फर्जी कागजों पर लोन के जरिए गाड़ी हड़पने का चल रहा था खेल-फूटा भांडा
मुजफ्फरनगर। फर्जी कागजातों के आधार पर लोन स्वीकृत कराने के बाद हासिल की गई गाड़ियों को बेचकर नगदी समेटने वाले गैंग का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस द्वारा 4 लग्जरी गाड़ियां बरामद की गई है।
मंगलवार को पुलिस लाइन के मनोरंजन कक्ष में आयोजित की गई प्रेसवार्ता में मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करते हुए एसपी सिटी अर्पित विजयवर्गीय ने बताया है कि थाना नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के संदीप कुमार पुत्र स्वर्गीय बृजपाल सिंह एडवोकेट के आधार कार्ड एवं पैन कार्ड के फर्जी दस्तावेज बनाकर कुछ लोगों द्वारा फर्जी तरीके से 119556 रूपये का क्रेडिट कार्ड बनवाया गया एवं 1750243 रूपये का ऑटो लोन स्वीकृत कराया गया। ऑटो लोन पर एक टाटा हैरियर गाड़ी नटवरलालों द्वारा कंपनी से निकाली गई। संदीप कुमार को जब अपने दस्तावेजों पर लोन लिए जाने की जानकारी प्राप्त हुई तो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई। पीड़ित ने पुलिस को तहरीर देते हुए अपने साथ हुए घटनाक्रम की जानकारी देने के बाद इस संबंध में कार्यवाही किए जाने की मांग की। पीड़ित की सूचना पर पुलिस ने इस बड़े फर्जीवाड़े की जांच पड़ताल करते हुए अपना जाल फैलाया और पुख्ता जानकारी के बाद शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला रामपुरी निवासी अंकुश त्यागी पुत्र मुकेश त्यागी, शहर कोतवाली क्षेत्र के रुड़की रोड एकता विहार निवासी आलोक त्यागी पुत्र विजेंद्र त्यागी, नई मंडी कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला गांधी कॉलोनी निवासी संदीप कुमार पुत्र जय भगवान और सुधीर कुमार पुत्र रामपाल सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ किए जाने पर पता चला कि जालसाजों द्वारा पिछले पांच छह महीने के भीतर फर्जीवाड़ा करते हुए तकरीबन 70 लाख रुपए की गाड़ियां लोगों के फर्जी कागजातों के आधार पर लोन स्वीकृत कराते हुए निकाली गई है। पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर विभिन्न कंपनियों की चार लग्जरी गाड़ियों के अलावा 1700 रूपये भी आरोपियों के पास से बरामद किए हैं। एसपी सिटी ने बताया है कि पकड़े गए लोग फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड एवं फोटो बनाकर बैंक में कागज जमा करने के बाद लोन पास कराकर कंपनी से गाड़ी खरीद लेते हैं। अभी तक पकड़े गए लोग तकरीबन 15 गाड़ियों के फर्जी लोन स्वीकृत करा चुके हैं। एक गाड़ी को खरीदने के लिए आरोपी वाहन की कीमत का 20 प्रतिशत बैंक में जमा कराते हैं। जिसमें फर्जी पता होने के कारण बैंक उसे ट्रेस नहीं कर पाता है। पकड़े गए गैंग में एक फाइनेंसर होता है और दो-तीन लोग मिलकर फर्जी कागजात तैयार करते हैं और उनके ऊपर फर्जी फोटो लगा देते हैं। गैंग के सदस्यों की बैंक कर्मियों के साथ भी मिलीभगत होती है। खरीदी हुई गाड़ी को बेचने के बाद प्राप्त हुई रकम को आपस में बांट लेते हैं। पुलिस ने पकड़े गए लोगों के खिलाफ लिखा पढ़ी करने के बाद जेल भेज दिया है।