भ्रष्टाचार के खिलाफ SSP की मुहिम- सिपाहियों के बाद निशाने पर अफसर
मुरादाबाद। यूपी पुलिस जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है। इसी के तहत जिलों के पुलिस कप्तान भी समय-समय पर गोपनीय जांच करवाते रहते हैं। हाल ही में मुरादाबाद जिले में एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने जांच के आदेश दिए थे, जिसमे सिविल लाइंस थाने में तैनात 14 पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। ऐसा माना जा रहा है कि इस जांच में जिले के कई बड़े अफसरों के दामन पर भी दाग लगने वाला है।
ऐसे हुआ खुलासा
जानकारी के मुताबिक, एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने पुलिसकर्मियों के कार्य एवं छवि का फीडबैक लेने के लिए हेल्प लाइन नंबर जारी किया था। इस नंबर पर जनता की ओर से सीधे शिकायतें पहुंचीं। एसएसपी के पास पुलिस कर्मियों के भ्रष्टाचार एवं अन्य मामलों में लिप्त होने की शिकायतें पहुंचीं। शिकायतें मिलने के बाद एसएसपी ने गोपनीय जांच कराई।
हेल्पलाइन नंबर पर लगातार मिल रही शिकायतों की जांच के आदेश सहायक पुलिस अधीक्षक को दिए गए तो उन्होंने सिविल लाइंस थाने से संबंधित पुलिस कर्मियों की जांच की। इसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी, जिसमें 14 पुलिस कर्मियों के भ्रष्टाचार एवं अन्य मामलों में लिप्त होने के सबूत मिले। इनमे से हेड कांस्टेबल आरिफ अली, कांस्टेबल उमेश चंद्र और प्रताप सिंह को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए हैं, जबकि 11 कांस्टेबलों को जनपदीय पुलिस स्थापना बोर्ड के निर्णय के बाद पुलिस लाइन भेजा गया है।
बेनकाब हो सकते हैं सरपरस्त
अभी तक की जांच में उन पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की गई है, जिनके खिलाफ लगातार उगाही की शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। अब इनके सरपरस्त भी जांच के दायरे में आ गए हैं। चौकी से लेकर थाने तक इनके एक इशारे में कार्रवाई हो जाती थी। पुलिस अफसर भी अपने नंबर बढ़ाने के लिए इनकी मिली सूचनाओं के आधार पर गुडवर्क करके वाह-वाही लूटने का काम करते थे। पुलिस विभाग के अफसरों की माने तो अभी जांच खत्म नहीं हुई है। जल्द ही मामले में कई बड़े अफसरों के नाम सामने आ सकते हैं।
नाम सामने आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। एसएसपी के कड़े रुख से तो ऐसा ही लगता है कि दोषी कोई भी, वह अब गाज गिरने से नहीं बच सकता है। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने जिस प्रकार से हेल्प लाईन नंबर जारी करके जनता को सीधे शिकायतें करने का कार्य किया, वह बहुत ही सराहनीय है। फोन पर शिकायत करने में न तो किसी को कोई भय हुआ और न ही उसे यह आशंका सताई कि जिसके खिलाफ वह शिकायत कर रहा है, उसे उसके नाम का पता चल जायेगा। एसएसपी ने जिस प्रकार से भ्रष्टाचार को उजागर किया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की, वह अन्य के लिए भी संदेश है कि यदि भ्रष्टाचार को समाप्त करने की ठान ली जाये, इसे समाप्त करना कोई टेढ़ी खीर नहीं है।