बर्थडे स्पेशल- IPS विजय ने डिस्कस थ्रो में जीता था कांस्य पदक- DGP से मिला था GOLD
लखीमपुर खीरी। आईपीएस अफसर ने चीन से वर्ल्ड पुलिस गेम के डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीतकर उत्तर प्रदेश पुलिस का नाम को चमकाने का काम किया। जिस पर डीजीपी ने गोल्ड़ मैडल का ईनाम दिया था। यह आईपीएस अफसर कोरोना संक्रमण महामारी के दौरान जनता की सेवा करते हुए खुद कोरोना पाॅजिटिव हो गया था। स्वस्थ होने पर डाॅक्टर ने आराम करने की सलाह दी थी, इस सलाह को भी भूलकर जनता की सेवा को प्राथमिकता देने का काम किया। बीते दिन लखीमपुर खीरी में एक चेयरमेन के हत्याकांड का खुलासा कर दिया था। हम बात कर रहे है 2012 बैच के आईपीएस अफसर एवं लखीमपुर खीरी पुलिस कप्तान विजय ढुल की। पुलिस कप्तान एवं आईपीएस अफसर विजय ढुल के बर्थडे पर खोजी न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट...
ज्ञात हो कि विजय ढुल का जन्म हरियाणा के जनपद सोनीपत के गांव रासोई में 20 अक्टूबर 1981 को धर्मवीर सिंह के परिवार में हुआ था। उनकी प्रांरभिक शिक्षा गांव के ही मोतीलाल नेहरू खेलकूद विद्यालय में हुई है। विजय ढुल ने दिल्ली के सेंट स्टीफन काॅलेज से हिंदी, अग्रेजी और राजनीति विज्ञान से बेचलर आॅफ आर्ट की डिग्री हासिल की। विजय ढुल बचपन से ही पढ़ने में माहिर थे। स्नातक के बाद मर्चेंट नेवी में सिलेक्शन हो गया था। मर्चेंट नेवी में सिलेक्शन होने पर भी विजय ढुल ने अपनी पढ़ाई को जारी रखा। उन्होंने उसी दौरान सिविल सर्विस की परीक्षा को पास कर 2012 बैच के आईपीएस अफसर बन गये।
आईपीएस विजय ढुल नोएडा, मेरठ, बस्ती, लखनऊ में तैनात रहे। वह पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थनगर पद की कमान संभाल चुके है। बता दें कि 2019 में पुलिस फायर गेम्स का आयोजन चीन के चेंगदू शहर में हुआ था, जिसमें दुनिया भर की पुलिस ने भाग लिया था। आईपीएस विजय ढुल को भी उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा डिस्कस थ्रो में चीन भेजा गया था। उन्होंने 18वें वल्र्ड पुलिस गेम्स के डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीतकर उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ-साथ अपने देश का भी नाम रोशन किया था। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक ओमप्रकाश सिंह ने आईपीएस विजय ढुल को स्वदेश वापस आने पर गोल्ड मेडल देकर उत्साहवर्धन किया था।
आईपीएस विजय ढुल सिद्धार्थनगर के पुलिस कप्तान के पद पर रहते हुए कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गये थे। उन्होंने अपने आप को खुद एसजीपीजीआई लखनऊ में आइसोलेट करा लिया था। आईपीएस विजय ढुल ने कोरोना संक्रमण को मात दे दी थी। डाॅक्टर ने छुट्टी के दौरान उन्हें घर में आराम करने के लिये सलाह दी थी पर आईपीएस विजय ढुल आराम को छोड़कर जनता की सेवा को प्राथमिकता देने का काम किया था। विजय ढुल संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान खुद सड़क पर उतरकर कोरोना योद्धा की तरह कार्य करते रहे। सिद्धार्थनगर की जनता स्वस्थ रहे सुरक्षित रहे, इसके लिए आईपीएस विजय ढुल ने पुलिस बल के साथ बिना थके, बिना रुके योद्धाओं की तरह कार्य किया। आईपीएस विजय दुल ने कोरोना संक्रमण को मात देकर जनता की सेवा को अंजाम देकर अपनी बहादुरी की एक मिसाल पेश की थी।
लखीमपुर खीरी में एसपी विजय ढुल ने नगर पंचायत मैलानी की चेयरमैन सत्यवती के लापता पति के शव बरामद किये बिना हत्याकांड का शीघ्र ही अनावरण कर जनता में विश्वास कायम किया। मैलानी थाना क्षेत्र के मोहल्ला दामोदरपुर निवासी देवेंद्र प्रताप की पत्नी सत्यवती नगर पंचायत की चेयरमैन हैं। देवेंद्र प्रताप अपने विश्वासपात्र सहयोगी धीरेंद्र उर्फ धीरू के साथ घर से बाजार जाने को कहकर निकले थे, लेकिन देर रात तक नहीं लौटे। उनके भाई मुनींद्र प्रताप ने पुलिस को तहरीर देकर गुमशुदगी दर्ज करा दी थी। एसपी विजय ढुल ने देवेंद्र की खोजबीन के लिए पांच टीमें गठित की। पुलिस ने खोजबीन के दौरान देंवेंद्र के साथ अंतिम बार देखे गए धीरेंद्र उर्फ धीरू सहित कुछ अन्य लोगों को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की तो घटना का खुलासा हो गया था।
एसपी विजय ढुल ने बताया था कि धीरू ने अपने तीन अन्य साथियों रणजीत, अभिषेक और सुमित के साथ देवेंद्र की हत्या की वारदात को अंजाम दिया था। यह लोग देवेंद्र को अगवा कर रणजीत की इनोवा कार से नहर की ओर रवाना हुए थे। उसके बाद पिछली सीट पर बैठे धीरू और अभिषेक ने देवेंद्र प्रताप की कार के अंदर ही रस्सी से गला घोंटकर हत्या कर दी थी। तीसरा साथी सुमित बाइक से कार के पीछे चलता रहा। हत्या के बाद शव को नहर में फेंक दिया गया था, जिसकी तलाश के लिए पीएसी फ्लड कंपनी और गोताखोरों को लगाया गया था। पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर इनोवा कार और बाइक बरामद कर ली थी। एसपी ने बताया था कि धीरेंद्र उर्फ धीरू अपनी मां के नाम से नगर पंचायत के ठेके लेते था, जिसका विभिन्न कार्यों के लिए नगर पंचायत में छह लाख रुपये भुगतान फंसा हुआ था। उसने चेयरमैन के पति पर फंसा भुगतान निकलवाने के लिए दबाव बनाया। बावजूद इसके भुगतान न होने पर गुस्से में आकर उसने अपने तीन सहयोगियों की मदद से उनकी हत्या कर दी थी।