दिल्ली - IPS मोनिका भारद्वाज बनी क्राइम ब्रांच की पहली महिला DCP

दिल्ली - IPS मोनिका भारद्वाज बनी क्राइम ब्रांच की पहली महिला DCP

दिल्ली। 2009 बैच की आईपीएस अफसर मोनिका भारद्वाज को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। मोनिका भारद्वाज दिल्ली क्राइम ब्रांच की नई डीसीपी नियुक्त की गई हैं। यह पहली बार है जब किसी महिला अधिकारी को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आईपीएस मोनिका भारद्वाज मूल रोहतक जिले के सापला की निवासी है। शुरुआती पढ़ाई रोहतक से करने के बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूर्ण की और दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद मोनिका भारद्वाज सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गई।



मोनिका को 2008 में यूपीएससी के सिविल सर्विसेज एग्जाम में ऑल इंडिया 142 रैंक मिली। उनकी पहली च्वॉइस आईएएस थी। परंतु जनरल कैटेगरी में होने की वजह से उन्हें सेकंड च्वॉइस मिली। उन्होंने आईपीएस ज्वाइन किया। उनके बैचमेट्स बताते हैं की मोनिका एक ब्रेव और देश की बेटियों के लिए प्रेरणादायक अफसर है। आईपीएस मोनिका के पिता कप्तान सिंह हरियाणा पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं और उनके लिए यह फक्र की बात है कि उनकी बेटी आईपीएस अधिकारी हैं। मोनिका की बहन इंदु भारद्वाज भी सिविल सर्विसेज एग्जाम पास कर चुकी हैं और यह रोहतक जिले के लिए एक बड़ी बात है कि उसकी दो बेटियां बिना किसी रिजर्वेशन के आज इस बड़े मुकाम पर पहुंची है।

पुलिस के अन्य अधिकारियों का मानना है कि मोनिका भारद्वाज को डीसीपी क्राइम ब्रांच की कमान सौंपने से महिला पुलिसकर्मियों और पुलिस अधिकारियों का उत्साहवर्धन भी होगा। डीसीपी के पद की बड़ी जिम्मेदारी के साथ मोनिका भारद्वाज के सामने चुनौतियां भी कम नहीं होंगी। क्योंकि क्राइम ब्रांच में कार्य करने का तरीका भिन्न होता है। यहां पूरा फोकस सिर्फ केस की जांच पर रहता है।



दिल्ली पुलिस के अन्य अधिकारियों का मानना है कि डीसीपी वेस्ट डिस्ट्रिक्ट रहते हुए मोनिका भारद्वाज ने तीस हजारी कोर्ट हिंसा के दौरान काफी संयम से काम लिया था। मोनिका भारद्वाज को तीस हजारी कोर्ट में भारी हिंसा के दौरान वकीलों की भीड़ और गुस्से का सामना करना पड़ा था परंतु उन्होंने संयम से काम लिया। इसलिए उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है क्योंकि क्राइम ब्रांच की जिम्मेदारी अपने आप में एक बड़ी होती हैं। कारण यह है कि यहां सिर्फ जांच पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करना होता बल्कि पहला काम कुख्यात अपराधियों से भी निपटना होता है।

कुछ वर्षों पहले तक, स्पेशल सेल की जिम्मेदारी आतंकियों को पकड़ना और उनका सामना करने की होती थी जबकि क्राइम ब्रांच अन्य कुख्यात अपराधियों पर कार्रवाई करती थी। हाल ही में, स्पेशल सेल ने अपराधियों और आतंकियों के अधिक एनकाउंटर किए हैं। जबकि अभी तक किसी भी महिला अधिकारी को स्पेशल सेल का डीसीपी नहीं नियुक्त किया गया था।

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