गहलोत अपनी चतुराई में फंसे

गहलोत अपनी चतुराई में फंसे

जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बहुत चतुर खिलाड़ी हैं लेकिन पंचायत चुनावों में अपनी इसी कला के चलते वह उलझ गये हैं। यहां तक कि उनकी सरकार खतरे में पड़ती नजर आ रही है। पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। सरकार को समर्थन दे रही भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) को लगता है कि अशोक गहलोत ने उसके साथ धोखा दिया। इसी के चलते उसका एक जिला प्रमुख नहीं बन पाया। बीटीपी की नाराजगी यहां तक बढ़ी कि उसके दो विधायकों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।

जिला प्रमुख पद पर निर्दलीय नामांकन भरकर चुनाव लड़ने वाली भाजपा की सूर्या अहारी ने कांग्रेस के समर्थन से बीटीपी समर्थित पार्वती को एक वोट से हराकर जिला प्रमुख पद पर जीत हासिल की। दरअसल जिला परिषद की 27 सीटों में से बीटीपी समर्थित 13 निर्दलीय जीतकर आये थे। वहीं कांग्रेस के 6 और भाजपा के 8 उम्मीदवार जीते थे। इधर, जिला परिषद सीटो में सर्वाधिक सीट बीटीपी समर्थित होने के चलते जिला प्रमुख चुनाव में बीटीपी को हराने के लिए पहली बार भाजपा व कांग्रेस ने हाथ मिलाया। यही कारण रहा कि जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। वहीं भाजपा ने अपनी उम्मीदवार सूर्या अहारी को निर्दलीय के रूप में नामांकन भराया। बीटीपी समर्थित पार्वती ने अपना नामांकन दाखिल किया। इसके बाद मतदान हुआ और मतगणना हुई। जिसमें भाजपा से निर्दलीय प्रमुख का चुनाव लड़ने वाली सूर्या अहारी को भाजपा के 8 व कांग्रेस के 6 मत सहित कुल 14 मत मिले जबकि बीटीपी समर्थित उम्मीदवार पार्वती को 13 मत मिले और एक वोट से सूर्या अहारी जीत दर्ज करते हुए जिला प्रमुख बनी।

राजस्थान पंचायत चुनाव में मिली हार के बाद अब राज्य की गहलोत सरकार के सामने संकट गहराता हुआ नजर आ रहा है। जानकारी के मुताबिक भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने राज्य की कांग्रेस सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस ने उसके साथ छल किया है। बीटीपी के दो विधायक कांग्रेस को अपना समर्थन दे रहे थे।

भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद ने अपना कांग्रेस सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। बता दें कि जिला प्रमुख पद पर निर्दलीय नामांकन भरकर चुनाव लड़ने वाली भाजपा की सूर्या अहारी ने कांग्रेस के समर्थन से बीटीपी समर्थित पार्वती को एक वोट से हराकर जिला प्रमुख पद पर जीत हासिल की। दरअसल जिला परिषद की 27 सीटो में से बीटीपी समर्थित 13 निर्दलीय जीतकर आये थे। वहीं कांग्रेस के 6 और भाजपा के 8 उम्मीदवार जीते थे। भाजपा से निर्दलीय प्रमुख का चुनाव लड़ने वाली सूर्या अहारी को भाजपा के 8 व कांग्रेस के 6 मत सहित कुल 14 मत मिले जबकि बीटीपी समर्थित उम्मीदवार पार्वती को 13 मत मिले कांग्रेस ने अगर बीटीपी को समर्थन दिया होता तो उसकी प्रत्याशी पार्वती 19 मत पाकर जीत जातीं। इस प्रकार भाजपा की सूर्या अहारी ने कांग्रेस के समर्थन से बीटीपी समर्थित पार्वती को एक वोट से हराकर जिला प्रमुख पद पर जीत हासिल की लेकिन सरकार खतरे मंे पड़ गयी।

गहलोत ने स्वीकार किया कि जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव के नतीजे अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहे। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने पर ध्यान केंद्रित होने के कारण हम अपनी योजनाओं और सरकार के कार्यों का अच्छी तरह से प्रचार नहीं कर सके जबकि विपक्ष ने भ्रामक प्रचार कर मतदाताओं को भ्रमित किया। गहलोत ने चुनाव परिणामों पर टिप्पणी करते हुए कहा, जिला परिषद और पंचायत समिति चुनावों के नतीजे हमारी आशा के अनुकूल नहीं रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, पिछले नौ महीने से हमारी सरकार कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिये मेहनत कर रही है। हमारी प्राथमिकता लोगों का जीवन और आजीविका बचाना रहा है। हमारा पूरा ध्यान कोरोना महामारी पर रहा जिसके चलते हम अपनी योजनाओं और सरकार के कार्यों का अच्छी तरह से प्रचार नहीं कर सके। वहीं विपक्ष के नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में दौरे कर भ्रामक प्रचार कर मतदाताओं को भ्रमित किया।

उल्लेखनीय है कि राज्य के 21 जिलों में जिला परिषद के 636 सदस्यों में से कांग्रेस को 252, भाजपा को 353, आरएलपी को 10, माकपा को दो सीटें मिलीं जबकि 18 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। वहीं, 4371 पंचायत समिति सदस्यों में से कांग्रेस को 1852, भाजपा को 1989, बसपा को पांच, आरएलपी को 60, सीपीआईएम को 26 सीटों पर जीत मिली जबिक 439 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।

पंचायतीराज के चुनाव परिणामों से कांग्रेस सकते में है। बीजेपी ने पंचायत समितियों में कांग्रेस से 137 वार्ड और जिला परिषद में 101 वार्ड ज्यादा जीते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत समितियों और जिला परिषदों के वार्डों के आधिकारिक आंकड़े जारी कर दिए हैं। पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्य चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया।

प्रदेश के 21 जिलों में हुए चुनावों में 4371 पंचायत समिति वार्डों में से बीजेपी ने 1989 वार्ड जीते हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में 1852 वार्ड गये हैं। 439 वार्ड निर्दलीय के हाथ गये हैं। आरएलपी ने 60, सीपीएम ने 26 और बसपा ने 5 वार्ड जीते हैं। जिला परिषद के 636 में से 635 वार्डों के आधिकारिक परिणाम जारी हुए तो इनमें जिला परिषद के 635 में से 353 वार्ड बीजेपी ने जीते। यहां भी कांग्रेस के खाते में 252 वार्ड ही गये हैं। इनके अलावा निर्दलीयों ने 18, आरएलपी ने 10 और सीपीएम ने 2 वार्ड में जीत दर्ज की है। पंचायती राज चुनाव के परिणामों से कांग्रेस में खलबली मची हुई है। सरकार के दो साल की वर्षगांठ से पहले आए पंचायत चुनाव नतीजों ने कांग्रेस के रणनीतिकारों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पंचायत समिति और जिला परिषद चुनावों में हार को कांग्रेस सरकार और संगठन के लिए वेक अप कॉल माना जा रहा है। इस हार ने कांग्रेस के लिए कई तरह की चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मंत्री-विधायकों की हार ने भी कांग्रेस की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसके साथ ही सहयोगी दल के विधायक भी साथ छोड़ रहे हैं। (हिफी)

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