मार्मिक पुलिसिंग करने वाले दरोगा दीपक पर भाजपा जिलाध्यक्ष ने बरसाए फूल
बड़गांव । थाने के एसएसआई दीपक चौधरी और उनकी साथी सिपाहियों के द्वारा अनाथ महिला मीना का अंतिम संस्कार खुद कर मार्मिक पुलिस का ऐसा चेहरा जनता के बीच पेश किया गया है, जिसकी सभी तरफ प्रशंसा हो रही है। इसी कड़ी में भाजपा के सहारनपुर जिलाध्यक्ष महेंद्र सैनी ने अपनी टीम के साथ बड़गांव थाने जाकर जिस तरह से एसएसआई दीपक की हौसलाअफजाई की है वो साबित करती है कि पुलिस के बदलते चहेरे को आम जनता में भी अब स्वीकारा जाने लगा है।
एसएसआई दीपक चौधरी और उनकी टीम पर थाने जाकर फूल बरसाने के सवाल पर भाजपा जिलाध्यक्ष महेंद्र सैनी कहते है " पुलिस ने इस मामले में जिस मानवता का परिचय दिया है,वो प्रशंसनीय है । इस विपरीत परिस्थितयों में भी एसएसआई दीपक चौधरी और उनकी टीम का उस महिला, जिसका कोई नहीं था, उसके शव को अपने कंधे पर ले जाकर अंतिम संस्कार करना बहुत अच्छा काम है। पुलिस का मनोबल बढ़ाने के लिए ही भाजपा की तरफ से पुलिस टीम के ऊपर पुष्प वर्षा कर उनका उत्साहवर्धन किया गया है। भाजपा जिलाध्यक्ष महेंद्र सैनी के साथ भाजपा जिला मंत्री विपिन भारतीय , सदस्य सोनू , देवबंद नगर महामंत्री राम मोहन सैनी भी पुष्प वर्षा में साथ थे ।
गौरतलब है कि 14 अप्रैल 2020 को सहारनपुर जनपद के बड़गांव थाने में तैनात एसएसआई दीपक चौधरी के मोबाइल पर कॉल आती है और उन्हें सूचना दी जाती है कि थाना इलाके के गांव किशनपुर में एक 55 वर्षीय विधवा महिला मीना की तबीयत खराब है। सूचना पर एसएसआई दीपक चौधरी ने सोचा कि लॉकडाउन के चलते मीना शायद भूखी होगी इसलिए उन्होंने अपने साथ खाने का पैकेट लिया और पहुंच गए किशनपुर। गांव में एसएसआई दीपक चौधरी जब उस महिला के मकान पर पहुंचे तो एक कच्चे मकान में अकेली बीमार पड़ी महिला मीना की स्थिति देखकर दीपक चौधरी का मन भर आया। दीपक चौधरी ने तुरंत उस महिला को अपने साथ लाए खाने को खिलाने की कोशिश की। महिला ने अपनी बीमार हालत को देखते हुए थोड़ा सा खाना तो खा लिया मगर अब उसको इलाज की दरकार थी। एसएसआई दीपक चौधरी ने ग्रामीण महिलाओं से उस बीमार मीना को स्नान कराकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नानौता भिजवा दिया। वहां इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण मीना को जिला चिकित्सालय सहारनपुर भेज दिया गया, जहां उसकी लगातार हालत बिगड़ती चली गई और अंत में मीना ने रात में ही अपनी अंतिम सांस ले ली। एसएसआई दीपक चौधरी को जैसे ही मीना की मौत का समाचार मिला तो ना जाने क्यों उन्हें उसके अंतिम क्रियाक्रम की चिंता हुई । मीना और दीपक चौधरी के बीच मानवता का ऐसा रिश्ता बन चुका था कि एसएसआई दीपक चौधरी ने तय कर लिया था कि मैं मीना का अंतिम संस्कार स्वयं करूंगा। दरअसल किशनपुर गांव के हरिया की पत्नी का देहांत हो चुका था । ऐसे में हरिया ने कहीं दूरस्थ स्थान की महिला मीना से दूसरी शादी की थी। शादी के बाद मीना को कोई बच्चा नहीं हो पाया जिस कारण पति-पत्नी दोनों अकेले रहते थे। पति का देहांत हुआ तो मीना अकेली पड़ गई। गांव के कच्चे मकान में रह रही मीना का स्वास्थ्य अपने पति के जाने के बाद धीरे-धीरे गिरने लगा और वह दुनिया से चली गई। मीना के देहांत के बाद दीपक चौधरी ने संकल्प लिया कि वह इस महिला का अंतिम संस्कार खुद करेंगे। गांव में जब महिला के शव को लेकर चलने की तैयारी हुई तो ग्रामीण पुलिस के उस चेहरे को देखकर हैरान रह रहे जब उन्होंने देखा कि थाने के एसएसआई दीपक चौधरी और उनके साथ पुलिस के सिपाही गौरव कुमार व विनोद कुमार इस अनाथ महिला की शव यात्रा को कंधा देकर शमशान घाट तक ले गए । जब मीना के शव को दीपक चौधरी ने स्वयं अग्नि के हवाले किया तो वहां मौजूद लोग हैरत भरी नजरों से पुलिस के एक मार्मिक और मानवीय चेहरे को देख रहे थे ।