी फरियाद लेकर जाती है तो उसे चाय-पानी के लिये भी नहीं पूछा जाता है। लेकिन चुनावी चर्चा चरम पर आते ही उसे जनता याद आ जाती है और दरवाजे पर जनता के आने पर उनसे चाय-पानी के साथ-साथ खाना की इच्छा भी पूछी जाती है और घर के लोगों के स्वास्थ्य की जानकारी भी ली जाती है। जनता से काम निकलते ही उनके काम में झोल आ जाता है और जनता की समस्याएं फिर ज्यों की त्यों ही रह जाती है। नेता का व्यवहार जनता के साथ ऐसा हो जाता है जैसे वह उसे जानता ही न हो। दरवाजे पर पहुंचने वाले व्यक्ति को नेताजी को याद दिलाना पड़ता है कि उसने उनके चुनाव में फलाह-फलाह काम करते हुए अमुक क्षेत्र से इतने वोट दिलवाये हैं। लेकिन कुछ नेताओं का व्यवहार ऐसा होता है कि चुनाव के समय ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी उन्हें जनता की शक्लों और सूरत इस तरह याद होती है कि जैसे वह कल ही उनसे मिले हों ऐसे ही कुशल व्यवहार नेताओं में वरिष्ठ सपा नेता एवं सदर विधानसभा सीट से प्रत्याशी के दावेदार राकेश शर्मा का नाम लिया जा सकता है।

राकेश शर्मा के जब कोई घर जाता है तो उनका नौकर अगर घर पर नहीं है तो वह खुद ट्रे में पानी के गिलास खुद रखकर उनका स्वागत करते हैं। उसके बाद आंगुतक की परेशानी ज्ञात कर उसे दूर करने का हर संभव प्रयास करते हैं। लोगों को भी उनसे इतनी आशाएं हैं कि वह चाहे छोटी या बड़ी अपनी उस समस्या के समाधान के लिये सपा नेता राकेश शर्मा के पास ऐसे पहुंच जाते है जैसे वह उनके अत्यधिक नजदीकी हों। सपा नेता की यह एक खासियत ही कही जायेगी कि जिससे वह एक बार मिल लेते हैं उसका चेहरा वर्षों तक याद रखते हैं, भले ही एक मर्तबा उनसे मिले व्यक्ति का उन्हें नाम न पता हो। परंतु उसकी सूरत जरूर याद रखते हैं, जिसके चलते वर्षों बाद मिलने पर भी उस व्यक्ति को यह अहसास होता है कि सपा नेता राकेश शर्मा आज भी उस व्यक्ति को अच्छी तरह जानते हैं।

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