फ्लैशबैकः जब IPS DK के कार्यकाल में जरूरतमंद बने इंटेलिजेंट और जेंटलमैन

फ्लैशबैकः जब IPS DK के कार्यकाल में जरूरतमंद बने इंटेलिजेंट और जेंटलमैन

लखनऊ। इंसान अमीर हो या गरीब, कुछ न कुछ सपना अपने मन सभी रखते हैं। कुछ परिवारों की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर होती है कि वह अपने व अपने बच्चों के लिये वस्त्र भी उपलब्ध नहीं कर पाते हैं। उनके लिये भोजन प्राप्त करने के लिये बड़ी मशक्कत करनी पड़ती हैं। सर्दी में ऐसे परिवारों के लिये वस्त्र होना बहुत आवश्यक हो जाता है क्योंकि अगर वह ठंड से नहीं बचेंगे तो उनकी जान भी जा सकती हैं। ऐसे परिवारों को ठंड से बचाने के लिये ऐसे में लखनऊ के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर धु्रव कांत ठाकुर (डीके ठाकुर) ने अपने अधीनस्थों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि वह उन्हें ठंड से बचाया जाये, जिसके बाद लखनऊ पुलिस के विभिन्न अधिकारियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में फुटपाथ या अन्य स्थानों पर पड़ें लोगों को कंबल और उनके लिये भोजन की व्यवस्था कराने के साथ बाद में उन्हें रेन बसेरे में भिजवाया गया था। इतना ही नहीं बल्कि बाद में लखनऊ के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर की अगुवाई में पुलिस वस्त्र सेवा केन्द्र ओपन किया गया और वहां पर ऐसे परिवारों को उपलब्ध कराने के लिये स्टाफ भी रखा गया, जो उन्हें वहां पर पधारने पर कपड़े मुहैया कराता था। कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षित करने के लिये भी तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर के नेतृत्व में विभिन्न स्थानों पर बुक बैंक भी व्यवस्था की गई थी, जो बच्चों को शिक्षित बना रही थी। लखनऊ के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर वर्तमान में मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक हैं। सीनियर आईपीएस अफसर डीके ठाकुर के लखनऊ कार्यकाल के दौरान गरीबों के हक में उठाये गये कदमों पर पेश है खोजी न्यूज की खास रिपोर्ट...

गौरतलब है कि पिछले दिनों साल 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी लखनऊ कमिश्नरेट में पुलिस आयुक्त के तौर पर पुलिसिंग कर रहे थे। उन्होंने अपने इस कार्यकाल में गरीबों के कल्याण पर जोर देते हुए अपने अधीनस्थों के साथ मिलकर कई अभिनव कदम उठाये हैं।


लखनऊ कमिश्नर रेट में पुलिस आयुक्त के तौर पर डीके ठाकुर ने फीता काटकर जॉइंट कमिश्नर कार्यालय में पुलिस वस्त्र सेवा केंद्र का उद्घाटन किया था, जिसके माध्यम से लखनऊ पुलिस द्वारा गरीबों को निःशुल्क कपड़े दिए गए थे। इस केंद्र दो पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे, जो सुबह 6ः00 बजे से कार्यालय बंद होने तक के लिये पुलिस वस्त्र सेवा केंद्र में कार्यरत किये गये थे। इस पुलिस वस्त्र सेवा केंद्र में दो प्रकार के कपड़े थे, एक तो नई कपड़े और एक पुराने कपड़े। जो लोग जरूरतमंद लोगों को वस्त्र देना चाहते थे, वह यहां आकर कपड़े दान कर सकते थे। पुलिस के इस अभियान को चार चांद लगाने में दुकानदार और व्यापारियों ने भी सहयोग किया था। इस सेवा केंद्र से कोई भी जरूरतमंद अपनी पसंद के दो कपड़े फ्री में ले जा सकता था और शुभारंभ के अवसर पर लगभग दो दर्जन से अधिक गरीबों को आईपीएस डीके ठाकुर द्वारा मुफ्त में वस्त्र बांटे गए थे। इस वस्त्र केंद्र में कोई भी व्यक्ति आकर अपने पुराने कपड़े दान भी कर सकता था, जिसकी उस व्यक्ति को एक रिसीविंग भी उपलब्ध कराई जा रही थी।

ठाकुरगंज इलाके में रहने वाली एक महिला को अपने बच्चों के लिये कपड़ों की आवश्यकता था। महिला की आर्थिकी माली हालत अच्छी नहीं थी। दम्पत्ति अपने स्वाभिमान की वजह से अपना दर्द किसी को भी बयां नहीं कर रहे थे। इसी बीच उनको पुलिस वस्त्र सेवा केन्द्र की जानकारी हुई तो वह कपल अपने बच्चों को लेकर वहां पर पहुंची। कपल द्वारा आधार कार्ड दिखाये जाने के पश्चात उनके बच्चों को ड्रेस और पति को जींस और टी-शर्ट भी मिल गई। कपड़ों की जरूरत होने पर उन्हें बहुत खुशी मिली। कपल जाते-जाते लखनऊ पुलिस को धन्यवाद बोल गये।

आईपीएस डीके ठाकुर के लखनऊ पोस्टिंग के दौरान ही पुलिस द्वारा पुलिस वस्त्र सेवा केन्द्र के बाद गरीबों को शिक्षित करने की शानदार पहल की गई। गरीबों के बच्चों को शिक्षित बनाने के लिये अलग-अलग कई स्थानों बुक बैंक स्थापित किये गये। ऐसे बच्चों, जो शिक्षित होना चाहते हैं और लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति सही न होने की वजह उनका सपना टूट जाता है। ऐसे बच्चों का सपना साकार करने के लिये जरूरतमंद और युवा अपनी सहूलियत के मुताबिक स्कूल, कॉलेज और प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ी किताबें बुक बैंक में से फ्री ऑफ कोस्ट दी जा रही थी और उन किताबों को वापस करने की कोई बाध्यता नहीं थी। इस बुक बैंक में प्रतियोगी परीक्षा से संबंधित किताबें, स्कूल और कॉलेज की किताबें, नए आविष्कार और विज्ञान कंप्यूटर से जुड़ी किताबें, एग्रीकल्चर और रोजगार से संबंधित किताबें, इतिहासकार और साहित्यकार की किताबें, प्राचीन काल से जुड़ी वैज्ञानिक और रोचक कहानियों की किताबें, देश की राजनीति से जुड़ी और फेमस हस्तियों की आत्मकथा की किताबें उपलब्ध कराई गई थी। इस बुक बैंक को सफल बनाने के लिये कई संस्थाओं ने अपना योगदान दिया था।


लखनऊ कमिश्नरेट के तत्कालीन पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा था कि पुलिस उपायुक्त अपने-अपने जोन में स्थापित रैन बसेरों का निरीक्षण करें और वहां पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करायें। उन्होंने कहा था कि पुलिस नगर निगम कर्मी एवं होमगार्ड की पांच की क्यूआरटी बनाई जाए ताकि सभी जोन में एक-एक क्यूआरटी की उपलब्धता रहे। यदि कोई व्यक्ति फुटपाथ या खुले स्थान पर सोता हुआ पाया जाए तो उसका नाम पता पूछ कर निकटतम रेन बसेरा में शिफ्ट किया जाए और उसके खाने-पीने रहने की व्यवस्था की जाए। इसके लिए थाने की पीआरवी का भी प्रयोग किया जाये। इस काम की वीडियो रिकॉर्डिंग फोटोग्राफी कराई जाए और उसे सुनिश्चित रखा जाए। कोई भी व्यक्ति किसी भी दशा में फुटपाथ और खुले स्थान पर सोता हुआ नहीं पाया जाए।

आईपीएस डीके ठाकुर ने खुद आगे आते हुए गोमतीनगर विस्तार थाने पर जरूरतमंद लोगों को ठंड से राहत दिलाने के लिये झुग्गी बस्तियों में निवास करने वालों लोगों को कंबल दिये गये थे। इस मौके पर कंबल वितरित करते हुए तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने संदेश देते हुए कहा था कि हर व्यक्ति के साथ पुलिस सहयोगी व दोस्त की भूमिका में नजर आयेगी। लखनऊ के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर की अपील पर लखनऊ के पुलिस अफसर व पुलिसकर्मी गरीबों की मदद के लिए आगे आए और ठंड से ठिठुर रहे गरीबों को न केवल गर्म कपड़े और मास्क दिए बल्कि उनका भोजन भी कराया था। साथ हिरेन बसेरे में उन्हें शिफ्ट करने की कार्यवाही की गई थी।

कोरोना काल में हर व्यक्ति पर संकट का दौर गुजर रहा था। प्रत्येक व्यक्ति अपनी जान की वरवाह कर रहा था। इस संकट के काल में पुलिस, डॉक्टर और मीडिया कठिन ड्यूटी कर रही थी। इस दौरान तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने लखनऊ की जनता को जागरूक करने के लिये 1090 चौराहे से मोटरसाईकिल रैली निकाली थी। आईपीएस डीके ठाकुर जागरूक रैली में शामिल होकर खुद मॉनिटरिंग कर रहे थे। राजधानी में ऑक्सीजन की पूर्ति कर रहे कर्मचारियों को लखनऊ सरोजनी थाना प्रभारी ने अपनी टीम के साथ पहुंचकर लगभग 60 मजूदरों को पानी की बोतल सहित खाना उपलब्ध कराया था। मजूदरों को नंबर दिया गया और जरूरत पड़ने पर उनके फोन करने के लिये कहा गया। जहां भी, जिसको खाने की जरूरत पड़ी, वहां पुलिस ने खाना पहुंचाने का काम किया था। साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले 5 लाख 52 हजार लोगों को चिन्हित कर स्वास्थ्य विभाग को सही जानकारी देने में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने अहम भूमिका निभाई थी।

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