कपिलदेव ने रचा इतिहास - भाजपा और खुद की लगाईं हैट्रिक

कपिलदेव ने रचा इतिहास - भाजपा और खुद की लगाईं हैट्रिक

मुजफ्फरनगर। सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में लगातार तीसरी बार विधानसभा का चुनाव जीतकर कपिल देव अग्रवाल ने इतिहास रच दिया है। 1952 में अस्तित्व में आई सदर विधानसभा सीट पर कोई भी प्रत्याशी लगातार तीन बार नहीं जीत पाया है और ना ही कोई भी राजनीतिक पार्टी 1962 के बाद इस सीट पर लगातार हैट्रिक नहीं लगा पाई है। लेकिन अब 2022 विधानसभा चुनाव में कपिल देव अग्रवाल ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में सौरव स्वरूप को हराकर सदर विधानसभा सीट पर विधानसभा सीट के 70 साल के इतिहास में लगातार हैट्रिक लगाकर एक नया इतिहास रच दिया है।

1952 से 1962 तक कांग्रेस जरूर लगातार तीन बार जीती, लेकिन दो बार द्वारका प्रसाद मित्तल एवं 1962 में तीसरी बार केशव गुप्ता कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जीते थे। कपिल देव अग्रवाल ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर लगातार तीन बार जीत कर सदर विधानसभा सीट पर इतिहास रच दिया है।

गौरतलब है कि साल 1952 में पहली बार मुजफ्फरनगर सदर विधानसभा सीट पर चुनाव हुआ तो कांग्रेस के टिकट पर द्वारका प्रसाद मित्तल एडवोकेट ने 1952 और 1957 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1962 के चुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी बदलते हुए केशव गुप्ता को चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की। चौथी विधानसभा के चुनाव में 1967 में विष्णु स्वरूप ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके बाद पांचवीं विधानसभा के लिए भारतीय क्रांति दल के टिकट पर सईद मुर्तजा चुनाव लड़े और 1969 में उन्हें जीत हासिल हुई। 1974 में कांग्रेस के टिकट पर चितरंजन स्वरूप इलेक्शन में आए तो उन्हें भी जनता ने जीता कर विधानसभा में भेज दिया था। अगली बार फिर मुजफ्फरनगर सदर की जनता ने अपना विधायक 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर आई श्रीमती मालती शर्मा को चुना था।


इसके बाद 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में विद्याभूषण ने कांग्रेस के टिकट पर सदर सीट से चुनाव जीता और सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने थे। अगली बार फिर कांग्रेस ही सदर सीट पर चुनाव जीती मगर इस बार प्रत्याशी चारुशीला अग्रवाल थी। 1989 में फिर सदर विधानसभा की जनता ने पार्टी और विधायक दोनों बदल दिए। इस बार जनता दल के टिकट पर लड़े सोमांश प्रकाश को मुजफ्फरनगर की जनता ने विधानसभा में चुनकर भेजा था। इसके बाद राम मंदिर की लहर में 1991 में भाजपा के टिकट पर सुरेश संगल चुनाव जीते और दूसरी बार उन्होंने फिर से 1993 में भाजपा के टिकट पर जीत हासिल कर की थी। 1996 में भाजपा ने सुरेश संगल पर दांव ना लगाकर इस बार श्रीमती सुशीला अग्रवाल को टिकट दिया और वह भी चुनाव जीत गई।

जिस तरह साल 1952, 1957 और 1962 में दो बार भाजपा दो बार कांग्रेस के द्वारका प्रसाद मित्तल और केशव गुप्ता जीते थे, उसी तरह साल 1991, 1993 और 1996 में तीन बार भाजपा लगातार तीसरी बार चुनाव जीती थी। भाजपा ने इस सीट पर हैट्रिक जरूर लगाई थी मगर प्रत्याशी अलग अलग थे।साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने चितरंजन स्वरूप को टिकट दिया तो उन्होंने भाजपा के विजय रथ को रोक कर चुनाव जीत लिया था। अगली बार फिर 2007 में भाजपा ने अशोक कुमार कंसल पर दांव लगाया और उन्होंने जीत हासिल कर चितरंजन स्वरूप के विजय रथ को रोका। इसके बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में फिर सदर की जनता ने चितरंजन स्वरूप को चुनाव जीता कर भेजा था । इस बीच पूर्व मंत्री चितरंजन स्वरूप के निधन से खाली हुई सदर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की सरकार में उपचुनाव हुआ। इसमें भाजपा ने कपिल देव अग्रवाल पर दांव लगाया। भारतीय जनता पार्टी के सिंबल पर कपिल देव ने जीत हासिल की। 2017 के विधानसभा चुनाव में कपिल देव अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी के गौरव स्वरूप को हराकर लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर कांग्रेस के द्वारका प्रसाद मित्तल और भाजपा के सुरेश संगल के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली थी, लेकिन अब 2022 विधानसभा चुनाव में कपिल देव अग्रवाल ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में सौरव स्वरूप को हराकर सदर विधानसभा सीट पर विधानसभा सीट के 70 साल के इतिहास में लगातार हैट्रिक लगाकर एक नया इतिहास रच दिया है।

Next Story
epmty
epmty
Top