दिल हमारा भी पसीजता है जनाब !
लखनऊ। ड्यूटी के वक्त सख्त रवैया अख्तियार करना पुलिस की मजबूरी भी है और उनका फर्ज भी है। लेकिन उनका भी दिल पसीजता है। उनमें भी मानवता है। इसका जीता जागता उदाहरण इन फोटो में साफ देखने को मिल रहा है, जो इंटरनेट पैर वायरल हो रही हैं। पुलिसकर्मियों ने जब छोटे-छोटे बच्चों को कड़कड़ाती ठंड में बिना शूज के देखा, तो उनका मन पसीज गया और उन्होंने तुरंत बच्चों को शूज खरीदकर दिये।
कोई भी छोटी घटना हो या बड़ी, कोई आपात स्थिति हो, ऐसे समय में तुरंत पुलिस का नाम जहन में आता है। क्योंकि पुलिस ही है, जो नागरिकों को खतरों से बचाने का कार्य करती है। कहीं कोई प्राकृतिक आपदा आ जाये, तो पुलिस सबसे पहले वहां पहुंचती है और रेस्क्यू में जुट जाती है। कहीं कोई दंगा हो जाये, तो पुलिस जाकर स्थिति को संभालती है। भले ही उस दौरान पुलिस कर्मी चोटिल क्यों न हो जाएं, लेकिन फर्ज की राह पर चलते हुए वह स्थिति को कंट्रोल करने की पूरी कोशिश करते हैं।
कहीं कोई प्रदर्शन चल रहा हो, तो भी सबसे पहले पुलिस वहां पहुंचती है और प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर मामला निबटाने की पुरजोर कोशिश करती है। गर्मी हो, ठंड हो, कोहरा या वर्षा, पुलिस कर्मी हमेशा अपनी ड्यूटी पर अड़िग रहते हैं। अपने परिवार की चिंता न करते हुए वह फर्ज के पथ पर अग्रसर रहते हैं। विपरीत परिस्थतियों में सड़क पर खड़े रहकर हमेशा कर्तव्यनिष्ठता के पथ पर अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं। इन सभी चीजों को देखते हुए अक्सर यह सुनने में मिल जाता है कि उनका दिल बड़ा सख्त होता है। कभी पुलिस की आलोचना होती है, तो कभी-कभी उन्हें विवाद को भी झेलना पड़ता है।
सर्दी, गर्मी, बरसात, विपरीत परिस्थितियों में अपने कर्तव्य पथ पर अड़िग रहने वाले पुलिस कर्मियों में भी सेवा भावना कूट-कूट कर भरी होती है। उनका भी दिल छोटे-छोटे गरीब बच्चों को देखकर पसीज जाता है। जितनी हो सके, वे उनकी मदद करने से भी पीछे नहीं हटते हैं। पुलिस कर्मियों की इसी मनोवृत्ति को उजागर कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फोटो। इन फोटो में पुलिस कर्मी जरूरतमंद बच्चों को शूज दे रहे हैं। कड़कड़ाती ठंड में जब पुलिस कर्मियों ने इन बच्चों को बिना शूज के देखा, तो उन्होंने मानवता की मिसाल पेश करते हुए बच्चों को शूज का वितरण किया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि, दिल उनका भी पसीजता है। ड्यूटी के वक्त उनका सख्त होना जरूरी है, लेकिन सेवा भाव उनमें भी कूट-कूट कर भरा हुआ है।