बर्थडे स्पेशल- IPS प्रेम प्रकाश ने दिलाया था बेगुनाहों को इंसाफ
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी अनेक ऐसे जांबाज और कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसरों की पूरी लंबी फेहरिस्त है, लेकिन इस फेहरिस्त में कुछ अफसरों ने अपनी कार्यशैली के कारण एक अलग ही पहचान बनाने के साथ सर्विस लाइफ में नये आयाम स्थापित किये। ऐसे कई अफसर युवाओं के रोल माॅडल भी बने हैं। इन अफसरों में शुमार हैं साल 1993 बैच के आईपीएस अफसर एवं वर्तमान में प्रयागराज जोन के एडीजी प्रेम प्रकाश। आईपीएस प्रेम प्रकाश ने सिविल सर्विस ब्रेक करने के बाद मिली खाकी को जनसेवा का माध्यम बनाया तो अपराधियों को उनके गढ़ में जाकर भयभीत करने का जौहर दिखाने में भी पीछे नहीं हटे। फेयर पुलिसिंग के पक्षधर आईपीएस प्रेमप्रकाश को निष्पक्ष कार्यशैली के लिए भी पहचान मिली। लखनऊ में जब वह तैनात थे तो डकैती के एक प्रकरण में पुलिस ने निर्दोष को जेल भेज दिया। उन्होंने इस मामले में खुद आगे आकर पैरवी की और निर्दोष को जेल से बाहर निकलवाया। आज भले ही हम पुलिस को चुस्त देखते हैं, लेकिन लखनऊ में कप्तान रहते हुए इसके लिए प्रेमप्रकाश ने थानों में जेल की तरह ही घंटे टंगवा दिये, निरीक्षण का उनका अंदाज भी निराला ही है। वह जिन जिलों में भी कप्तान रहे, वहां दिन हो या रात आम आदमी बनकर थानों में पहुंचते। थाने के बाहर चाय या पान की दुकानों पर खड़े होकर थाने की गतिविधियों पर नजर रखते। जनता के लिए वह पुलिस सर्विस में जितने फेयरलैस नजर आते हैं, बदमाशों के लिए उनकी पुलिसिंग उनती ही फीयरपूफ्र रहती है। आईपीएस अफसर एवं प्रयागराज के एडीजी प्रेम प्रकाश के बर्थडे पर पेश है खोजी न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट...
प्रेम प्रकाश का जन्म देश की राजधानी दिल्ली में 8 दिसम्बर 1996 को जन्म लिया था। प्रेम प्रकाश के पिता का नाम मूलचंद है। वह बीटेक करने के बाद पुलिस मैनेजमेंट में भी एमडी का कोर्स कर चुके हैं। प्रेम प्रकाश ने साल 1993 में सिविल सर्विस की परीक्षा को पास कर आईपीएस अफसर बन गये थे। आईपीएस प्रेम प्रकाश आगरा, मुरादाबाद, एनसीआर सहित कई जिलों में कप्तान के रूप में कमान सम्भाल चुके हैं। आईपीएस प्रेम प्रकाश मीरजापुर रेंज के आईजी पद पर कार्यरत रहे। बरेली जोन के एडीजी पद पर तैनात रहे। इसके अलावा आईपीएस प्रेम प्रकाश ने कानपुर जोन के अपर पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य किया। आईपीएस प्रेम प्रकाश को शासन ने 13 जनवरी 2020 को प्रयागराज जोन के अपर पुलिस महानिदेशक की कमान सौंपी।
आईपीएस प्रेम प्रकाश ने सूबे की राजधानी लखनऊ के पुलिस कप्तान के पद पर रहते हुए पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर मुस्तैद रखने हेतु उन्होंने वहां की समस्त थानों में घंट टंगवाये थे और संतरी को कारागार की तर्ज पर प्रत्येक घंटे इसको बजाने का हुक्म दिया। रायफल साईड में रखकर सुस्ताने वाले पुलिसकर्मी घंटा बजाने की चिंता में अलर्ट रहते थे चूंकि आईपीएस स्वयं थाने के मुखबिर की घंटे की वाॅयस सुनने के लिये थानों के आसपास चक्कर लगाते थे। इसके अलावा भी आईपीएस प्रेम प्रकाश ने इसी तरह पुलिस लाईन पर परेड़ शुरू कराई थी।
कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का घर फूंकने व ठाकुरगंज इलाके में तिहरे हत्याकांड के साथ लाखों रूपये की डकैती हुई थी। पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराने के साथ-साथ अन्य की धरपकड़ कर जेल के सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया था। आईपीएस प्रेम प्रकाश ऐसे अफसर हैं वह किसी चूक को उजागर होने पर गलती सुधारने में हिचकते नहीं हैं। उनकी लखनऊ की तैनाती के दौरान ही सादातगंज व बाजार खाला पुलिस ने तीन युवकों की अरेस्टिंग कर पांच लाख की लूट का फर्जी अनावरण कर दिया था। आईपीएस प्रेम प्रकाश को इसकी सूचना मिलते ही इसकी जांच की कमान खुद संभाली थी। घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों की अरेस्टिंग के साथ बेगुनाहों को जेल से रिहा करवाया। इतना ही नहीं फर्जी खुलासा करने वाले पुलिसकर्मियों को भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम किया था।
कानपुर के एडीजी के पद पर रहते हुए आईपीएस प्रेम प्रकाश ने बिना वर्दी के लिये निरीक्षण करने अपने क्षेत्र में निकल पड़े। उसी दौरान एक जेड स्कावायर गेट के पास वाहन खड़े दिखाई दिये। उसे देखकर आईपीएस प्रेम प्रकाश बंदूक के साथ तैनात गार्ड के पास पहुंचकर कहा कि गेट के आसपास वाहनों को क्यों खड़ा करवाते हो, जिस पर गार्ड ने आईपीएस प्रेम प्रकाश का जवाब दिया कि तुम सवाल-जवाब करने वाले कौन होते हो। इतना ही नहीं गार्ड ने उनके साथ अभ्रदता कर दी। उन्होंने इसी वक्त पुलिस का बुलवाया और गार्ड को थाने भिजवाकर शांतिभंग के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत करा दिया। उसके तत्पश्चात ही पुलिस ने गार्ड को जेल की ओर रवाना कर दिया था।
पुलिस की कार्यप्रणाली व अपराधी द्वारा कर रहे अपराधों का जायजा लेने के सादे कपड़ों में निकल जाते है। और थाने के पास पहुंचकर वहां चाय पीते हैं, जिससे की पुलिस की कार्यप्रणाली का पता चल सकें। इतना ही नहीं आईपीएस प्रेम प्रकाश भीड़भाड़ वाले इलाके, बाजार, महिला कॉलेज व अन्य स्थलों पर अकेले पीछे हाथ कर चुपचाप खड़े रहते हैं। जैसे ही कोई गैर कानूनी कार्य करता हुआ मिलता है तो आईपीएस प्रेम प्रकाश पुलिस को बुलवाकर उसे वहीं से दबोच लेते हैं।
सादे कपड़ों में अकेले ही आईपीएस प्रेम प्रकाश शहर की बदहाल व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिये पैदल ही निकल पड़े। आईपीएस प्रेम प्रकाश जब बड़ा चौक पहुंचे तो उन्हें वहां की व्यवस्था में त्रुटियां नजर आई। इसी बची उन्होंने वहां के थाना प्रभारी को बुलाकर कहा कि अगर ट्रैफिक की व्यवस्था अगर सही नहीं हुई तो थानेदारी भी नहीं रहेगी। इतना ही सुनकर थानेदार खुद बड़ा चौक पर खड़े होकर वहां की व्यवस्था को पुख्ता बनाने में जुट गये थे। वहां टैम्पों सहित अन्य वाहन खडे़ थे। यातयात का पालन न करने पर व कागज पूरा न मिलने पर उन पर कार्यवाही शुरू कर दी थी।
कोरोना की महामारी से बचने के लिए सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया था। इस दौरान खानाबदोश जिंदगी जीने वाले लोग सहित गरीब तबके के लिए रोटी जुटाना मुश्किल हो गया था। इनकी मदद करने के लिए पुलिस के अधिकारी सामने आए थे। जिनका नाम आईपीएस एवं प्रयागराज के एडीजी प्रेम प्रकाश हैं। एडीजी प्रेम प्रकाश सहित एसपी सिटी बृजेश श्रीवास्तव के घर उनका परिवार खाने का पैकेट तैयार कर रहा था, जिसे जरूरतमंदों को बांटा जा रहा था। इन सबके साथ लोगों को घर से बाहर ना निकलने की हिदायत भी दी जा रही थी। प्रयागराज के एडीजी प्रेम प्रकाश की बेटी और उनकी पत्नी कुछ लोगों की मदद से अपने घर में खाना बना रही थी, जिसका पैकेट तैयार होने पर वह खुद घर से लाते थें और लोगों को दे रहे थे, जहां भी सूचना मिलती थी, वहां खाना पहुंचाया जाता था।