डीजी जेल की सराहनीय पहलः आत्मनिर्भरता की राह पर महिला बंदी
लखनऊ। डीजी जेल आनंद कुमार ने बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हुए सराहनीय पहल की है। उनकी इस पहल के तहत कोरोना काल में महिला बंदियों ने स्वावलम्बी होने की दृष्टि से अनेक कार्यों का न केवल प्रशिक्षण प्राप्त किया है, वरन प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कार्यों को अमलीजामा पहना रही हैं।
जानकारी के अनुसार डीजी जेल आनंद कुमार ने बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी रूचि के कार्यों का प्रशिक्षण दिये जाने के निर्देश दिये हैं। इन्हीं निर्देशों के अनुरूप बंदियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। डीजी जेल के निर्देशों के क्रम में जिला जेल रामपुर तथा जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से कार्य किया है। जिला जेल रामपुर के जेल अधीक्षक पीडी सलोनिया ने बताया कि मिशन शक्ति योजना की नोडल अधिकारी व सीडीओ गजल भारद्वाज के निर्देश पर जिला उद्योग केन्द्र के निदेशक तथा बैंक ऑफ बड़ौदा ने जेल में निरूद्ध महिला बंदियों के बीच सर्वे कराया। सर्वे में यह ज्ञात किया गया कि वे मिशन शक्ति योजना के तहत आत्मनिर्भर होने के लिए किस तरह का कार्य करने में रूचि रखती हैं। महिलाओं द्वारा रामपुर में पारम्परिक रूप से बनाये जाने वाले दुपट्टे चटापटी, पटापटी बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने में रूचि दिखाई गई।
रामपुर में परम्परागत रूप से नवाबी जमाने से दो तरह के दुपट्टे बनते हैं जिनमें एक का नाम चटापटी और दूसरे का नाम पटापटी है। पटापटी दुपट्टे जहां रंग-बिरंगे कपड़ों की कतरन से बनता है, वहीं चटापटी दुपट्टे बनाने के लिए सादे कपड़े पर सबसे पहले डिजाईन बनाया जाता हैं। इसके बाद उस डिजाईन पर पेंट किया जाता है और पेंट को पक्का करने के लिए उसे भाप से पकाया जाता है। फिलहाल 30 महिला बंदी इसका प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। इनमें से गंगा, नसरीन, ममता, कुमारी सुशीला जो कि हत्या के केस में बंद हैं, वे दुपट्टा बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं। दहेज प्रतिषेध अधिनियम में जेल में बंद सीमा, राजो देवी, अनीसा व एनडीपीएस एक्ट में निरूद्ध पार्वती व गोमती थापा भी पूर्ण मनोयोग से दुपट्टा बनाने के कार्य का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
महिला बंदियों द्वारा बनाये गये सामानों की प्रदर्शनी रामपुर हाट में लगाई जायेगी और जनता की मांग के अनुसार महिला बंदियों को कच्चा माल देकर उनसे दुपट्टे बनवाकर बाजार में उपलब्ध कराया जायेगा।