महाराजा रणजीत सिंह के किले को नहीं छाेड़ रहा पुलिस विभाग
नूरमहल, केन्द्र सरकार के पंजाब के फिल्लौर स्थित महाराजा रणजीत सिंह के किले को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के बावजूद पिछले 12 वर्षों से पंजाब पुलिस विभाग किले से अपना कब्जा छोड़ने में आनाकानी कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता दिलबाग सिंह ने गृह मामलों और न्याय विभाग के प्रधान सचिव, पंजाब पुलिस के महानिदेशक और पुलिस अकादमी (पीपीए) फिल्लौर के महानिदेशक को एक आवेदन में कहा कि केन्द्र सरकार ने सात सितंबर, 2011 को जारी अधिसूचना के माध्यम से किले को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया था, लेकिन इन 12 वर्षों के दौरान पंजाब पुलिस ने एएसआई द्वारा संरक्षण कार्य के लिए किले को सौंपने के सभी अनुरोधों को बार-बार खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि किले और इसके पास की खाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सौंप दिया जाना चाहिए ताकि पुरातात्विक मानदंडों के अनुसार संरक्षण कार्य किया जा सके और स्मारक जनता के लिए खोला जा सके।
सिंह ने अपने अभ्यावेदन में कहा कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने 27 सितंबर, 2010 को उनकी अवमानना याचिका का निपटारा करते हुए आदेश दिया है कि किले को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने वाली अधिसूचना के मद्देनजर कानून के तहत परिणामी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने 25 अगस्त 2008 को उनकी दीवानी याचिका का निपटारा करते हुए कहा था कि यदि केन्द्र सरकार अंततः फिल्लौर में किले को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करती है तो इसकी सभी घोषणाओं का पालन होगा।
उन्होंने कहा कि इन 12 वर्षों के दौरान पंजाब पुलिस ने एएसआई द्वारा संरक्षण कार्य के लिए किले को सौंपने के सभी अनुरोधों को बार-बार खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण के कारण रणजीत सिंह का किला पर्यटकों और जनता के लिए नहीं खोला जा सका है। अगर तीन महीने के भीतर उनके अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो उन्हें राष्ट्रीय स्मारक रंजीत सिंह किला फिल्लौर को खाली करने के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।