योगी सरकार की वापसी में पुलिस के बुलन्द इक़बाल का भी अहम रोल

योगी सरकार की वापसी में पुलिस के बुलन्द इक़बाल का भी अहम रोल

लखनऊ। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में सत्ता में वापस आकर 35 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भाजपा की उत्तर प्रदेश में सरकार रिपीट होने में पुलिस के बुलंद के इक़बाल की भी अहम भूमिका है। पुलिस विभाग ने जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिशन को पूरा करने के लिए अपराधियों पर सख्ती बरती जिस कारण अपराधियों में पुलिस का ख़ौफ़ पैदा हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आक्रमक कार्यशैली के बाद पुलिस जिस तरह अपराधियों के खिलाफ एक्टिव हुई तो यूपी की जेलों में हाउसफुल का बोर्ड नजर आता था।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा का चुनाव संपन्न हो गया है। मतगणना के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार फिर से वापस आ गई है। वैसे तो सरकार वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि, लॉकडाउन में राशन वितरण के साथ-साथ भाजपा के बेहतरीन मैनेजमेंट को भी श्रेय जाता है, मगर इस सरकार की वापसी में यूपी पुलिस की भी बड़ी भूमिका है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब मार्च 2017 में जब मुख्यमंत्री की शपथ ली थी तो उन्होंने सार्वजनिक मंच से ऐलान कर दिया था कि बदमाश या तो उत्तर प्रदेश छोड़ दें या जेल में चले जाएं, क्योंकि यूपी में अब गुंडों का राज नहीं चलेगा। यूपी को माफिया मुक्त करने के अपने अभियान के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के रूप में आईपीएस अफसर आनंद कुमार को तो अपराधियों का गढ़ माने जाने वाले मेरठ जोन का जिम्मा आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार को सौंप कर बदमाशों के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश दिया था।

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद यूपी पुलिस कुख्यात बदमाशों के खिलाफ एक्टिव मोड में आ गई। लखनऊ में बैठकर आईपीएस अफसर आनंद कुमार तो मेरठ में प्रशांत कुमार ने अपने मातहत अफसरों को बदमाशों के खिलाफ अभियान छेड़ने का आदेश दे दिया था। पूरे उत्तर प्रदेश में जिस बदमाश ने पुलिस पर हमला किया तो पुलिस ने भी उसकी गोली का जवाब गोली से दिया । जिसका नतीजा रहा कि पूरे 5 साल के कार्यकाल में लगभग 160 बदमाशों को यमलोक जाना पड़ा। जिस बदमाश ने भागने की कोशिश की, उसे पुलिस ने अपनी बुलेट का मजा चखाते हुए बड़े घर को रवाना करने का काम किया।

पुलिस का बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोल का रिजल्ट रहा कि बदमाशों ने जेल को ही अपनी सुरक्षित पनाहगाह का समझा। जिस बदमाश को लगा कि अब उसकी खैर नहीं है , उसने या तो जान की अमान मांगते हुए थाने में सरेंडर कर दिया या अपनी जमानत तुड़वा कर जेल में चले गए।

आजमगढ़, इटावा, कानपुर, जौनपुर, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, शामली, सहारनपुर , मेरठ, गाजियाबाद, बागपत, हापुड़, नोएडा, आगरा और अलीगढ़ जैसे जिलों में लगातार कुख्यात अपराधियों के विकेट गिरते रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कि बदमाशों के खिलाफ सख्त कार्यशैली का नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश की जेलों में हाउसफुल का बोर्ड टंगा नजर आने लगा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पुलिस केवल एनकाउंटर तक सीमित नहीं रही, पुलिस ने गुंडागर्दी के बल पर खड़े किए गए बड़े माफियाओं की संपत्ति पर भी बुलडोजर लगाकर इनकी संपत्ति जब्त करने का काम किया। पूरे उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर की अरबो रुपये की संपत्ति जब्त कर ली गयी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराधियों के खिलाफ आक्रमक कार्यशैली से बड़े बड़े बदमाश दहशत में नजर आए।

जब उत्तर प्रदेश में चुनाव आए तो चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के विभिन्न कोनों से आवाज आनी शुरू हुई कि योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में पब्लिक सुरक्षित घूम रही है। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री कार्यकाल में पुलिस द्वारा अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही का ही नतीजा रहा कि उत्तर प्रदेश में लूट ,डकैती, सुपारी लेकर हत्या करने जैसे बड़े अपराध सुनने को कम मिले।

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