अंजान आजमी का ब्यान और जयंत चौधरी के संस्कार पर सियासत
लखनऊ। सियासत भी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती तभी तो किसान पंचायत में आए बुजुर्ग किसान नेता के सम्मान में झुककर अभिवादन करने और 2000 किलोमीटर दूर बैठे मामले से अनजान नेता के बयान के बाद चरण सिंह के चिराग के संस्कार पर सियासत तेज होने लगी है, जबकि आम जनमानस में चर्चा है कि जयंत चौधरी ने पैर पकड़ कर माफी नहीं मांगी थी, केवल झुककर बुजुर्ग किसान नेता का अभिवादन किया था।
बीते साल हाथरस में एक बेटी के साथ हुए रेप कांड पर पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन हो रहे थे। इसी बीच राष्ट्रीय लोकदल के तत्कालीन उपाध्यक्ष एवं वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी पीड़िता के गांव पहुंचे थे। जयंत चौधरी जब मीडिया से बात कर रहे थे तभी पुलिस द्वारा लाठीचार्ज कर दिया जाता है। जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज के विरोध में पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों में उबाल आ गया था। इस घटना के विरोध में आह्वान किया गया था कि 8 अक्टूबर 2020 को मुजफ्फरनगर के राजकीय कॉलेज के मैदान में किसान पंचायत की जाएगी। किसान पंचायत को भारतीय किसान यूनियन और अन्य राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दे दिया था। 8 अक्टूबर 2020 को राजकीय इंटर कॉलेज का मैदान जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज के विरोध में भरा हुआ था, जिसमे यूपी वेस्ट के जाट और मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे।
इसके बाद गाज़ीपुर बॉर्डर पर बीकेयू के राकेश टिकैत किसान आंदोलन के चलते भावुक हुए तो चौधरी अजीत सिंह और जयंत चौधरी उनके समर्थन में खड़े हो गए इसी बीच किसान यूनियन ने मुजफ्फनगर में किसान महापंचायत का एलान कर दिया। किसान पंचायत में कभी भारतीय किसान यूनियन के मजबूत स्तंभ रहे और बाद में अलग होकर भारतीय किसान मजदूर संगठन बनाने वाले गुलाम मौहम्मद जौला को भी किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने आमंत्रित किया गया था। किसान पंचायत के मंच पर जैसे गुलाम मौहम्मद जौला पहुंचे तो जयंत चौधरी ने अपने संस्कार के नाते गुलाम मौहम्मद जौला का झुककर अभिवादन किया। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत , रालोद के जयंत चौधरी और गुलाम मौहम्मद जौला ने गले मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का एलान किया था। क्यूंकि इस किसान पंचायत में जयंत चौधरी ने अपने संस्कार के नाते बुजुर्ग किसान नेता गुलाम मौहम्मद जौला झुककर अभिवादन किया था तो तब किसी ने इस घटना पर कोई टिप्पणी भी नहीं की थी।
गौरतलब है कि पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के मुंबई से विधायक अबू आसिम आजमी ने एक न्यूज़ चैनल को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोग समाजवादी पार्टी के साथ थे लेकिन 2013 के दंगों के बाद वह सब लोग भाजपा में चले गए। अब एक मंच पर जाटों ने मौलाना के पैर पकड़कर माफी मांग ली है। इससे वे लोग फिर से समाजवादी पार्टी की तरफ आ रहे हैं। अबू आसिम आजमी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत की कोई जानकारी नहीं है। इस इलाके से 2000 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र उनकी कार्यस्थली है। उनके इस बयान के बाद आरएलडी की बढ़ती ताकत को देख कर जयंत चौधरी के विरोधियों ने उस वीडियो को इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर कमेंट करना शुरू कर दिया कि जयंत चौधरी मौलाना के पैर छू रहे हैं जबकि हकीकत इसके उलट है।
जयंत चौधरी एवं उनके पिता दिवंगत चौधरी अजीत सिंह के साथ-साथ राष्ट्रीय लोकदल के नेता 2013 के दंगों के बाद दोनों समुदाय जाट और मुस्लिम के बीच आपसी सौहार्द बनाने की मुहिम में जुटे रहे थे यही वजह थी कि जब जयंत चौधरी पर हाथरस में लाठीचार्ज हुआ तो मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका भी किसान पंचायत में शामिल हुआ था। हालांकि वेस्टर्न यूपी यूपी में जयंत चौधरी के विरोधियों ने इस मामले को जाट समुदाय के सम्मान से जोड़कर विरोध शुरू किया लेकिन अबू आसिम आजमी के बयान के विपरीत वेस्टर्न यूपी की जनता जानती है कि गुलाम मौहम्मद जौला कोई मौलाना नहीं है बल्कि एक बुजुर्ग किसान नेता है जो किसान मसीहा एवं किसानों के लिए हमेशा संघर्षशील रहे स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के साथ मिलकर किसान आंदोलन को धार देने वाले गुलाम मोहम्मद जोला थे और जयंत चौधरी ने गुलाम मौहम्मद जौला के पाँव नहीं पकड़े थे कि 2013 के दंगों की उनके समाज की गलती थी बल्कि उन्होंने अपने संस्कार के चलते बुजुर्ग किसान नेता गुलाम मौहम्मद जौला का झुककर अभिवादन किया था जो उनके पारिवारिक संस्कार में शामिल है।