अतुल ने ख़ाकी को चुना क्योंकि पीड़ित को इंसाफ दिलाना था मकसद

अतुल ने ख़ाकी को चुना क्योंकि पीड़ित को इंसाफ दिलाना था मकसद

मुजफ्फरनगर। पीपीएस अधिकारी के बचपन से दिल में 'ख़ाकी वर्दी' को पहनने का जज्बा था। पब्लिक की सेवा के लिये 'खाकी वर्दी' को पाना ही संघर्ष था। दिल में 'ख़ाकी वर्दी' का जज्बा रखते हुए उन्होंने संघर्ष करना शुरू कर दिया था। केवल उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ ख़ाकी की ओर ही आकृषित रहता था। पीपीएस अधिकारी ने कई बार प्रयास किये पर वह सफल न हो सके। उन्होंने असफल होने पर भी अपने घुटने नहीं टेके और निरंतर प्रयास करते रहे। वर्ष 1997 में परीक्षा को पास कर उन्होंने अपनी 'ख़ाकी वर्दी' की मंजिल को पा लिया था। पीपीएस अधिकारी बनने के बाद उन्हें तेज क्राईम वाले चुनौतीपूर्ण जनपद मिले। उन्होंने चुनौती को वेलकम करते हुए उसका निपटारा किया। वैसे तो उनकी तैनाती कई जनपदों में रही। परंतु उनके लिये सबसे ज्यादा मेरठ और अलीगढ़ चुनौतीपूर्ण रहे। उन्होंने यूं तो कई बड़ी घटनाओं को बेनकाब करने का काम किया है। आज हम आपको जनपद अलीगढ़ में उनके द्वारा किये गये गुडवर्कों से रूबरू कराते हैं। जनपद अलीगढ में उनकी दो बार तैनाती रही। उन्होंने यहां पर 'एक्टिव पुलिसिंग' कर दिखाई। अलीगढ़ में आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम में कैश भरने आई वैन से बदमाशों ने 34.50 लाख रूपये लूट लिये थे। उन्होंने अपने दिमागी कौशल से इस वारदात का भी खुलासा कर बदमाशों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया था। पीपीएस अधिकारी श्रीवास्तव का कहना है कि ईश्वर की कृपा है कि जिस वारदात के पीछे लगा और वह खुली ना हो। जी हां बात कर रहे हैं 1997 बैच के पीपीएस अधिकारी एवं जनपद मुजफ्फरनगर में एसपी देहात के पद पर तैनात अतुल कुमार श्रीवास्तव की। शासन ने पीपीएस अधिकारी अतुल कुमार श्रीवास्तव को जनपद मुजफ्फरनगर में 11 जनवरी 2021 को तैनात किया था। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति अपराध करेगा, ऐसे बदमाशों को एक-एक कर उनके अंजाम तक पहुंचाया दिया जायेगा।

अतुल कुमार श्रीवास्तव का जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद गोरखपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम एस.एल. श्रीवास्तव है। उनके पिता झारखंड के सीमेंट फैक्ट्री में असिस्टेंट जनरल मैनेजर थे। इसी कारण उनकी हाईस्कूल की शिक्षा झारखंड से ही हुई हैं। उसके बाद उन्होंने मैथ्स और फिजिक्स से बीएससी की डिग्री हासिल की है। पीपीएस अधिकारी अतुल कुमार श्रीवास्तव ने खोजी न्यूज को बताया कि वह एक पुलिस अफसर बनकर पब्लिक की सेवा करना चाहते थे। उन्होंने कई बार पुलिस अफसर बनने के लिये परीक्षा और इंटरव्यू भी दिये। उन्होंने हार न मानी और लगातार अपनी तैयारी में जुटे रहे। उन्होंने पीपीएस की परीक्षा और इंटरव्यू को पास कर साल 1997 बैच के पीपीएस अफसर बनकर पब्लिक सेवा करने के लिये अपनी मंजिल पाने में कामयाब हो गये थे। उनकी पहली पोस्टिंग जनपद रायबरेली में डिप्टी एसपी के पद पर हुई। रायबरेली से उनका तबादला जनपद गाजियाबाद में हो गया। उसके बाद शासन ने जनपद मेरठ में उनको डिप्टी एसपी सदर के पद पर कार्यरत किया। पीपीएस अफसर अतुल कुमार श्रीवास्तव को मेरठ से ट्रांसफर कर जनपद इलाहाबाद में भेज दिया गया। इलाहाबाद के बाद वह जनपद मथुरा में ही डिप्टी एसपी के पद तैनात रहे। उसी दौरान शासन ने उनको प्रमोट कर कानपुर नगर में एसपी सिटी के पद पर कार्यरत कर दिया। उसके बाद वह अलीगढ़ और बुलंदशहर में एसपी सिटी के पद पर तैनात रहे और अब वह जनपद मुजफ्फरनगर में 11 जनवरी से एसपी देहात के पद पर कमान संभाले रहे हैं।

पीपीएस अधिकारी वर्ष 2017 में जनपद अलीगढ के एसपी सिटी के पद पर तैनात थे। थाना गांधी पार्क के क्षेत्र के धनीपुर मंडी के निकट आईसीआईसीआई बैंक के एटीएम में कैश भरने आई सीएमएस कंपनी की वैन से 17 जुलाई को 34.50 लाख रूपये बदमाशों द्वारा लूट लिये थे। इस वारदात का खुलासा करना उनके लिये चुनौती बन गई थी। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए इस वारदात को बेनकाब करने के लिये पीपीएस अधिकारी अतुल कुमार श्रीवास्तव जुट गये थे। इस वारदात के घटनास्थल के सामने फुटपाथ पर रोटी का ढ़ाबा चलाने वाले राॅकी की काॅल डिटेल और उसकी बदमाशों से फोन पर हुई बातचीत का विवरण इकट्ठा करने के पश्चात हुआ था। पीपीएस अधिकारी अतुल की अगुवाई में इस वारदात में शामिल 6 बदमाशों को अलग-अलग थानों की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तार किये गये बदमाशों ने अपना नाम सोनू चौधरी, रजत शर्मा, हनुमान उर्फ दीपक, अरूण राघव उर्फ टौरी, आदेश उर्फ राॅकी, मोहित बताया था। पुलिस ने उनके कब्जे से 6 लाख 5 हजार रूपये नकद, भारी मात्री में अवैध असलहा व 2 बाईकें बरामद की गई थी। इस वारदात का मास्टरमाइंड सोनू चैधरी पुत्र सुरेन्द्र सिंह निवासी ढुकपुरा, थाना गोंडा जनपद अलीगढ था। सोनू पर जनपद अलीगढ़ के विभिन्न थानों में हत्या के प्रयास, गैंगस्टर, गुंडा एक्ट समेत आधा दर्जन मुकदमे पंजीकृत हैं। पुलिस को बदमाशों से पूछताछ करने पर ज्ञात हुआ था कि 24 जुलाई को वह एयरटेल कंपनी का छह लाख रूपये का कैश लूट वाले थे। लेकिन इससे पहले ही अतुल कुमार का उन पर शिकंजा कसा गया। आईसीआईसीआई बैंक के सामने ही एयरटेल का दफ्तर था। इनका कार्यालय तो रमेश विहार चला गया था, लेकिन कैश का कार्य पुराने आॅफिस पर ही होता है। इसकी सटीक जानकारी रजत शर्मा को थी। इसी आधार पर 24 जुलाई 2017 को एयरटेल के कैश लूटने की योजना बनाई थी।

बदमाश एक दिन एटीएम बूथ के सामने राॅकी के ढ़ाबे पर खाना खा रहे थे। इसी दौरान कैश वैन को देखकर उन्होंने उसे लूटने की योजना बनाई। यह बदमाश जेल से बाहर आये हुए थे। राॅकी इनके लिये मुखबिरी करने के लिये तैयार हो गया था। तमाम बदमाश क्वार्सी स्थित अन्नापुरम काॅलोनी में सुमित चैधरी के किराये के फ्लैट पर रहने लगे। विकास खुजली, सोनू चैधरी, हुनमान उर्फ दीपक, राॅकी, रजत शर्मा, मोहित, गोपाल, ललित ने वारदात को अंजाम देने के लिये योजना बनाई। रैकी में पता चला कि एटीएम पर कैश वैन सोमवार को 3 बजे, बुधवार को ढाई बजे एवं शुक्रवार को लगभग शाम के 4 से साढे चार बजे के बीच आती है। सोनू और रजत ने धनीपरु मंडी के एटीएम पर पहंुचकर माहौल देखा। योजना बनाने के दौरान ही एक-एक भूमिका तय की गई। हनुमान, रजत एवं रोहित को हथियार व कारतूस उपलब्ध कराने का दायित्व सौंपा गया। टौरी, विकास, सुमित और सोनू को वारदात को अंजाम देने के लिये लूट की बाईकों की व्यवस्था करने के लिये जिम्मा दिया गया। इसके अंतर्गत हरदुआगंज के ताला नगरी से अपाचे बाईक को लूटा गया था। ललित और गोपाल को वारदात के पश्चात तमाम बदमाशों को लूटे गये कैश के साथ सुरक्षित स्थान पर स्काॅर्पियो द्वारा पहुंचाने का दायित्व सौंपा गया। राॅकी को वारदात के पश्चात होने वाली पुलिस की गतिविधियों के विषय में सूचना देने का दायित्व सौंपा गया। लूटे गये माल में सभी का हिस्सा बराबर तय हुआ था।

पीपीएस अधिकारी अतुल कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में थाना जवां पुलिस और एसओजी टीम ने चैकिंग के दौरान चार अपराधियों को अरेस्ट करते हुए दो वारदातों का खुलासा किया था। तलाशी के दौरान पुलिस ने तमाम अपराधियों के कब्जे से 1.60 लाख रूयये, 2 तमंचे, 2 पिस्टल, 9 कारतूस व वारदातों में प्रयुक्त होने वाली 1 स्काॅर्पियों कार बरामद की थी। पुलिस को लुटेरों ने अपना नाम पूरन सिंह, योगेश, दीपक, रजत व बन्नादेवी बताया था।

पुलिस को पूछताछ में लुटेरों ने जुर्म स्वीकार करते हुए बताया कि प्रकाश पेस्टी साइड फर्म, रोडवेज बस स्टैंड के सैल्समैन से 1 अगस्त 2017 की राज देहात क्षेत्र से तकादे की वसूली कर वापस आते वक्त कासिमपुर- अनूपशहर रोड पर लुटेरों ने गाड़ी रूकवाकर 3 लाख 72 हजार रूपये लूट लिये थे। गिरफ्तार किया गया लुटेरा योगेश ही लूट का मास्टरमाइंड था और उसने ही साथियों के संग मिलकर फुल पू्रफ वारदात का अंजाम दिया था। इसके अलावा लुटेरों ने कस्बा छर्रा में 15 जून 2017 को अतरौली रोड पर स्थित तिवारी धुलाई सेंटर के स्वामी के घर में परिवार वालो को बंधक बनाकर लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया था। लुटेरों के पास से पुलिस ने 2 चांदी के सिक्के व 2 पायजेब बरामद की थी। लुटेरों ने बताया कि वारदात के पश्चात पुलिस उनकी तलाश में लगी हुई थी, जिससे बचने के लिये उन्होंने गांधीपार्क थाने में तैनात रहे उनके पूर्व परिचित सिपाही जितेन्द्र कुमार की सहायता ली। सिपाही ने उन्हें बचाने के लिये उनसे 90 हजार रूपये ले लिये थे। सिपाही को प्रारंभिक जांच में दोषी मिलने पर उसे निलंबित कर दिया गया था।

पीपीएस अधिकारी अतुल कुमार श्रीवास्तव को शासन ने दोबारा अलीगढ़ का एसपी सिटी बनाया था। इस दौरान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अलीगढ़ के बदमाश राजू उर्फ राजकुमार को गैंगस्टर एक्ट में चार वर्ष की कैद और पांच हजार रूपये का अर्थदंड की सजा सुनाई थी। 25 अगस्त 2015 को खुर्जा देहात के थाना प्रभारी द्वारा अलीगढ़ के गंाव जखौता निवासी राजू उर्फ राजकुमार के विरूद्ध गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई थी। आरोपी राजू उर्फ राजकुमार द्वारा एक संगठित गिरोह बनाकर लूटपाट, चोरी, डकैती आदि वारदातों को अंजाम दिया था। एसपी सिटी अतुल कुमार श्रीवास्तव द्वारा मामले की प्रभावी माॅनीटरिंग की गई थी। एडीजे तृतीय द्वारा गवाहों के बयान, साक्ष्यों को अवलोकन और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनकर आरोपी राजू उर्फ राजकुमार को दोषी पाया गया था। न्यायाधीश ने बदमाश राजू को चार साल की कैद और पांच हजार रूपये के अर्थदंड की सजा सुनाई थी।

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