लो जी अब ईडी भी खड़ी मिली कठघरे में

लो जी अब ईडी भी खड़ी मिली कठघरे में

लखनऊ। महाराष्ट्र में मुंबई की पात्रा चॉल जमीन को लेकर 1039 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। इसी घोटाले के आरोप में जाने माने पत्रकार और शिवसेना नेता संजय राउत को गिरफ्तार किया गया। इतना ही नहीं संजय राउत के घर के तलाशी में 11.5 लाख रुपये भी जब्त किये गये थे। इसी मामले में संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत और उनके करीबियों की 11.15 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गयी थी। अब 9 नवम्बर को प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट ने संजय राउत को जमानत देते हुए ईडी पर मनमाने तरीके से आरोप लगाने और संजय राउत को अवैध रूप से गिरफ्तार करने के लिए फटकार लगायी है। कोर्ट ने कहा प्रथम दृष्टया संजय राउत की गिरफ्तारी अवैध है, निराधार है। कोर्ट ने ईडी को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने अपनी मर्जी से आरोपी बनाये, दीवानी के मामले में मली लांड्रिंग का मामला बना दिया और मुख्य आरोपी पकड़े नहीं। यूपीए के समय सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की फटकार सेन्ट्रल ब्यूरो आफ इंवेस्टिगेशन (सीबीआई) पर लगाते हुए उसे पिंजरे में बंद तोता बताया था। अब पीएमएलए कोर्ट ने ईडी को कठघरे में खड़ा किया है। ध्यान रहे कि सीबीआई और ईडी दोनों स्वायत्तशासी संस्थाएं हैं।

शिवसेना नेता संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कोर्ट की ओर से बुधवार को जमानत दे दी गई। ईडी की ओर से 1 अगस्त को गिरफ्तार किए गए संजय राउत को तीन महीने बाद जमानत मिली है। संजय राऊत को 2 लाख के मुचलके पर जमानत दी गई। ईडी की तरफ से फैसले पर स्टे की मांग की गयी थी लेकिन अदालत ने मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने जैसे ही संजय राउत को जमानत का ऐलान किया, उनके समर्थकों ने तालियां बजाईं। कोर्ट ने 21 अक्टूबर को जमानत याचिका पर दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। ईडी ने कोर्ट में दावा किया था कि अब तक संजय राउत को अपराध की कमाई से 3.27 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। ईडी ने उपनगरीय गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल के पुनर्विकास में वित्तीय अनियमितताओं में कथित भूमिका के लिए इस साल राज्य सभा सदस्य संजय राउत को गिरफ्तार कर लिया था।

पात्रा चॉल के नाम से मशहूर सिद्धार्थ नगर उपनगरीय गोरेगांव में 47 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें 672 किरायेदार परिवार हैं। महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) ने 2008 में हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) की एक सहयोगी कंपनी गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को चॉल के लिए एक पुनर्विकास अनुबंध सौंपा था। जीएसीपीएल को किरायेदारों के लिए 672 फ्लैट बनाने और कुछ फ्लैट म्हाडा को देने थे। शेष जमीन निजी डेवलपर्स को बेचने के लिए मुक्त थी।

संसद को उपलब्ध कराए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में, प्रवर्तन निदेशालय ने 2021-22 वित्तीय वर्ष में सबसे अधिक मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामले दर्ज किए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के 1,180 और विदेशी मुद्रा उल्लंघन 5,313 मामले दर्ज किए गए हैं। अगर बात पिछले एक दशक की करें तो 2012-13 से 2021-22 के वित्तीय वर्षों के बीच, संघीय जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत कुल 3,985 और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के नागरिक कानून के तहत 24,893 आपराधिक शिकायतें दर्ज की है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित उत्तर में लोकसभा को यह डेटा उपलब्ध करवाया था। इसके अनुसार, ईडी ने वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान 221 मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज किए थे। इसने 209 केस (2013-14) में, 178 केस (2014-15) में, 111 केस (2015-16), 200 केस (2016-17) में, 148 केस (2017-18) में, 195 केस (2018-19) में, 562 केस (2019-20) में दर्ज किए वहीं 981 केस (2020-21) में और 1,180 मामले (2021-22) में दर्ज हुए हैं। इसी तरह, फेमा मामलों की संख्या 1,722 (2012-13) में, 1,041 केस (2013-14) में, 915 (2014-15) में, 1,516 (2015-16) में, 1,993 (2016-17), 3,627 (2017-18) है। 2,659 (2018-19), 3,360 (2019-20), 2,747 (2020-21) और 5,313 (2021-22)।

मंत्री ने कहा कि 31 मार्च 2022 तक, ईडी ने पीएमएलए के तहत 5,422 मामले दर्ज किए हैं और अपराध की आय 992 मामलों में कुल 1,04,702 करोड़ के लगभग रही है। इसके तहत 869।31 करोड़ रुपये की जब्ती हुई है और 23 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। बताते चलें कि 2002 में पीएमएलए को अधिनियमित किया गया था। वहीं पीएमएलए को 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया था। राज्य मंत्री चौधरी ने कहा कि फेमा के तहत 6,472 कारण बताओ नोटिस पर फैसला सुनाया गया है, जिससे करीब 8,130 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया और फेमा के तहत 7,080 करोड़ रुपये (लगभग) की संपत्ति जब्त की गई है। संजय राउंत को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने गोरेगांव में पात्रा चाल पुनर्विकास परियोजना में कथित तौर पर वित्तीय मामलों में अनियमितता और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया था। अपनी जमानत याचिका में संजय राउत ने कहा कि उनके खिलाफ चलाया जा रहा मामला सत्ता के दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है। हालांकि संजय राउत की जमानत याचिका के खिलाफ ईडी ने कोर्ट में कहा कि धन के लेन देन से बचने के लिए राउत ने पर्दे के पीछे रहकर काम किया है और धनशोधन मामले में मुख्य भूमिका निभाई है। पीएमएलए कोर्ट ने उनकी बात की ही पुष्टि

की।

इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 241 याचिकाओं पर फैसला सुनाया था। अदालत ने पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग के तहत गिरफ्तारी मनमानी नहीं है। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने विजय मदनलाल चौधरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस और 240 याचिकाओं पर फैसला सुनाया था। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी ईडी की गिरफ्तारी, जब्ती और जांच प्रक्रिया को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था ईडी का गिरफ्तारी करने, सीज करने, संपत्ति अटैच करने, रेड डालना और बयान लेने के अधिकार बरकरार रखे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि रिपोर्ट आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बता देना ही काफी है। (हिफी)

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