हाय री व्यवस्था-मौत के बाद भी दुर्व्यवस्था की शिकार हुई बेटी- नहीं मिली..

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शहडोल। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे महिला सशक्तिकरण के दावे और वादे धरातल पर हवा हवाई होते दिखाई दे रहे हैं। मौत के बाद भी बेबस बाप को अपनी 13 वर्षीय बेटी की देह अंतिम संस्कार के लिये बाइक पर ही अस्पताल से लेकर जानी पड़ी। हालांकि मामले का वीडियो वायरल होने के बाद हरकत में आए स्वास्थ्य महकमे ने भागदौड़ कर बाइक पर जा रही लड़की की देह को एंबुलेंस के जरिये घर तक पहुंचाने की कोशिश कर भूल सुधार का प्रयास किया है लेकिन उस समय तक लड़की काफी दूर जा चुकी थी।

दरअसल शहडोल जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के रहने वाले लक्ष्मण सिंह गोंड ने अपनी बेटी माधुरी को इलाज के लिए जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था।

उसकी 13 साल की बेटी माधुरी स्किल सेल बीमारी से पीड़ित थी.. जब गांव में बेटी की तबीयत बिगड़ी तो परिजन उसे 12 मई को जिला अस्पताल लेकर आये, यहां पर दो दिन तक चले इलाज के बाद भी माधुरी की जान नहीं बच सकी और 14 मई की शाम माधुरी की मौत हो गयी। परिजनों ने शव को अपने गांव तक ले जाने के लिए शव वाहन प्राप्त करने की कोशिश की, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग बेटी की देह को सरकारी वाहने से घर भिजवाने की व्यवस्था नही कर सका।

पिता ने जब शव वाहन मांगा तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि 15 किलो मीटर से ज्यादा दूरी के लिए शव वाहन नही मिलेगा.।

मरता क्या ना करता, पीडित बाप ने प्राईवेट वाहन से बेटी की देह को घर ले जाने का इरादा बनाया, परंतु उसका किराया उसकी सामर्थ्य से बाहर था। समय और नियति के आगे कोई चारा नही चलता देख लाचार और बेबस बाप ने बाईक पर ही शव ले जाने का इरादा बनाया और चालक का बंदोबस्त कर बेटी की देह को गोदी में रखकर घर की तरफ चल दिया।

इसी बीच बाप की लाचारी और प्रशासन की लापरवाही के इस मामले को किसी ने वीडियोें बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। सोशल मीडिया मामला वायरल होते ही प्रशासन की खिचाई का सिलसिला शुरू हो गया।

कलेक्टर वंदना वैद्य को बाइक से शव ले जाने की सूचना मिली..कलेक्टर आधी रात को बाइक में शव ले जाते परिजनों को रोका और सिविल सर्जन को तत्काल शव वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

सिविल सर्जन डॉ. जी.एस. परिहार भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिजन को शव वाहन उपलब्ध करा उनके गाँव भेज दिया गया..इतना ही नही परिजनों के लिये समाजसेवी प्रवीण सिंह ने भोजन और पानी की व्यवस्था कराया..कलेक्टर ने परिजनों को पांच हजार की आर्थिक सहायता भी दी है..

वही कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को भी फटकार लगाते हुए निर्देश दिए कि जरूरतमंदों को शव वाहन उपलब्ध कराने में किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए...

रिपोर्ट-चंदन श्रीवास

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