अमीरों की सूची में भारत का नाम किया रोशन
लखनऊ। बचपन में हम सभी ने एक किस्सा पढ़ा व सुना होगा रॉबिनहुड का। उसमें कुछ ऐसा था कि वो अमीरों को लूट कर गरीबों में बांटता था। इस वजह से सारे गरीब उसे अपना मसीहा मानते थे। यह सिर्फ एक किस्सा नहीं था, बल्कि एक बहुत बड़ा संदेश था पूरी दुनिया के लिए और सभी राजनीतिक दलों के लिए जिसका मतलब है, अगर आप गरीबों का ध्यान रखें, तो जनादेश आपका।
दुनिया में तीन तरह के लोग रहते हैं। एक वे हैं जो दाने-दाने को मोहताज हैं यानी गरीबी उनके साथ ऐसे चिपकी है कि छुटाए नहीं छूट रही। दूसरे वे हैं जो किसी तरह गरीबी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ रहे हैं और अपने रहने-खाने का जुगाड़ कर लेते हैं। इन्हें मिडिल क्लास कहा जाता है। तीसरे वे लोग हैं जिनके पास कितनी दौलत है, शायद वे खुद भी नहीं जानते। इन्हें अल्ट्रा रिच कहा जाता है लेकिन इसमें सबसे दुख की बात यह है कि अमीर दुनिया में अल्पसंख्यक हैं और गरीबों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी की संपत्ति में एक बार फिर इजाफा हुआ है और वह दुनिया के 5वें सबसे रईस कारोबारी बन गए हैं। फोब्र्स की रियल टाइम नेटवर्थ के मुताबिक मुकेश अंबानी 75 अरब डॉलर (करीब 5.57 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति के साथ पांचवें पायदान पर हैं। संपत्ति के मामले में मुकेश अंबानी अब फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग (89 अरब डॉलर) के करीब आ गए हैं। इस प्रकार दुनिया के अमीरों में मुकेश ने भारत का नाम रौशन किया है। दुनियाभर में शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव की वजह से फोब्र्स का आंकड़ा बदलता रहता है।
फिलहाल, फोब्र्स की सूची में पहले स्थान पर 185.8 अरब डॉलर के साथ अमेजन के जेफ बेजोस हैं। वहीं बिल गेट्स (113.1 अरब डॉलर), एलवीएमएच के बर्नार्ड अर्नोल्ट एंड फैमिली (112 अरब डॉलर), फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग (89 अरब डॉलर) के साथ क्रमशः दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। वहीं 5वें स्थान पर मुकेश अंबानी तो बर्कशायर हैथवे के वारेन बफे 72.7 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ छठे स्थान पर हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल में राइट इश्यू और जियो प्लेटफाम्र्स में संयुक्त रूप से निवेश और बीपी के निवेश के जरिये कुल 2,12,809 करोड़ रुपये जुटाये हैं। इसका फायदा कंपनी के शेयर भाव और मार्केट कैप पर भी देखने को मिला है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मार्केट कैप में बेहद तेजी से इजाफा हुआ है। रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप पिछले छह साल में 10 लाख करोड़ रुपये बढ़ा है। इसमें से 4 लाख करोड़ रुपये का इजाफा पिछले 10 महीने में हुआ है। आपको बता दें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज कर्जमुक्त भी हो गई है। रिलायंस ने ये सफलता डेडलाइन से 9 महीने पहले ही हासिल कर ली है। ऐसे में सोचने वाली बात है जहां कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है, लोगों की नौकरियां जा रही हैं, कई लोग परिवार का खर्चा पूरा न कर पाने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं, वहीं मुकेश अंबानी अपनी संपत्ति बढ़ाने में सफल रहे।
इंसान सिगरेट, दारू, कार, मोबाइल आदि इन सबके बिना जिंदा रह सकता है फिर भी इन सबको बेचने वाले अरबपति हैं। 'अनाज', इसके बिना कोई भी जीव जिंदा नहीं रह सकता, तो उसको उगाने वाला किसान गरीब है और कर्ज में डूबा हुआ है। पिछले बजट सत्र में संसद में 16 फरवरी, 2020 को वित्तमंत्री ने संसद में राहुल गांधी द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने आवेदन देकर सूचना मांगी। 24 अप्रैल को जवाब उपलब्ध कराया गया, जिसमें कई चैंकाने वाले खुलासे शामिल हैं। रिजर्व बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि उसने शीर्ष 50 विलफुल डिफॉल्टर्स के 68,607 करोड़ की राशि बट्टा खाते में डाल दी है। इनमें 'मेहुल भाई' का भी नाम है। मेहुल चैकसी एक कारोबारी हैं और उनकी कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड पर 5492 करोड़ रुपये की देनदारी है। 50 डिफाल्टरों में सबसे ज्यादा रकम चैकसी की ही है। चैकसी अब एंटीगुआ के नागरिक हैं और उनका भगोड़ा भतीजा नीरव मोदी लंदन में है। आरबीआई ने बताया कि 68,607 करोड़ रुपये की बकाया धनराशि को तकनीकी रूप से और विवेकपूर्ण तरीके से 30 सितंबर, 2019 तक माफ कर दिया गया है। उद्योगों को पैकेज देना एक मसला है, वह सरकार का विवेकपूर्ण निर्णय होता है, लेकिन लूटकर भागने वालों को अभयदान दिया जा रहा है। हाल ही में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने 2,426 ऐसे खातों की सूची जारी की है जो 'जानबूझ कर कर्ज नहीं चुकाने' (विलफुल डिफऑल्टर) वाली श्रेणी में हैं और इनमें बैंकों का 1,47,350 करोड़ रुपये बकाया है। रिपोट्र्स के मुताबिक, इस लिस्ट में किंगफिशर एयरलाइन्स, गीतांजली जेम्स, नक्षत्र ब्रांड और विनसम डायमंड्स एंड जूलरी जैसे कई बड़े डिफॉल्टर हैं। वहीं, 2,426 लोगों की लिस्ट में सबसे ज्यादा 685 डिफॉल्टर देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े हैं, जिन्होंने 43,887 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाया है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ये अल्ट्रा रिच लोग बैंकों से लूट कर अमीर बने हैं।
बचपन में हम सभी ने एक किस्सा पढ़ा व सुना होगा रॉबिनहुड का। उसमें कुछ ऐसा था कि वो अमीरों को लूट कर गरीबों में बांटता था। इस वजह से सारे गरीब उसे अपना मसीहा मानते थे। यह सिर्फ एक किस्सा नहीं था, बल्कि एक बहुत बड़ा संदेश था पूरी दुनिया के लिए और सभी राजनीतिक दलों के लिए जिसका मतलब है, अगर आप गरीबों का ध्यान रखें, तो जनादेश आपका। अमीर गरीब हर देश मंे है और लगभग सभी जगह, गरीबों की संख्या ज्यादा है और अमीरों की कम व अल्पसंख्यक हैं। देश को आजादी मिलने के बाद से अब तक इस खाई को पाटने का ईमानदारी से प्रयास किया गया। प्रमुख राजनीतिक दलों के इस आचरण से नई पार्टियों को भी यही शिक्षा मिली और इन्होंने भी इस परम्परा को अपनी प्रमुख विचारधारा का रूप दिया। नतीजा यह हुआ की बारी बारी से सभी ने सत्ता का स्वाद भी चखा। इस कड़ी में गरीब बढ़ते गये और अमीर कम हुए।
दुनिया से गरीबी खत्म करने के लिए काम करने वाली संस्था ऑक्सफैम ने जनवरी-2020 में जारी रिपोर्ट में बताया है कि देश के एक फीसदी अमीर लोगों की संपत्ति निचले तबके के 70 प्रतिशत आबादी की कुल सम्पत्ति से भी चार गुना ज्यादा है। देश के 63 अरबपतियों की संपत्ति देश के एक साल के बजट से भी ज्यादा है। फाइनेंशियल सर्विस कंपनी क्रेडिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आधी दौलत सिर्फ 1 फीसद अमीरों के पास है। इन 1 फीसद लोगों में बिल गेट्स, वारेन बफे, जेफ बेजोस, जैक मा, मुकेश अंबानी, मार्क जुकरबर्ग और लैरी पेज जैसे कुछ गिने-चुने उद्योगपति हैं। यह आंकड़ा और भी चैंकाने वाला तब हो जाता जब पता चलता है कि धरती पर मौजूद करीब 88 फीसद दौलत पर सिर्फ 10 फीसद अमीर लोगों का कब्जा है। ऑक्सफैम की ओर से कहा गया है कि 13.6 करोड़ भारतीय जोकि देश की गरीबों की 10 फीसदी आबादी है वह अब भी 2004 से कर्ज में डूबी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमीर और गरीब के बीच बढ़ते फासले की वजह से गरीबी से लड़ने की मुहिम को बड़ा झटका लगा है, इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है और लोगों में वैश्विक स्तर पर गुस्सा बढ़ रहा है। ऑक्सफैम के एग्जेक्युटिव डायरेक्टर विनी ब्यानिमा का कहना है कि कुछ चुनिंदा अमीर लोगों की आय भारत में बहुत ज्यादा बढ़ी है, जबकि गरीब अब भी दो वक्त की रोटी, बच्चों की दवा का जुगाड़ करने के लिए जूझ रहा है। अगर यह असमानता देश की एक फीसदी अमीरों और बाकी गरीबों के बीच बनी रही तो आने वाले समय में देश का सामाजिक और लोकतांत्रिक ढांचा ढह जाएगा। गत दो वर्षों से जारी महंगाई दर ने पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। अमीर आदमी को महंगाई से कुछ भी फर्क नहीं पड़ता, लेकिन एक गरीब इंसान की हालत बदतर हो चली है। उद्यमी हमारे देश की शान भी हैं और पूंजी भी। मुकेश अंबानी जैसे उद्यमियों पर हमें नाज़ है जबकि माल्या और चैकसी जैसे उद्यमियों ने अपने समाज को कलंकित किया है।
(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)