जुनून-कातिल तक पहुंचने को सौ किलोमीटर पैदल चली पुलिस
पटना। बिहार के हाईप्रोफाइल रूपेश हत्याकांड में शामिल कातिलों की गर्दन तक अपने हाथ पहुंचाने के लिए पुलिस को लगभग सौ किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करना पडा। इतना ही नही पुलिस को 20 दिन में दो सौ सीसीटीवी कैमरे, कातिलों की कॉल डिटेल के लिए चार हजार सीडीआर और 600 जीबी डाटा खंगालना पड़ा। पटना के एसएसपी उपेन्द्र शर्मा ने इस मामले का खुलासा करते हुए मीडिया के सामने पुलिस द्वारा की गई जांच-पड़ताल का विस्तृत ब्यौरा पेश किया।
बुधवार को एसएसपी उपेंद्र शर्मा रूपेश हत्याकांड का खुलासा करते हुए दावा किया कि रूपेश की हत्या रोडरेज के चलते की गई थी। इस मामले का मुख्य आरोपी ऋतुराज, 2020 नवम्बर के एक दिन लोजपा कार्यालय की ओर एयरपोर्ट जा रहा था। रास्ते में एक मोड़ के पास रूपेश की तेज रफ्तार एसयूवी से वह मरते-मरते बचा था। आरोपी का कहना है कि इस घटना के बाद उल्टे रूपेश ने ही कार से उतरकर उसे पीट दिया था। आरोपी बाईक चोरी की घटनाओं को अंजाम देता था। दुर्घटना के समय भी उसके पास चोरी की बाईक थी इसलिए वह उस दिन चुप रह गया लेकिन उसने रूपेश की एसयूवी के पीछे अपनी बाईक लगा दी और रूपेश की गाड़ी का नंबर याद कर लिया।
इसके बाद करीब दो महीने तक रूपेश की गतिविधियों पर ध्यान रखने के लिए ऋतुराज ने रूपेश की रेकी की। इस दौरान उसने रूपेश के घर से आने-जाने के बारे में पूरी जानकारी एकत्र की। सारी जानकारी हासिल कर लेने के बाद ऋतुराज ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर रूपेश की हत्या करने की योजना बनाते हुए उसे अंतिम रूप दिया। योजना को अंजाम देने के लिए ऋतुराज ने दो अन्य साथियों को भी अपने साथ जोड़ा और 12 जनवरी की देर सांय 6.58 बजे कुसुमविला अपार्टमेंट के सामने गोलियां बरसाकर रूपेश को मौत के घाट उतार दिया।