शमशान घाट हादसा-आखिर हत्थे चढ ही गया 25 मौतों को जिम्मेदार ठेकेदार
गाजियाबाद। मुरादनगर में शमशान घाट और गलियारें के निर्माण के रूप में दो दर्जन से भी अधिक लोगों की मौत का बंदोबस्त करने वाला ठेकेदार अजय त्यागी आखिरकार तमाम भागदौड के बावजूद पुलिस की गिरफ्त में पहुंच ही गया। अब पुलिस की गिरफ्त में है, सोमवार देर रात गाजियाबाद पुलिस ने 25000 के ईनामी ठेकेदार को दो दिन की भागदौड के बाद गिरफ्तार कर लिया। दरअसल, रविवार को मुरादनगर में भरभराकर शमशान घाट के गलियारे का लेंटर गिरने से उसके नीचे दबे 25 लोगों की मौत हो गई थी। इस हौलनाक हादसे के बाद शमशान घाट के निर्माण में घटिया सामग्री प्रयोग करने की बात सामने आई है। हादसे के बाद से शमशान घाट और गलियारे का निर्माण कराने वाला आरोपी ठेकेदार अजय त्यागी फरार चल रहा था। तमाम खोजबीन के बाद पुलिस ने उस पर 25 हजार का इनाम घोषित किया था।
श्मशान घाट के गलियारे का निर्माण लगभग 2 महीने पहले ही पूरा हुआ था और लेंटर 15 दिन पहले ही खुला था। इसके लिए 55 लाख रुपये का ठेका अजय कुमार को दिया गया था। जिस तरह की सामग्री का इस्तेमाल शमशान घाट और गलियारे के निर्माण में किया गया, उस पर हादसे के बाद मौके पर आई एनडीआरएफ की टीम ने भी सवाल भी उठाए हैं। इस मामले में गाजियाबाद पुलिस ने मुरादनगर थाने में एफआईआर दर्ज करने के बाद नगर पालिका के 3 अधिकारियों, ईओ निहारिका सिंह, जेई सीपी सिंह और सुपरवाइजर आशीष सिंह को गिरफ्तार कर सोमवार को न्यायालय के सम्मुख पेश किया था। जहां से तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।
मुरादनगर में शमशान घाट के गलियारे की छत गिरने से 25 लोगों की मौत की घटना से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अधिकारियों से बेहद नाराज हैं। मुख्यमंत्री योगी ने मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं। कमिश्नर और गाजियाबाद के डीएम समेत कई बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।
मुरादनगर की घटना से बुरी तरह से व्यथित और नाराज मुख्यमंत्री सोमवार को अधिकारियों पर जम कर बरसे थे और घटना को अफसरों की गंभीर लापरवाही करार देते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि इस तरह की लापरवाही अक्षम्य है। ऐसे अपराध करने वाले अफसरों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। मुरादनगर हादसा ऐसे हालातों के बीच हुआ है जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर मंडलीय समीक्षा बैठक में अफसरों को साफ तौर पर यह निर्देश दिया था कि जिलों में हो रहे 50 लाख से अधिक की लागत के निर्माण कार्यो की गुणवत्ता की जांच टास्क फोर्स गठित कर हर हाल में करवा ली जाए. मुरादनगर की घटना अफसरों की लापरवाही का परिणाम है।