जन्मदिन विशेष- बहादुरी से इंसाफ दिलाते है इंस्पेक्टर विजय
मुज़फ्फरनगर । पुलिस में भर्ती होने के बाद सबके काम करने का अंदाज अलग होता है कोई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हो जाता है तो कोई सर्विलांस का मास्टर, मगर कुछ पुलिस वाले ऐसे होते है जिन्हें इंसाफ पसंद होता है। झूठी नामजदगी में मुल्जिम बन चुके व्यक्ति को इंसाफ दिलाना बड़ी बात होती है मगर अगर विवेचक ठान ले कि उसे निष्पक्ष होकर काम करना है तो इंसाफ में कोई अड़ंगा नही लगा सकता है। आज ऐसे ही एक इंस्पेक्टर के जन्मदिन पर उनकी निष्पक्ष कार्यशैली पर खोजी न्यूज की खबर।
मुज़फ्फरनगर जनपद के थाना ककरौली के इंस्पेक्टर विजय बहादुर का आज जन्मदिन है। 5 मई को जन्में विजय बहादुर ने 2007 में सब इंस्पेक्टर के रूप में पुलिस विभाग में भर्ती हुए। मेरठ ज़ोन के जनपद बुलंदशहर से थाना प्रभारी की पारी शुरु करने वाले विजय बहादुर थाना स्याना, ओरंगाबाद, बीबी नगर, जहांगीर पुर, खुर्जा देहात के थानाध्यक्ष रह चुके है।
पुलिस में भर्ती होने के बाद से ही विजय बहादुर की मंशा रही है कि वो किसी भी पीड़ित व्यक्ति को इंसाफ दिला पाएं और उनकी इस मंशा को और बल तब मिला जब बुलंदशहर के ओरंगाबाद थाने के वो इंचार्ज थे और निष्पक्ष कार्यवाही के पक्षधर आईपीएस अनंतदेव तिवारी वहां के एसएसपी थे ।
दरअसल एक महिला के मकान में दो छात्र किरायेदार थे । वो महिला बाद में अपनी छोटी बहन की शादी उनमें से एक छात्र से करने की कोशिश में जुट गई। कई बार बात करने के बाद भी उस छात्र ने जब शादी के लिए हां नही भरी तो उस महिला ने अपनी 6 साल की बच्ची से दुष्कर्म का आरोप उस छात्र पर लगाते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया, थाना प्रभारी विजय बहादुर ने मुकदमा लिखने के बाद जब विवेचना शुरू की तो उन्हें मुकदमा झूठा पाया गया। अब विजय बहादुर के सामने समस्या यह थी मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपी को कैसे क्लीन चिट दे।
थानाध्यक्ष विजय बहादुर गहनता से जांच कर जब संतुष्ट हो गए कि मुकदमा झूठा है तब उन्होंने बुलंदशहर के तत्कालीन एसएसपी अनंतदेव को पूरे मामले से अवगत कराया तो निष्पक्ष कार्यवाही के पक्षधर माने जाने वाले आईपीएस अनंतदेव ने विजय बहादुर को मुकदमा एक्सपंज करने के आदेश दे दिए।
पीड़ित को इंसाफ दिलाने की उनकी मुहिम पर जब एसएसपी अनंतदेव ने मोहर लगा दी तो तब से लेकर अब तक विजय बहादुर अपनी कलम से न्याय की कोशिश करते रहते है।
इंस्पेक्टर विजय बहादुर जब ओरंगाबाद के बाद बीबीनगर थाने के इंचार्ज बनकर गए थे तो उसी दौरान एक महिला की हत्या हो गयी थी। उस महिला के लड़के की पत्नि से परिवार का विवाद चल रहा था । इसी वजह से मृतक महिला के परिजनों ने लड़के की पत्नि के मायके वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा पंजीकृत करा दिया। विजय बहादुर ने जब इस कत्ल की गहनता से जांच शुरू की तो सामने आया कि मृतक महिला के दामाद ने ही हत्या की है। जांच में सभी तथ्य जुटाकर विजय बहादुर ने एफआईआर में नामजद बहु के मायके वालों की नामजदगी हटाते हुए हत्यारे दामाद को जेल भेज दिया था।
बुलंदशहर के बाद विजय बहादुर का ट्रांसफर हापुड़ जनपद कर दिया गया। हापुड़ में विजय बहादुर बाबूगढ़, सिंभावली, पिलखुवा थाना प्रभारी के साथ साथ क्राइम ब्रांच के इंचार्ज के रूप में भी काम किया है।
हापुड़ के बाद विजय बहादुर को मुज़फ्फरनगर जनपद में तैनात किया गया। मुज़फ्फरनगर में सबसे पहले उन्हें फुगाना थाने की ज़िम्मेदारी दी गयी। वहां के बाद विजय बहादुर को शाहपुर थाना प्रभारी बनाया गया। शाहपुर में पोस्टिंग के दौरान ही विजय बहादुर को प्रमोशन मिला और वो इंस्पेक्टर बन गए।
शाहपुर कोतवाल के रूप में तावली गांव में हुए एक लड़की के मर्डर को भी इंस्पेक्टर विजय बहादुर ने तमाम विरोध के बावजूद तथ्यों के आधार पर इस घटना को वर्कऑउट कर उसके कातिलों को जेल भेज दिया था।
शाहपुर के बाद इंस्पेक्टर विजय बहादुर अब ककरौली थाने की कमान संभाले हुए है। ककरौली में गौकशी के खिलाफ विजय बहादुर अभियान चलाए हुए है। पिछले दिनों एक इनामी गौकश को उन्होंने एनकाउंटर में घायल कर जेल भेज दिया था।