ज़िम्मेदारी - आग उगलते सूरज के नीचे गर्मी में भी ड्यूटी करते हैं ट्रैफिककर्मी

ज़िम्मेदारी - आग उगलते सूरज के नीचे गर्मी में भी ड्यूटी करते हैं ट्रैफिककर्मी

लखनऊ। मौसम चाहे सर्दी का हो या गर्मी का, फिर चाहे हो रही हो बारिश। हर मौसम में यातायातकर्मी अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हुए यातायात का पालन कराने में जुटे रहते हैं। यातायातकर्मियों को सबसे कठिन ड्यूटी गर्मी में आग उगलते सूरज के नीचे करनी पड़ती है। लोगों की जिंदगी की डोर ना टूटे इसी वजह से वह हर मौसम में सड़क पर उपस्थित रहते हुए अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं। लोगों को भी यातायात नियमों का पालन करते हुए ही वाहन चलाना चाहिए, जिसकी वजह से हादसा होने का डर कम होगा।

जब गर्मी स्टार्ट हो जाती है तो यातायातकर्मियों का तेल (पसीना) निकलना शुरू हो जाता है। गर्मी में उनकी ड्रेस पसीने में ऐसी भीग जाती है, जैसे वह कपड़ों में ही नहा लिये हों। भीषण गर्मी में जहां लोग छांव और हवा की तलाश में रहते हैं, उस मौसम में यातायातकर्मी चौराहों व सड़कों पर खड़े होकर तपती धूप और लू के थपेड़ों में ड्यूटी करते हैं। बारिश के दौरान भी चंद यातायातकर्मी के पास ही छाता रहता है और अन्य यातायातकर्मी बारिश में नहाते हुए नियमों का पालन कराने के साथ ही यातायात को सुचारू से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


आमतौर पर देखा जाता है कि गर्मी के मौसम में जहां लोग अपने दो पहिया वाहन पर बैठकर जाम में फंसने पर एक मिनट रूकने पर भी पसीना-पसीना होते हुए वहां से किसी तरह जल्द से जल्द निकलने की सोच में डूब जाते हैं। सोचने वाली बात यह है कि चिलचिलाती गर्मी में एक मिनट जाम में रूकने पर ही वाहन चालक का कलेजा मुंह को आ जाता है। ऐसे में यातायातकर्मी पर क्या गुजरती होगी लेकिन यातायातकर्मी अपनी ड्यूटी को अंजाम देने और हमारी जिंदगी को बचाने के लिये पसीना-पसीना होने के बावजूद भी गर्मी के सामने अपने मोर्च पर डंटा रहता है और वहां पर यातायात में बाधा उत्पन्न नहीं होने देता है। गर्मी की वजह से कुछ यातायातकर्मी तो बीमारी की चपेट में भी आ जाते हैं।


आमतौर पर देखा जाता है कि अक्सर जब चौराहों पर या रास्तों पर जाम लग जाता है तो उस दौरान कभी-कभी ऐसे दृश्य भी देखने में आते हैं कि माल लादकर ला रहा मजदूर रेहडे में ज्यादा माल भरा होने या अन्य कारणों के चलते उसे मौके से जल्दी में निकला नहीं जाता है और वह हांपते हुए पसीना-पसीना हुए रहता है, ऐसे हालातों में भी मौके पर तैनात यातायातकर्मी मानवता की मिसाल पेश करते हुए उन्हें वहां से निकालने में उनकी सहायता करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि तमाम विपरित परिस्थियों में भी यातायातकर्मी हर वक्त एक्टिव मोड़ में रहते हैं कहीं कोई दुर्घटना ना हो जाये।


अक्सर देखा जाता है कि लोग यातायात का पालन नहीं करते हैं, जिन कारणों से सम्बंधित या अन्य के हादसे की चपेट में आने का डर रहता है। लोगों को हादसे की चपेट से दूर रखने के लिये शासन द्वारा ट्रैफिक नियमों का उल्लघंन करने पर रेट इतने अधिक कर दिये गये हैं, जिससे की सभी लोग यातायात के नियमों का पालन कर सकें। यातायातकर्मियों द्वारा बिना हेलमेट दोपहिया वाहन या बिना सीट बेल्ट के चौपहिया वाहन चला रहे लोगों को रोककर कार्यवाही की जाती है या फिर उनको हिदायत देकर छोड़ दिया जाता है। नशे में वाहन चलाना व यातायात नियमों का उल्लघंन करना लोगों को कभी-कभी इतना भारी पड़ जाता है कि उनकी जिंदगी की डोर टूट जाती है।


लोगों को सोचना चाहिए कि हमारी जिंदगी बचाने और यातायात को सुचारू रखने के लिये ही यातायातकर्मी आग उगल रहे सूरज के नीचे या हांड कंपाती ठंड या फिर बारिश के नीचे यथास्थान डटा रहता है। अगर लोग यातायात के नियमों को पालन करते हुए वाहन चलाते हैं तो हादसे की संख्या कम होती जायेगी। लोगों को वाहन भी अधिक स्पीड से नहीं चलाना चाहिए क्योंकि उसमें आपका तो नुकसान होगा ही, उसके साथ ही सामने वाले व्यक्ति को भी उसका नुकसान पहुंचेगा।

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