पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का निधन

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का निधन

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। आज उनका निधन हो गया है, पूर्व राष्ट्रपति के बेटे पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीटर पर जानकारी दी कि दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनकोे 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी। अस्पताल में बताया था कि प्रणव मुखर्जी का स्वास्थ्य आज और भी ज्यादा खराब हो गया है चूंकि उन्हें फेफड़े में संक्रमण की वजह से सेप्टिक शॉक लगा है।

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूमि जिले के किरनाहर के निकट मिटरी गाँव के एक ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया था। इनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी था और इनकी माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। प्रणव मुखर्जी के पिता पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने 10 वर्ष से अधिक जेल की सजा भी काटी थी। वे पश्चिम बंगाल की विधान परिषद में 1952 से 1964 तक सदस्य रहे और वीरभूमि जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रह चुके थे। प्रणव मुखर्जी ने वीरभूमि के सूरी विद्यासागर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की थी उसके पश्चात् कलकत्ता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने मानद डीव लिटव की उपाधि भी हासिल की थी। प्रणव मुखर्जी ने अपने करियर के रूप में सबसे पहले 1963 ई॰ में विद्यानगर कॉलेज में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक के रूप में शुरुआत की और बाद में पत्रकार के रूप में कार्य शुरु किया। प्रणव मुखर्जी पोस्ट एंड टेलीग्राफ ऑफिस में एक क्लर्क के तौर पर भी नौकरी की। इसके अतिरिक्त ये एक अच्छे वकील, 'बंगाल साहित्य परिषद्' के ट्रस्टी और 'अखिल भारत बंग साहित्य सम्मलेन' के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।


प्रणव मुखर्जी का 22 वर्ष की उम्र में 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी से विवाह हुआ जो बांग्लादेश के नारायेल की थीं। इनके दो बेटे अभिजीत व इंद्रजीत और एक बेटी शर्मिष्ठा कुल तीन संतान हैं। इनकी पत्नी का निधन 18 अगस्त 2015 को हो गया था और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का जन्म 31 अगस्त 2020 को निधन हो गया है। आज उन्होंने दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली।


पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत 1969 में की थी। वह सबसे पहले कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के सदस्य रहें इसके पश्चात फिर लगातार कई बार सदस्य रहे। इसके बाद 1973 ईव में औद्योगिक विकास विभाग में केंद्रीय उप-मंत्री के रूप में नियुक्ति हुई। ्रप्रणव मुखर्जी 1997 ई0 में सर्वश्रेष्ठ सांसद चुने गये। सन् 2004 में पहली बार पश्चिम बंगाल के जंगीपुर सीट से चुनाव लडे और जीत भी हासिल की। इंदिरा गाँधी की सरकार में 15 जनवरी 1982 से 31 दिसंबर 1984 तक वित्त मंत्री के पद पर कार्य किया। पीव वीव नरसिम्हा राव सरकार में 24 जून 1991 से 15 मई 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे। इसके बाद पीव वीव नरसिम्हा राव सरकार में 10 फरवरी 1995 से 16 मई 1996 तक भारत के विदेश मंत्री रहे। डा मनमोहन सिंह की सरकार में 22 मई 2004 से 26 अक्टूबर 2006 तक भारत के रक्षा मंत्री रहे। मनमोहन सरकार में 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री के पद पर कार्य किया।



प्रणव मुखर्जी ने पीव एव संगमा को 70 वोटों से हराकर 25 जुलाई 2012 को प्रणव मुखर्जी गणतंत्र भारत के 13 वें राष्ट्रपति बने। प्रणव मुखर्जी बंगाली पहले राष्ट्रपति थे और वह राष्ट्रपति के पद पर अपने 5 वर्ष के कार्यकाल को पूरा कर 25 जुलाई 2017 को सेवानिवृत्त हुए थे। प्रणव मुखर्जी को कई बार पुरस्कार सम्मान भी मिला है। यूरेन पत्रिका ने विश्व सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के रूप में इनका 1984 में मूल्यांकन किया। इसके बाद प्रणव मुखर्जी को दूसरे सम्मान पद्म विभूषण से 2007 में सम्मानित किया गया। इसके बाद फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर फॉर एशिया से 2010 में सम्मानित किया गया।



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