अपर महानिरीक्षक कारागार को दी भावभीनी विदाई

अपर महानिरीक्षक कारागार को दी भावभीनी विदाई

लखनऊ। कारागार मुख्यालय के सभागार में डॉ. शरद कुलश्रेष्ठ अपर महानिरीक्षक कारागार का सेवानिवृत्ति के उपरांत समारोह का आयोजन कर भावभीनी विदाई दी गई। आज ही कारागार मुख्यालय में वरिष्ठ सहायक श्रीप्रकाश श्रीवास्तव भी सेवानिवृत्त हो गये।

गौरतलब है कि डॉ. शरद कुलश्रेष्ठ कारागार प्रशिक्षण एवं विकास का प्रभार भी देख रहे थे। वे वर्ष 1983 में लोक सेवा आयोग से जेल अधीक्षक के पद पर चयनित हुए और तब के जेल ट्रेनिंग स्कूल लखनऊ में एक वर्ष की ट्रेनिंग पूरी की। इसके बाद 2 सितम्बर 1986 से उन्होंने सेंट्रल जेल फतेहगढ़ में अपर अधीक्षक के पद से अपनी कारागार सेवा प्रारंभ की। इसके पश्चात वे जेल अधीक्षक, वरिष्ठ जेल अधीक्षक के रूप में जिला जेल उरई, मुरादाबाद, पीलीभीत, अलीगढ़, लखनऊ, झांसी, मेरठ, सेंट्रल जेल बरेली, सेंट्रल जेल फतेहगढ़ में रहे। वे उपनिदेशक डॉ. सम्पूर्णानंद कारागार प्रशिक्षण संस्थान लखनऊ भी रहे। उपमहानिरीक्षक कारागार के रूप में वे कारागार मुख्यालय लखनऊ तथा आगरा रेंज भी रहे। वे पदोन्नत होकर 2 दिसम्बर 2017 को अपर महानिरीक्षक कारागार मुख्यालय बने और आज इसी पद से सेवानिवृत्त हुए।


उन्हें कारागार की सराहनीय सेवाओं के लिये वर्ष 2007 में राज्यपाल द्वारा गणतंत्र दिवस पर विशिष्ट सेवा पदक, इसी वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर सुधारात्मक सेवा पदक, गणतंत्र दिवस 2017 पर राष्ट्रपति द्वारा सुधारात्मक सेवा पदक, गणतंत्र दिवस 2019 पर महानिरीक्षक कारागार का सिल्वर कमेंडेशन डिस्क दिया गया।

डॉ शरद एमए, एलएलबी, पीएचडी हैं तथा कारागार नियमों के अच्छे जानकार और विशेषज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित रहे। वे साहित्यिक अभिरुचि के भी धनी हैं। हिंदी साहित्य में उनकी विशेष रुचि थी और उनके अध्ययन कक्ष में 5000 से भी अधिक पुस्तकें सुशोभित हैं। ये वे पुस्तकें हैं, जो पढ़ने के बाद दान किये जाने के बावजूद बची हैं। जिला जेल लखनऊ सहित प्रदेश की अनेक जेलों के पुस्तकालयों में बन्दियों की शिक्षा एवं ज्ञान हेतु उनके द्वारा दान की गईं हजारों पुस्तकें संरक्षित हैं।

इसके अतिरिक्त प्रदेश की जेलों में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टैक्नोलॉजी की अनुशांगिक इकाई रंगनाथन सोसाइटी का सहयोग लेकर प्रदेश की 10 जेलों में बिम्टेक पुस्तकालयों की स्थापना कराना उनके उल्लेखनीय कार्यों में से एक हैं। अनेक नई जेलों का निर्माण एवं शुभारंभ कराने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही।

वर्तमान नवीन कारागार मुख्यालय भवन का निर्माण और उसमें संग्रहालय की स्थापना भी उनके विशिष्ट प्रयास का परिणाम है। मॉडल प्रिजन मैन्युअल का कार्य भी उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में है।


विदाई समारोह में डाॅ. शरद के बैच के साथी तथा पिछले वर्ष अपर महानिरिक्षक कारागार पद से रिटायर हुए वीके जैन ने अनेक सुखद यादें साझा कीं। डॉ. शरद का कार्यभार संभाल रहे उपमहानिरीक्षक कारागार वीपी त्रिपाठी ने उनकी कारागार मामलों में विशेषज्ञता और विभागीय सेवाओं के लिए याद किया। डीजी आनन्द कुमार ने सेवानिवृत्त हुए दोनों कार्मिकों को शुभकामनाएं दीं। डाॅ. शरद की सेवाओं की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने 20 माह के कारागार विभाग के कार्यकाल में उन्हें बेहद परिश्रमी, क्षमतावान अधिकारी और सहयोगी के रूप में पाया। आदर्श कारागार से आये आदर्श बन्दी बैंड ने गाजे-बाजे के साथ उनके वाहन को मुख्यालय भवन से शानदार विदाई दी। इस अवसर पर उपमहानिरीक्षक कारागार मुख्यालय संजीव त्रिपाठी, अवकाश प्राप्त कारागार अधिकारी सहित कारागार मुख्यालय के सभी अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

रिपोर्टः प्रवीण गर्ग

Next Story
epmty
epmty
Top