कोर्ट का हाई फैसला-पीड़िता की जांघों से स्पर्श भी रेप के समान
नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न के एक मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि पीड़िता की जांघ से स्पर्श किया जाना भी बलात्कार की श्रेणी में आएगा। हाईकोर्ट ने इस मामले में अपनी टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर कोई आरोपी पीड़ित की जांघों के बीच में गलत हरकत करता है तो उसे भी भारतीय दंड संहिता की मौजूदा धारा 375 के अंतर्गत परिभाषित बलात्कार के समान ही माना जाएगा।
बृहस्पतिवार को केरल हाईकोर्ट के समक्ष एक मामला आया, जिसमें कक्षा 6 की एक छात्रा का उसके पड़ोसी द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया था। पड़ोसी ने पीड़ित छात्रा को अश्लील वीडियो क्लिप दिखाकर उसकी जांघों के साथ गंदी हरकत की थी। मामला तूल पकड़ने के बाद इस मामले को लेकर निचली अदालत में सुनवाई हुई और मामले में पॉक्सो एवं अप्राकृतिक यौन संबंध मामले में आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। जब मामला केरल हाईकोर्ट के सम्मुख पहुंचा तो सुनवाई के दौरान विद्वान न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता की जांघ के साथ की गई हरकत भी धारा 375 सी के अंतर्गत परिभाषित बलात्कार ही है। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा है कि किसी भी महिला के शरीर के किसी भी हिस्से के साथ इस तरह की हरकत करना बलात्कार करने के बराबर ही है। केरल हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जियाद रहमान की पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि पीड़िता की जांघों के बीच में यौनाचार की तरह कोई भी हरकत करना महिला के शरीर के साथ छेड़छाड़ करना ही है और यह बलात्कार के अपराध के बराबर है। जब इस प्रकार जांघों के बीच यौनाचार जैसा कोई कृत्य किया जाता है तो वह निश्चित तौर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत परिभाषित बलात्कार के समान ही होगा।