जन्मदिन विशेष : कानून के दांवपेंच में माहिर हैं राजेन्द्र वशिष्ठ

जन्मदिन विशेष : कानून के दांवपेंच में माहिर हैं राजेन्द्र वशिष्ठ

मुजफ्फरनगरअक्सर फिल्मों में हमने एक डायलाॅग आमतौर पर सुना होगा, 'कानून के हाथ बहुत लम्बे होते हैं...', जी हां, पुलिस और मुजरिम के बीच कहानी फिल्मी हो या फिर हकीकत की जिन्दगी, खाकी कानून के सहारे अपराधियों तक पहुंच ही जाती है, कुछ पुलिस अफसर कानून के खेल में अपराधियों की हर चाल का मात देने का हुनर भी रखते हैं, ऐसे ही पुलिस अफसरों में शामिल हैं जनपद में शहर कोतवाली थाने की रामलीला टीला चौकी के इंचार्ज उप निरीक्षक राजेन्द्र वशिष्ठ, आज जनपद पुलिस फोर्स में राजेन्द्र वशिष्ठ एक ऐसे दरोगा के रूप में कार्यरत हैं, जिनका अपना एक 'प्राइवेट सर्विलांस' जिले के अधिकांश हिस्से में सक्रिय रहकर बेजोड़ ढंग से अपराधियों के मंसूबों को जमींदोज करने का काम कर रहा है। राजेन्द्र वशिष्ठ की कार्यप्रणाली का ही कमाल है कि वह जिले में ज्यादा समय तक चार्ज पर रहे है। कार्य के प्रति उनका समर्पण ही उनको दूसरे पुलिस कर्मियों की कतार में जुदा खड़ा करता है। पेश है उनके जन्मदिन पर 'खोजी न्यूज' की विशेष रिपोर्ट।

मूल रूप से वेस्ट यूपी के जनपद बुलन्दशहर के निवासी राजेन्द्र वशिष्ठ को शुरूआत से ही कानूनी दांवपेंच सीखने का शौक रहा है। उन्होंने गाजियाबाद डिग्री काॅलेज से कानून की पढ़ाई करते हुए एलएलबी की और इसके साथ ही अपनी पढाई को जारी रखते हुए परास्नातक तक पहुंचे। राजेन्द्र वशिष्ठ ने शिक्षा के बाद कानून से करियर बनाने की सोच को आगे बढ़ाया और गाजियाबाद कचहरी में एक वकील के रूप में वकालत भी की। कानून के दांवपेंच से वाकिफ राजेन्द्र वशिष्ठ के सामने पुलिस फोर्स का अवसर आया तो वह भर्ती परीक्षा में शामिल हो गये। संयोग था कि उनके तन पर 'काले कोट' का स्थान खाकी ने ले लिया। वह तब भी कानून के माहिर थे और खाकी के तन पर आने के बाद उनके कानूनी दांवेपेच को और भी धार मिल गयी। कानून की डिग्री होने का जो अनुभव उन्होंने किताबों के सहारे कचहरी की प्रैक्टिस से किया था, उसमें पुलिस की नौकरी ने और चार चांद लगा दिये। यही कारण है कि अपराधियों के खिलाफ उप निरीक्षक राजेन्द्र वशिष्ठ की कलम को उनके साथी भी बेजोड़ मानते हैं। 1990 बैच के पुलिस कर्मचारी के रूप में पुलिस विभाग में अपनी सर्विस शुरू करने वाले राजेन्द्र वशिष्ठ ने अण्डर ट्रेनी पुलिस कर्मी होने के दौरान ही फील्ड में अपराधियों के साथ अपने अफसरों के दिशा निर्देशन में लोहा लेना शुरू कर दिया था। वह कितनी मुठभेड़ में शामिल रहे, नौकरी के इस पड़ाव पर सही सही उनको भी याद नहीं, याद है तो कुछ बड़े अपराधियों के साथ हुआ आमना सामना, इसमें वह कहते हैं, कि पुलिस को अपनी आत्मरक्षा करने का अधिकार कानून ने ही दिया है। कानून की रक्षा करने का काम हम करते हैं, जब मुठभेड़ में दूसरी ओर से चुनौती मिलती है तो इसका जवाब देना भी चाहिए।'' उप निरीक्षक राजेन्द्र वशिष्ठ की अपराध उन्मूलन के लिए कार्यप्रणाली काफी बेजोड़ रही है। उनके द्वारा कई ऐसी घटनाओं का अल्प समय में ही खुलासा करते हुए अपराधियों को दबोचा गया, जो पुलिस के सामने चुनौती से कमतर साबित नहीं हो रही थी। इनमें कुछ घटनाओं का अनावरण तो 48 घंटे या इससे भी कम समय के भीतर राजेन्द्र वशिष्ठ द्वारा कराया गया। इसमें मेडिकल स्टोर पर हुई चोरी की वारदात भी शामिल है। 30 जुलाई 2020 को यह चोरी हुई और 1 अगस्त को इसका खुलासा करते हुए राजेन्द्र वशिष्ठ ने तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया। इस घटना में उन्होंने शत प्रतिशत चोरी का माल बरामद किया।

राजेन्द्र वशिष्ठ बिजनौर, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर में विभिन्न थानों में तैनात रहे। उनको 2011-12 में उप निरीक्षक बनाया गया। इसके साथ ही मुजफ्फरनगर जनपद में वह बुढ़ाना, छपार, शाहपुर, खतौली और शहर कोतवाली थानों में तैनात रहे। वह इन थानों के अन्तर्गत विभिन्न पुलिस चौकी के इंचार्ज बने। शहर कोतवाली की रामलीला टीला चौकी पर उनको तीसरी बार इंचार्ज बनाया गया, क्योंकि क्षेत्र में वह अपराध पर काबू पाने के साथ शांति व्यवस्था में अपनी कार्यप्रणाली के कारण सफल रहे हैं। शासन से उनको इंस्पेक्टर के रूप में प्रमोट किया गया, इसके लिए 1 जून को वह इंस्पेक्टर प्रमोशन की ट्रैनिंग को भी पूरी कर चुके हैं।

जब बुजुर्ग महिला के बेटे को कराया जिम्मेदारी का अहसास

शहर कोतवाली के सब इंस्पेक्टर राजेन्द्र वशिष्ठ जहां अपनी कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते हैं, वहीं कानून का पालन करने के साथ उनके सख्त रवैये में एक मानवीय दृष्टिकोण भी गाहे-बगाहे झलकता है। जब मुजफ्फरनगर पुलिस की कमान आईपीएस अनंत देव के हाथों में थी, तो उस दौरान भी राजेन्द्र वशिष्ठ रामलीला टीला चौकी के इंचार्ज थे, एक शाम जब वह चौकी पर अपने कार्य में व्यस्त थे तो यकायक उनकी निगाह चैकी की सीढ़ियों के नजदीक एक बुजुर्ग महिला पर पड़ी, जो काफी परेशान दिखाई दे रही थी। वह उस वृद्धा के पास गये और सिपाही के सहारे महिला को कार्यालय तक बुलाया, वृ द्धा को पानी पिलाया और फिर उसकी पीड़ा जानने का प्रयास एक पुलिस अफसर नहीं, बल्कि बेटा बनकर किया। बुजुर्ग महिला भी सहानुभूति पाकर संभली और अपने बेटे व बहू के व्यवहार की शिकायत सामने रखी। रात के 8 बजे चैकी पहुंची यह वृद्धा भूखी थी, यह देखकर राजेन्द्र वशिष्ठ ने सिपाही को बुलाया और वृद्धा के घर से उसके बेटे को बुलवाया। उन्होंने चैकी पहुंचे उसके पुत्र को मानवता का पाठ इस अंदाज से पढ़ाया कि उसको अपने व्यवहार पर शर्मिन्दा होना पड़ा और वह अपनी मां को खुशी खुशी घर लेकर गया।

लाॅक डाउन में जब राजेन्द्र ने बांटे पराठे





लाॅक डाउन में भी उप निरीक्षक राजेन्द्र वशिष्ठ की मानवता सामने आई, एक तरफ जहां उन्होंने शहर कोतवाली के हनुमान चौक पर ड्यूटी पर तैनात महिला एवं पुलिसकर्मियों के साथ ही सड़क पर बेसहारा घूमते एक बुजुर्ग को पराठे बांटकर उनकी सहायता की, वहीं लाॅक डाउन का पालन कराने के लिए वह चौकी क्षेत्र में बेवजह घर से बाहर निकलने वाले लोगों के खिलाफ सख्ती से चैकिंग अभियान चलाते भी नजर आये। हनुमान चैक पर जब वह पुलिस कर्मियों को नाश्ते के रूप में पराठा देकर आगे बढ़ते है तभी रोड पर एक बेसहारा बुजुर्ग दिखाई पड़ता है, राजेन्द्र वशिष्ठ उसे रोककर उसका हालचाल लेते है और पूछते है बाबा भूख लगी है ,हाँ में उत्तर मिलता है तो सब इंस्पेक्टर राजेन्द्र वशिष्ठ अपने बैग से दो पराठे निकाल कर उस बुजुर्ग को पकड़ा देते है। यह उनका मानवीय दृष्टिकोण था, इसके बाद रामलीला टिल्ला चौकी इंचार्ज के रूप में राजेन्द्र वशिष्ठ अपनी ड्यूटी पर भी मुस्तैद नजर आते हैं, सरकार के द्वारा लॉक डाउन में दी हुई समय सीमा में लोगो को रोककर हिदायत देने के साथ ही वह बेवजह आने जाने वालों के खिलाफ वाहन चेकिंग अभियान चलाकर सख्त रवैया अख्तियार करते भी दिखाई दिये।

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