जन्मदिन विशेष - BJP में इलेक्शन मैनेजमेंट के मास्टर है सुनील बंसल

जन्मदिन विशेष - BJP में इलेक्शन मैनेजमेंट के मास्टर है सुनील बंसल

लखनऊ। 30 साल पहले आरएसएस से नाता ऐसा जुड़ा कि समर्पण भाव से काम करते-करते वह एक मुकाम तक आ पहुंचे। सियासी तड़क-भड़क से दूर रहते हुए उन्होंने अपने सांगठनिक कौशल से भाजपा संगठन को यूपी में प्रभावशाली बनाए रखा।वर्तमान में गृहमंत्री अमित शाह के सानिध्य में सब कुछ सीख उसे धरातल पर उतार कर उन्होंने साबित किया कि वह वर्तमान में यूपी भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य हैं। अपने सरल स्वभाव से कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय उत्तर प्रदेश में भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल के जन्मदिन पर विशेष......

राजस्थान प्रदेश के कोटपुतली गांव में 20 सितंबर 1969 में जन्मे सुनील बंसल अपने जन्म के ठीक 20 साल बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी में जनरल सेक्रेटरी यानी महामंत्री का चुनाव लड़ रहे थे । 20 साल की उम्र में छात्र राजनीति की चुनावी जंग में उतरने वाले सुनील बंसल ने पहले ही चुनाव में अपने चुनावी मैनेजमेंट से जीत हासिल कर ली थी। इस जीत ने ही उनको संगठन एवं चुनावी प्रबंधन सिखा दिया था। 1 साल बाद वरिष्ठ भाजपा नेता जब लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर निर्माण को लिए रथ यात्रा लेकर निकले थे तो सुनील बंसल तब आरएसएस के प्रचारक बन चुके थे।साल 1990 से संघ में काम करने करते सुनील बंसल उसी में रम गए। 2010 में यूथ अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर काम करने के बाद अचानक 2014 में जब लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने शुरू हुई और अमित शाह को उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रभारी बनाया गया तो उनके सहयोगी के तौर पर सुनील बंसल का नाम सामने आया था। तब राजनैतिक हलकों में चर्चा थी कि अमित शाह के सहयोगी बनाए गए सुनील बंसल कौन है ।


वर्तमान में गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशन में सुनील बंसल लखनऊ आ गए और उन्होंने बीजेपी दफ्तर के एक कमरे को अपना वार रूम बना लिया। अमित शाह यूपी के सियासी गुणा भाग को समझ रहे थे तो भी सुनील बंसल उनके राइट हैंड बन कर भाजपा को जिताने के लिए संगठन को सशक्त बनाने के लिए रणनीति बनाने में जुट गए। अपने रूम कम दफ्तर में सुनील बंसल एक आईपैड, मोबाइल, टेलीफोन एवं टीवी के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं एवं विपक्षी दलों की कार्यशैली पर नजर गड़ाए हुए थे। अमित शाह के राजनीतिक कौशल और सुनील बंसल के सहयोग का ही नतीजा था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने करिश्माई नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश तो जीता ही उत्तर प्रदेश में भी विपक्ष का सूपड़ा साफ करते हुए 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें जीत संदेश दे दिया था कि आगे और भी बदलाव होगा।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री रह चुके सुनील बंसल की संगठन पर पकड़ एवं लोकसभा चुनाव में यूपी में उनका काम देख चुके हाईकमान ने उन्हें उत्तर प्रदेश में भाजपा का महामंत्री संगठन राकेश जैन के स्थान पर बना दिया। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश को पूरी तरह मथ चुके सुनील बंसल ने पहले ही दिन से मिशन 2017 को अपना लक्ष्य बना लिया था , तब भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उन पर पूरा भरोसा करते थे। कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रिय हो चुके सुनील बंसल ने अलग-अलग टीमें बनाकर विधानसभा सीट स्तर पर काम शुरू कर दिया था । उनसे जुड़े सूत्रों का कहना है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में एक एक विधानसभा सीट पर तीन तीन टीम भेजी । वो इनसे फीडबैक लेते थे, जहां कमी दिखाई पड़ती थी तो स्थानीय स्तर पर उस में व्यापक सुधार कराते थे। सुनील बंसल ने अमित शाह के नेतृत्व में उन जातियों को भाजपा से जोड़ने की मुहीम चलाई जो भाजपा को वोट नहीं करती थी। इधर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पारिवारिक कलह में उलझ रही थी उधर भाजपा अपनी कमियों को सुधारने में जुटी थी। नतीजा आया तो भाजपा ने 312 सीटें लेकर तमाम विपक्ष को धड़ाम कर दिया था।


ट्रैवल्स और किताबों को पढ़ने का शौक रखने वाले सुनील बंसल का विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद कद और बढ़ गया था मगर सादगी पसंद और संगठन को समर्पित सुनील बंसल राजनीति की चमक में तनिक भी नहीं खोए। सुनील बंसल की कार्यशैली बताती है कि वह पर्दे के पीछे रहकर काम करना अधिक पसंद करते हैं। उन पर अमित शाह का भरोसा और सुनील बंसल की कार्यशैली के कारण उनको 2018 में राजस्थान में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात चली, मगर बताया जाता है कि उनका टारगेट 2019 में यूपी में भाजपा को फिर से लोकसभा चुनावों में बड़ी जीत दिलाना था इसलिए उन्होंने यूपी नहीं छोड़ा। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सुनील बंसल ने भाजपा आलाकमान के दिशा निर्देशन में इस तरह की रणनीति बनाई कि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में तमाम विपक्ष के एक साथ हो जाने के बाद भी बड़ी जीत हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वर्तमान में होम मिनिस्टर अमित शाह के निर्देशन में पहले 2014 का लोकसभा फिर 2017 का विधानसभा और अब 2019 का लोकसभा चुनाव सफल रणनीति से जीतने के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत की रग रग से परिचित हो गए सुनील बंसल को यूपी में भाजपा का चाणक्य कहा जाता है।

अब सुनील बंसल संगठन के साथ मिलकर साल 2022 में यूपी में होने विधानसभा चुनाव बीजेपी को फिर से जिताने की मुहीम में जुटे हुए है ।






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