दिग्विजय के मोहपाश से बाहर निकले कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस को मध्यप्रदेश में इतना बड़ा सियासी नुकसान हुआ, इसके बावजूद पार्टी नेतृत्व को यह समझ नहीं आ रहा है कि किसके चलते कमलनाथ की सरकार चली गयी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को क्यों छोड़ा और आगे भी कांग्रेस का एक मजबूत वोटबैंक अलग हो सकता है। दिग्विजय सिंह के चलते ही कांग्रेस गोवा में सबसे बड़ी पार्टी होते हुए सरकार नहीं बना पायी थी। मध्यप्रदेश की 3 राज्यसभा सीटों को लेकर 19 जून को होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस के अंदर एक सीट को लेकर मचा घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। इस उपचुनाव के मद्देनजर ग्वालियर चंबल इलाके में अनुसूचित जाति के वोट बैंक को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस के अंदर दिग्विजय सिंह की जगह फूल सिंह बरैया को राज्यसभा में भेजे जाने को लेकर उठ रही आवाजों को कांग्रेस पार्टी ने विराम लगा दिया। इसके नतीजे कांग्रेस के लिए राजनीतिक दृष्टि से नुक्सान पहुंचाने वाले हो सकते हैं।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के संगठन मंत्री चंद्रप्रभा शेखर ने गत 12 जून को कहा था कि राज्यसभा सीट को लेकर दिग्विजय सिंह पहले नंबर पर हैं, जबकि दूसरे नंबर पर फूल सिंह बरैया हैं। इससे साफ है कि दिग्विजय सिंह प्रदेश के कोटे से राज्यसभा सांसद के लिए जाएंगे। वहीं दूसरी सीट के लिए चुनाव के बाद ही स्थिति साफ होगी हालांकि, बदले समीकरणों में यह साफ है कि बाकी 2 सीटों पर बीजेपी की जीत तय है। दरअसल, कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने पार्टी की बैठकों में उपचुनाव में जीत के लिए दिग्विजय सिंह की जगह फूल सिंह बरैया को राज्यसभा भेजे जाने की वकालत की थी। बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए कांग्रेस नेता चैधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी ने भी ट्वीट कर कहा था कि दिग्विजय सिंह को इस बात की पहल करना चाहिए कि फूल सिंह बरैया राज्यसभा चुनाव में प्रथम वरीयता के उम्मीदवार बनें। चैधरी राकेश सिंह ने दिग्विजय सिंह को त्याग का परिचय देने की सलाह दी थी। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने साफ कर दिया है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में सीनियरिटी में दिग्विजय सिंह पहले नंबर पर रहेंगे।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी का एक गुट यह चाहता है कि फूल सिंह बरैया को राज्यसभा पहुंचाकर आरक्षित वर्ग के वोट बैंक का विधानसभा चुनाव में फायदा लिया जाए। कांग्रेस के कुछ नेताओं का मत है कि बसपा के पूर्व नेता फूल सिंह बरैया को अनुसूचित जाति वर्ग के वोट बैंक को साधने के लिए ट्रंप कार्ड की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, पार्टी में बरैया की एंट्री कराने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ही हैं लेकिन अब दिग्विजय सिंह के विरोधी बरैया के जरिए उनका राज्यसभा में जाने का रास्ता बंद करने की कवायद में जुटे हैं। बरैया का समर्थन करने वाले नेताओं का मत है कि अनुसूचित जाति वर्ग के वोटों को साधने के लिए उन्हें राज्यसभा में भेजा जाना चाहिए। इससे ग्वालियर चंबल इलाके के अनुसूचित जाति के वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में आ सकता है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद भी पार्टी निष्क्रिय नहीं हुई है। इसका सबूत पिछले दिनों मिला था। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का जन्मदिन था। इस अवसर पर पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता ने अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए दो हजार से ज्यादा परिवारों को राशन बांटने के लिए इकट्ठा किया था। राशन बांटने के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई। इस दौरान, लोगों ने न सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया, अधिकतर लोगों चेहरे पर मास्क भी नजर नहीं आए। इस मामले में पुलिस ने 188 के तहत इंदौर के मल्हारगंज थाने में केस दर्ज कर लिया है लेकिन, बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुदर्शन गुप्ता का नाम एफआईआर में नहीं लिखा। कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने धरने पर बैठने की धमकी देने के बाद सुबह सुदर्शन गुप्ता का नाम एफआईआर जोड़ दिया गया। हालांकि, महामारी एक्ट के तहत भीड़ जुटाने और संक्रमण फैलाने की धाराएं नहीं लगाईं गई जिससे नाराज कांग्रेस की तीन विधायक और शहर अध्यक्ष धरने पर बैठ गए।
कांग्रेस के नेता इंदौर के राजबाड़ा पर देवी अहिल्यामाता प्रतिमा के नीचे धरने पर बैठ गए। कांग्रेस के इन नेताओं में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल और शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल शामिल थे। ये सभी नेता बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता और उनके साथियों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने की मांग कर रहे थे। सूचना मिलते ही धरना समाप्त कराने के लिए पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने कांग्रेस विधायकों और नेताओं को समझाने की कोशिश की। इसी दौरान, एसडीएम राकेश शर्मा और सराफा सीएसपी घुटनों के बल बैठकर नेताओं से धरना समाप्त करने की मिन्नते करने लगे, लेकिन, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी कलेक्टर मनीष सिंह को मौके पर बुलाने और सुदर्शन गुप्ता के खिलाफ धारा बढ़ाने की मांग करते रहे। इस बात को लेकर जीतू पटवारी की एडीएम अजय देव शर्मा और एडिशनल एसपी से बहस भी हुई, लेकिन धरना जारी रहा। हालांकि बाद में, जीतू पटवारी दो घंटे के सांकेतिक धरने के बाद उठ गए। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के सामने घुटने टेकने वाले एसडीएम राकेश शर्मा को कलेक्टर मनीष सिंह ने कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। कलेक्टर ने कहा है कि विधायकों के सामने जिस स्वरूप में एसडीएम ने जाकर चर्चा की, वह एक कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की पदीय गरिमा, प्रशासनिक अनुशासन और आचरण के अनुरूप नहीं है। उनके इस कृत्य से प्रशासन की छवि धूमिल हुई है। कलेक्टर ने नोटिस में कहा कि क्यों न एक मजिस्ट्रेट की मर्यादा के विरुद्ध किए गए इस कृत्य के चलते उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए। कलेक्टर मनीष सिंह ने मौके पर तैनात संबंधित एसडीएम से उन परिस्थितियों की जानकारी भी तलब किया है, जिस कारण उन्हें घुटनों पर बैठकर जीतू पटवारी से बात करनी पड़ी। एसडीएम के घुटने के बल बैठने को लेकर बीजेपी ने प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए। हालांकि इससे यह भी पता चलता है कि कांग्रेस अब भी सत्तारूढ़ भाजपा को घेरने की क्षमता रखती है लेकिन उसे दिग्विजय सिंह जैसे लोगों से सावधान रहना पड़ेगा।
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)