फर्जीवाड़ा कर करोड़ों के वारे-न्यारे करने वाले गैंग का पर्दाफाश
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में फर्जी कागजातों पर नया मोबाइल और सिम खरीद कर फर्जी कॉल सेंटर का संचालन करते हुए कार शोरूम मालिक बनकर बैंक मैनेजरों को झांसी में लेते हुए फर्जी खाते में रुपए ट्रांसफर करा कर ठगी करने वाले गिरोह के लगभग आधा दर्जन सदस्यों को गिरफ्तार कर पुलिस ने एक बड़े रैकेट का खुलासा किया है।
जिला मुख्यालय पर हुई प्रेसवार्ता में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने बताया कि धोखाधडी व जालसाजी कर लोगों से पैसे हडपने वाले अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस अधीक्षक नगर अभिषेक वर्मा के निकट पर्यवेक्षण तथा क्षेत्राधिकारी नगर प्रथम अभय कुमार मिश्र के कुशल नेतृत्व में पुलिस अधीक्षक नगर की सर्विलास टीम व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली संदीप कुमार सिंह की संयुक्त टीम ने मुखबिर की सूचना पर लोगो का आधार कार्ड , पैन कार्ड पर फोटो मिक्सिग कर फर्जी आईडी बनाकर उनके माध्यम से नया सिम व नया मोबाईल फोन खरीदकर फर्जी काल सैन्टर का संचालन कर बैंकों के मैनेजरों को अपने झांसे मे फंसाकर पैसा ठगने वाले गिरोह के पुनीत कुमार उर्फ डम्पी, विनय यादव उर्फ बबलू, मुन्ना साहू , विशाल शर्मा उर्फ काथु , पवन माझी, ब्रजमोहन, कपिल, चेतन व अफसर अली को लोनी में विनय यादव उर्फ बबलू के मकान पर दबिश देकर गिरफ्तार किया गया। जिनके कब्जे से 22 सिम कार्ड , 24 मोबाइल फोन , 45 एटीएम कार्ड , 06 चैक बुक .05 आधार कार्ड की छायाप्रति व 440500 रुपये व सीजशुदा वरना व बलेनो बरामद हुई।
जालसाज के ठगी करने के तरीकों का खुलासा करते हुए एसएसपी कलानिधि नैथानी ने बताया कि इस गैंग द्वारा बडे रसूखदार व कार एजेन्सीयों के मालिको के नाम से बैंक मैनेजरों को कॉल कर उन्हें झांसे में फंसाकर पैसे ठगने का काम किया जाता है। आरोपियों ने पूछताछ करने पर बताया कि हम लोग फर्जी आधार कार्ड व पैन कार्ड पर फोटो मिक्सिंग कर फर्जी आईडी तैयार कर उन फर्जी आईडी पर फर्जी सिम निकलवाते है और उन नम्बरों को बैंक अकाउन्ट में अपडेट करवाते है। ताकि हमारे बारे में किसी को कोई जानकारी न हो सके। अकाउन्ट नम्बरों का इन्तजाम होने के बाद हम कालिंग करने के लिए फर्जी आईडी पर फर्जी सिम खरीदते है तथा एक नया मोबाईल फोन खरीदते है। इसके बाद हम लोग यह पता लगाते है कि चार पहिया गाडी ( कार ) का शोरुम का खाता किस बैंक में है तथा उस शोरुम का मैनेजर कौन है। इसके बाद हम संबंधित मैनेजर के नाम से अपने नम्बर को ट्रूकॉलर पर सेव कर लेते है और उसी मैनेजर का फोटो भी लगा देते है। जिसके बाद हम शोरुम का मालिक बनकर उस बैंक के मैनेजर से बात करते हैं। कुछ दिन तक बैंक के मैनेजर से बात करने के बाद जब मैनेजर हम लोगों के पूर्ण विश्वास में आ जाता है। तब हम लोग अचानक बैंक के मैनेजर को फोन करके कहते है कि मैं आपको आरटीजीएस के लिए मेल कर रहा हूं, जो अर्जेन्ट है। आप इतना पैसा आर टी जी एस कर दीजिए। जिसमें विनय यादव उर्फ बबलू कम्पनी का फर्जी मालिक बनकर बैंक मैनेजरो से कुछ दिन पहले से बात करना शुरु करता है जब बैंक मैनेजर विश्वास में आ जाता है जो बैंक मैनेजर को फोन कर विनय यादव उर्फ बबलू बैंक मैनेजर को कहता हैं कि किसी काम के लिए कैश की आवश्यकता हैं। मैं आरटीजीएस के लिए मेल कर रहा हूं। तब बैंक मैनेजर रुपये ट्रांसफर कर देते है , जिस खाते में रुपये ट्रांसफर होते है उस खाते से अन्य खातों में विशाल शर्मा उर्फ काधु पेटीएम के माध्यम से बैंक से आए रुपए ट्रांसफर करता है। अभियुक्त पुनीत कुमार उर्फ डम्पी अकाण्ट उपलब्ध कराता है। इस प्रकार कॉलिग व डाटा कलेक्शन का काम विनय यादव उर्फ बबलू और पैसा ट्रांसफर का काम विशाल शर्मा उर्फ काधु एवं अकाउण्ट उपलब्ध कराने का का काम पुनीत गौतम उर्फ डम्पी का जो मुन्ना , पवन माझी , ब्रजमोहन , कपिल , चेतन , अफसर अली आदि से अकाउण्ट व एटीएम मंगाकर पैसा निकालने का काम करते है । बैंक मैनेजर द्वारा रुपये ट्रांसफर कर देने के बाद जिस फोन से बात करते है, उस फोन व सिम को तोड कर फेंक देते है ।