जन्मदिन विशेष - संगठन को समर्पण से मिला तीरथ सिंह को CM का पद

जन्मदिन विशेष - संगठन को समर्पण से मिला तीरथ सिंह को CM का पद

देहरादून। तीरथ सिंह रावत ने 10वें मुख्यमंत्री के रूप में 10 मार्च 2021 को शपथ ली। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत बचपन से ही शर्मीले स्वाभाव के व्यक्ति थे। उनके परिवार को यह भी चिंता रहती थी कि तीरथ सिंह रावत भविष्य में कुछ कर भी पायेगा या नहीं। सियासत में मिली सफलता ने सबकी सोच बदल दी। तीरथ सिंह रावत 15 साल के लगभग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे। 1996 में उन्होंने भाजपा को ज्वाईन किया था। उन्होंने बीसी खडूरी का अपना राजनीति गुरू मानते हुए तीरथ सिंह रावत ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के जन्मदिन पर पेश है खोजी न्यूज की विशेष स्टोरी.....

तीरथ सिंह का जन्म 9 अप्रैल 1964 को सीरो, पट्टी असवालस्यूं पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ था। उनके पिता कलम सिंह रावत थे। तीरथ सिंह के पिता रेवले में फिटर मैन के रूप में कार्यरत थे। उनकी माता का नाम गौरी देवी है। तीरथ सिंह रावत अपने पिता के 6 पुत्र हैं। तीरथ सिंह अपने भाईयों में सबसे छोटे हैं। उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय से हासिल की। उसके बाद उन्होंने श्रीनगर गढ़वाल के बिरजा काॅलेज से आगे की पढ़ाई की। तीरथ सिंह रावत जब 20 साल के थे, तब से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक बन गये थे। उनका पत्नी का नाम रश्मी त्यागी रावत है और वह देहरादून के डीएवी काॅलेज में एसोसिएट प्रोफेसर है। तीरथ सिंह रावत की बेटी का नाम आकांक्षा है।


तीरथ सिंह रावत भारतीय जनता पार्टी से सम्बन्धित राजनीतिज्ञ है। तीरथ सिंह रावत वर्ष 1983 से 1998 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक रहे, भारतीय विद्यार्थी परिषद (उत्तराखंड) के संगठन मंत्री एवं राष्ट्रीय मंत्री रहे। हेमवती नंदन गढ़वाल विश्व विधालय में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे। भारतीय जनता युवा मोर्चा (उत्तर प्रदेश) के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 1997 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य निर्वाचित हुए तथा विधान परिषद् में विनिश्चय संकलन समिति के अध्यक्ष बनाये गए। वर्ष 2000 में नवगठित उत्तराखण्ड के प्रथम शिक्षा मंत्री चुने गए थे।

इसके बाद 2007 में भारतीय जनता पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश महामंत्री चुने गए तत्पश्चात प्रदेश चुनाव अधिकारी तथा प्रदेश सदस्यता प्रमुख रहे। 2013 उत्तराखण्ड दैवीय आपदा प्रबन्धन सलाहकार समिति के अध्यक्ष रहे, वर्ष 2012 में चैबटाखाल विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए और वर्ष 2013 में उत्तराखण्ड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बने। त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड मुख्यमंत्री के पद के लिये चुना। तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के 10वें सीएम है। उन्होंने 10 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। भाजपा ने तीरथ सिंह पर विश्वास करते हुए 17वें लोकसभा चुनाव में गढ़वाल सीट पर टिकट दिया था। इस लोकसभा चुनाव में तीरथ सिंह रावत का काफी वोटों से जीत हासिल हुई थी। इन्होंने अपने प्रतिद्धंदी कांग्रेस के मनीष खडूरी को 2,85,003 से अधिक वोटो से मात दी थी।


17वें लोकसभा चुनाव में एक तरफ बसीसी खडूरी के पुत्र मनीष और दूसरी और उनके शिष्य तीरथ सिंह रावत चुनावी मैदान में थे। उनके शिष्य तीरथ सिंह रावत भाजपा प्रत्याशी के रूप मे चुनाव लड़ रहे थे और उनका पुत्र मनीष खडूरी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ रहा था। तीरथ सिंह रावत के टिकट के लिये बीसी खडूरी ने पैरवी की, जबकि दूसरा धड़ा सुरेन्द्र नेगी के पक्ष में था। इस सीट पर भाजपा ने तीरथ सिंह रावत को अपना प्रत्याशी बनाकर उतारा था।

तीरथ सिंह रावत और उनके राजनीति के गुरू बीसी खडूरी का एक संस्करण ऐसा है जो भूलाया नहीं जा सकता है। गौरतलब है तीरथ सिंह रावत और उनके राजनीति के गुरू बीसी खडूरी के करीब आने की कहानी वर्ष 1996 की है। वर्ष 1996 में जब भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बीसी खडूरी का विरोध हुआ, तो तीरथ सिंह रावत आंदोलकारियों से भिड़ गये थे। राज्य आंदोलनकारी चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक नेता बीसी खंडूडी का विरोध कर रहे थे। नामांकन के दौरान बीसी खडूरी को आंदोलनकारियों ने घेरने की कोशिश की, तो तीरथ सिंह रावत उनका सहारा बन गये और तीरथ सिंह रावत पूरे चुनाव में बीसी खडूरी के साथ रहे। बीसी खंडूडी अपने राजनीतिक जीवन में पांच बार लोकसभा रहे। चार चुनाव में उनके संयोजक तीरथ सिंह रावत ही रहे।







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