यूपी में बदमाशों की पेशानी पर पड़े बल क्योंकि IPS प्रशांत बने DGP
लखनऊ। वैसे तो अब सर्द मौसम के बाद फरवरी की चटक धूप की शुरुआत होने वाली है ऐसे में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 1990 बैच के आईपीएस अफसर प्रशांत कुमार को यूपी का डीजीपी बनाकर बदमाशों की पेशानी पर बल डाल दिए हैं क्योंकि अभी तक बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोल अभियान चलाने वाले प्रशांत कुमार डीजी स्पेशल कानून व्यवस्था थे अब पूरी तरह से यूपी पुलिस की कमान उनके हाथों में आ चुकी है तो अपराधों के खिलाफ अभियान में तेजी आने की संभावना जताई जा रही है।
गौरतलब है कि 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनी तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शपथ ग्रहण के बाद ही ऐलान कर दिया था कि अपराधियों की उत्तर प्रदेश में खैर नहीं है। उन्होंने स्पष्ट मैसेज दे दिया था कि अपराधी या तो उत्तर प्रदेश छोड़ दें नहीं तो उन्हें दुनिया को भी अलविदा करना पड़ सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता वाले कानून व्यवस्था के मुद्दे पर यूपी पुलिस एक्टिव मोड में आई। ऐसे में 1990 बैच के प्रशांत कुमार को अपराध के लिहाज से उत्तर प्रदेश के सबसे संवेदनशील माने जाने वाले मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक की जिम्मेदारी सौंप दी गई।
एडीजी के तौर पर प्रशांत कुमार ने चार्ज संभालने के बाद से पूरे जोन में बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोल अभियान चलाया। उनके एडीजी मेरठ जोन के कार्यकाल के दौरान 65 बदमाशों को दुनिया को अलविदा कहना पड़ा
तेजतर्रार आईपीएस प्रशांत कुमार को 15 अगस्त 2017 को मेरठ जोन के एडीजी के रूप में भेजा गया था। एडीजी प्रशांत कुमार पर मेरठ जोन की कमान संभालने के बाद कानून एवं व्यवस्था की बड़ी चुनौती थी। जिसको एडीजी प्रशांत ने चुनौती मानते हुए कानून एवं व्यवस्था को कायम करने में सक्षम रहे। एडीजी प्रशांत की पुलिस ने मुठभेड़ में 65 अपराधियों को हेल एक्सप्रेस में सवार कर दिया था। एडीजी प्रशांत की पुलिस ने 2017 में 17 बदमाशों को अपराध की दुनिया के साथ ही ये जहां भी छोड़ने के लिए विवश कर दिया, यह सिलसिला यहीं नहीं रूका, बल्कि पुलिस ने एग्रीसिव पुलिसिंग के सहारे इसे बढ़ाते हुए 2018 में हुई मुठभेड़ों में 22 बदमाशों को यमलोक पहुंचाया तो वहीं साल 2019 में 20 बदमाशों का अंत किया तो 2020 का गणतंत्र दिवस भी नये अंदाज में मनाते हुए कुख्यात लखटकिया बदमाश चांद को अपराध की दुनिया से ओझल कर दिया और इसके बाद दो लाख के ईनामी बदमाश शक्ति नायडू को हेल एक्सप्रेस में सवार कर दिया।
पुलिस ने जिन 65 अपराधियों को आमना-सामना होने पर यमलोक पहुंचाया, उनमें 10 लखटकिया इनामी बदमाश शामिल रहे। मेरठ जोन में मारे गये बदमाशों में यूं तो कई बड़े नाम हैं, लेकिन एडीजी प्रशांत कुमार की बड़ी उपलब्धियों में लखटकिया बदमाश सबसे ऊपर रहे। इनमें सबसे बड़ी उपलब्धि हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश यानि तीन राज्यों की पुलिस का सिरदर्द कुख्यात बलराज भाटी का एनकाउंटर रहा। बलराज पर तीन राज्यों से ढाई लाख का ईनाम घोषित था। इसके बाद बड़े बदमाशों में एडीजी प्रशांत की पुलिस ने दो लाख के ईनामी कुख्यात अपराधी शक्ति नायडू का अंत किया था। डेढ़ लाख के इनामिया कुख्यात लुटेरे चांद मौहम्मद का सफाया पुलिस इससे पहले कर चुकी थी, जोकि इनामी बदमाशों के लिहाज से तीसरा बड़ा नाम था। जबकि आईपीएस प्रशांत कुमार के एडीजी मेरठ जोन के पद पर मौजूदा कार्यकाल की बड़ी चुनौती की बात करें तो दरोगा का कत्ल कर पुलिस हिरासत से फरार एक लाख के ईनामी बदमाश रोहित सांडू और उसके साथियों का एनकाउंटर उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखी जाती है। एडीजी प्रशांत कुमार के कार्यकाल में बलराज भाटी व शक्ति सहित 10 बदमाश एक लाख के इनामी थे, जो अपराध की दुनिया में दहशत का पर्याय बने रहे। इसके साथ ही 27 ऐसे बदमाशों का एनकाउंटर कर खात्मा किया गया, जिन पर पुलिस ने 50-50 हजार का इनाम तय किया था।
मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक के तौर पर प्रशांत कुमार ने 3 साल तक मेरठ जोन में कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया। कावंड़ यात्रा हो या सीएए का प्रदर्शन, प्रशांत कुमार ने पूरे जोन में पुलिस का इकबाल बुलंद बनाए रखा कई मौके पर तो प्रशांत कुमार खुद मौके पर पहुंचे और पुलिस बल का मनोबल बढ़ाते हुए सख्त कार्रवाई कराई।
एडीजी मेरठ जून के 3 साल के सफल कार्यकाल के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आईपीएस प्रशांत कुमार को एडीजी कानून एंव व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी। उसके बाद से उत्तर प्रदेश में अपराधीयो की शामत आ गई थी। प्रमोशन पाकर डीजी बनने वाले प्रशांत कुमार के बारे में पहले से ही कयास लगाया जा रहा था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहली पसंद के अफ़सर प्रशांत कुमार को डीजीपी की जिम्मेदारी मिल सकती है। अब योगी सरकार ने आईपीएस प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश का पुलिस महानिदेशक बना दिया है, तो उत्तर प्रदेश की बड़े-बड़े माफियाओं की पेशानी पर बल पड़ गए हैं क्योंकि माना जाता है कि आईपीएस प्रशांत कुमार अपराधियों को किसी भी तरह बख्शने की मूड में नहीं रहते हैं।