दरोगा दीपक और अनाथ महिला- पहले भोजन फिर इलाज और अंत में अंतिम संस्कार
सहारनपुर । वर्दी और वह भी यूपी पुलिस की। अक्सर सुनने में आता रहता था कि यूपी पुलिस व्यवहारिक नहीं है, डंडा ज्यादा चलाती है, मगर पिछले कुछ दिनों से देखने में आ रहा है कि यूपी पुलिस एक हाथ में डंडा लेकर खड़ी है तो दूसरे हाथ में लॉकडाउन के दौरान कभी मास्क तो कभी दवाई और अक्सर गरीब बेसहारा लोगों को खाना देने और खिलाने की फोटो और वीडियो अक्सर दिखाई पड़ने लगी है।
खाकी के इस बदलते स्वरूप का ही नतीजा है कि कभी पब्लिक के निशाने पर रहने वाली यूपी पुलिस पर जनता फूल बरसा कर उसका स्वागत कर रही है। पुलिस और पब्लिक के बीच यह मधुर कनेक्शन ऐसे नहीं बना है। इसके लिए पुलिस में अफसर से लेकर सिपाही तक अपने अपने सोशल वर्किंग के कारण इसके हकदार बनते जा रहे हैं। ऐसे ही एक सब इंस्पेक्टर पर खोजी न्यूज़ की आज की स्टोरी है जो एक अनाथ महिला के लिए बेटा बनकर खड़ा हो गया और उसने अपने 20 मिनट में बने मानवता के रिश्ते को पहले खाना फिर इलाज और मौत के बाद कंधा देने से लेकर अंतिम संस्कार करने की पूरी क्रिया को खुद अंजाम दिया और अब अन्य सामाजिक रस्में पूरी करने के लिए तैयार है। यह दरोगा है सहारनपुर जनपद के बड़गांव थाने के एसएसआई दीपक चौधरी।
तारीख 14 अप्रैल 2020 को दोपहर के लगभग 2 बजे होंगे । सहारनपुर जनपद के बड़गांव थाने में तैनात एसएसआई दीपक चौधरी के मोबाइल पर कॉल आती है और उन्हें सूचना दी जाती है कि थाना इलाके के गांव किशनपुर में एक 55 वर्षीय विधवा महिला मीना की तबीयत खराब है। सूचना पर एसएसआई दीपक चौधरी ने सोचा कि लॉकडाउन के चलते मीना शायद भूखी होगी इसलिए उन्होंने अपने साथ खाने का पैकेट लिया और पहुंच गए किशनपुर। गांव में एसएसआई दीपक चौधरी जब उस महिला के मकान पर पहुंचे तो एक कच्चे मकान में अकेली बीमार पड़ी महिला मीना की स्थिति देखकर दीपक चौधरी का मन भर आया। ट्रेनिंग के दौरान आईपीएस डीके ठाकुर से मानवीय पुलिस का पाठ पढ़ चुके दीपक चौधरी ने तुरंत उस महिला को अपने साथ लाए खाने को खिलाने की कोशिश की। महिला ने अपनी बीमार हालत को देखते हुए थोड़ा सा खाना तो खा लिया मगर अब उसको इलाज की दरकार थी। एसएसआई दीपक चौधरी ने ग्रामीण महिलाओं से उस बीमार मीना को स्नान कराकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नानौता भिजवा दिया। एसएसआई दीपक चौधरी ने एक व्यक्ति की जिम्मेदारी लगाते हुए बीमार मीना को नानौता भेजा था। वहां इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मीना को जिला चिकित्सालय सहारनपुर भेज दिया गया, जहां उसकी लगातार हालत बिगड़ती चली गई और अंत में मीना ने रात में ही अपनी अंतिम सांस ले ली। एसएसआई दीपक चौधरी को जैसे ही मीना की मौत का समाचार मिला तो ना जाने क्यों उन्हें उसके अंतिम क्रियाक्रम की चिंता हुई । दोपहर 2 बजे से रात के 2 बजे के बीच मीना और दीपक चौधरी के बीच मानवता का ऐसा रिश्ता बन चुका था कि एसएसआई दीपक चौधरी ने तय कर लिया था कि मैं मीना का अंतिम संस्कार स्वयं करूंगा।
दीपक चौधरी ने इसलिए किया महिला का अंतिम संस्कार
दरअसल किशनपुर गांव के हरिया की पत्नी का देहांत हो चुका था । ऐसे में हरिया ने कहीं दूरस्थ स्थान की महिला मीना से दूसरी शादी की थी। शादी के बाद मीना को कोई बच्चा नहीं हो पाया जिस कारण पति-पत्नी दोनों अकेले रहते थे। पति का देहांत हुआ तो मीना अकेली पड़ गई। गांव के कच्चे मकान में रह रही मीना का स्वास्थ्य अपने पति के जाने के बाद धीरे-धीरे गिरने लगा और वह दुनिया से चली गई। मीना के देहांत के बाद दीपक चौधरी ने संकल्प लिया कि वह इस महिला का अंतिम संस्कार खुद करेंगे। गांव में जब महिला के शव को लेकर चलने की तैयारी हुई तो ग्रामीण पुलिस के उस चेहरे को देखकर हैरान रह रहे जब उन्होंने देखा कि थाने के एसएसआई दीपक चौधरी और उनके साथ पुलिस के सिपाही गौरव कुमार व विनोद कुमार इस अनाथ महिला की शव यात्रा को कंधा देकर शमशान घाट तक ले गए । जब मीना के शव को दीपक चौधरी ने स्वयं अग्नि के हवाले किया तो वहां मौजूद लोग हैरत भरी नजरों से पुलिस के एक मार्मिक और मानवीय चेहरे को देख रहे थे । दीपक चौधरी के इस मार्मिक और मानवीय कार्य से यूपी पुलिस की सोशल मीडिया से लेकर हर प्लेटफार्म पर प्रशंसा हो रही है कि क्या यूपी पुलिस में इतना बड़ा बदलाव आने लगा है । दीपक चौधरी कहते हैं इस महिला के अंतिम संस्कार के बाद जितनी भी सामाजिक रस्में होंगी, उनको मैं स्वयं निभाऊंगा।
डीके ठाकुर से सीखी मानवीय पुलिस
सख्त मिजाज अफसर के रूप में माने जाने वाले आईपीएस डीके ठाकुर को 2012 में सपा सरकार बनते ही पीटीसी चुनार मिर्जापुर में डीआईजी बनाकर भेज दिया गया था। उसी दौरान 2013 बैच के सभी सब इंस्पेक्टरों को ट्रेनिंग के लिए पीटीसी चुनार, मिर्जापुर भेजा गया था , उनमें शामिल थे वर्तमान में बड़गांव के एसएसआई सब इंस्पेक्टर दीपक चौधरी। पुलिस का मानवीय चेहरा बार-बार सहारनपुर की जनता के बीच पेश करने वाले एसएसआई दीपक चौधरी बताते हैं, जब ट्रेनिंग चल रही थी तो डीके ठाकुर सर सिखाते थे कि अपराधियों से कैसे सख्ती करनी है मगर आम जनता के साथ आपको अच्छा व्यवहार करना चाहिए । गरीब कमजोर की मदद भी पुलिस का धर्म है तब से लेकर एसएसआई दीपक चौधरी लगातार गुड़ पुलिसिंग कर रहे हैं।
पब्लिक डिमांड पर दो बार रिपोस्टिंग पा चुके हैं दीपक चौधरी
ट्रेनिंग के बाद दीपक चौधरी की पोस्टिंग अंडर ट्रेनिंग दरोगा के रूप में सहारनपुर जनपद के नागल थाने में हुई। पब्लिक से बेहतर सामंजस्य एवं क्राइम कंट्रोल में माहिर हो चुके दीपक चौधरी को नागल थाने से नकुड़ थाने भेज दिया गया। अपनी कार्यशैली से नकुड में जनता के बीच जम चुके दीपक चौधरी को तत्कालीन एसएसपी मनोज तिवारी ने कोतवाली सिटी भेज दिया था लेकिन जनता एवं जनप्रतिनिधियों ने एसएसपी मनोज तिवारी से दीपक चौधरी की नकुड में वापसी की अपील की, जिस पर एसएसपी ने दीपक चौधरी को वापस नकुड थाने पर पोस्ट कर दिया था । नकुड़ से दीपक चौधरी को सदर बाजार फिर चिलकाना और उसके बाद एसएसआई कोतवाली देहात बनाए गए । उसी दौरान सहारनपुर में जहरीली शराब का कांड हो गया। जनपद का नागल इलाका भी इस शराब कांड से प्रभावित हुआ तो नागल से आवाज उठी कि अंडर ट्रेनिंग दरोगा के रूप में शराब माफियाओं की नागल में कमर तोड़ चुके दीपक चौधरी को नागल में तैनात किया जाए वो शराब माफियाओं पर अंकुश लगा सकते हैं तब पुलिस कप्तान ने दीपक चौधरी को नागल थाने का एसएसआई बना दिया था । नागल के बाद दीपक चौधरी बड़गांव थाने के एसएसआई के रूप में मानवीय पुलिस कर रहे हैं।