वैक्सीन की उपलब्धता

वैक्सीन की उपलब्धता

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए सबसे जरूरी गाइड लाइन्स का पालन और वैक्सीन लगवाना है। चिकित्सा विशेषज्ञ बच्चों को भी वैक्सीन लगवाने के बारे में सोच रहे हैं। अभी हमारे देश में 18 साल से ऊपर के युवाओं और किशोरों को वैक्सीन लगवाने का कार्यक्रम गत पहली मई से शुरू किया गया है। यही समय कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के पीक का रहा। इसमें कितने ही लोगों के निकटतम काल के गाल में समां गये। बेईमानों ने दवाओं और आक्सीजन की कालाबाजारी करके साबित कर दिया कि दुष्टों का विनाश पूरी तरह से नहीं हो पाया है। अभी भगवान राम और कृष्ण की दुष्ट दलन नीति से शासक वर्ग को शिक्षा लेने की जरूरत है। टीकाकरण भी जिस बड़े पैमाने पर शुरू हुआ, उससे वैक्सीन की कमी पड़ गयी। इस समस्या को भी सुलझाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सब बातों को महसूस किया है। गत 14 मई को पीएम मोदी ने कहा, 100 साल बाद आई इतनी भीषण महामारी कदम-कदम पर दुनिया की परीक्षा ले रही है। हमारे सामने एक

अदृश्य दुश्मन है। हम अपने बहुत से करीबियों को खो चुके हैं। बीते कुछ समय से जो कष्ट देशवासियों ने सहा है, अनेकों लोग जिस दर्द और तकलीफ से गुजरे हैं, मैं भी उतना ही महसूस कर रहा हूं। पीएम मोदी ने ये बातें किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत वित्तीय लाभ की आठवीं किस्त जारी करते हुए कही थीं। उन्होंने कहा कि जो दर्द देशवासियों ने सहा है उसे वो भी महसूस कर रहे हैं। पीएम मोदी ने लोगों से टीका लगवाने की विशेष रूप से अपील की। उन्होंने कहा कि बचाव का एक बहुत बड़ा माध्यम है, कोरोना का टीका। उनके मुताबिक केंद्र सरकार और सारी राज्य सरकारें मिलकर ये निरंतर प्रयास कर रही हैं कि ज्यादा से ज्यादा देशवासियों को तेजी से टीका लग पाए। उन्होंने कहा, देशभर में अभी करीब 18 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। देशभर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त टीकाकरण किया जा रहा है। इसलिए जब भी आपकी बारी आए तो टीका जरूर लगाएं। ये टीका हमें कोरोना के विरुद्ध सुरक्षा कवच देगा और गंभीर बीमारी की आशंका को कम करेगा। इस मौके पर पीएम मोदी ने ये भी कहा कि कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, इस संकट के समय में दवाएं और जरूरी वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी में भी कुछ लोग लगे हैं, मैं राज्य सरकारों से आग्रह करूंगा कि ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए। ये मानवता के खिलाफ काम है।

दरअसल, जिस दिन पीएम मोदी देशवासियों से ये सब बातें कर रहे थे, उसी दिन कई राज्यों में वैक्सीन का टोटा होने की खबर प्रमुखता से छपी थी। खबर के सपोर्ट में बाकायदा आंकड़े भी दिये गये थे कि किस राज्य के पास कितनी वैक्सीन अब बची हैं। इस बार वैक्सीनेशन सरकारी स्तर पर ही किया जा रहा है, इसलिए सरकार के पास सफाई देने का मौका भी नहीं था। इसीलिए पीएम मोदी ने कहा कि हर कोई कोरोना को मात देने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, देश के डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मी, एंबुलेंस ड्राइवर, लैब कर्मचारी, ये सभी एक-एक जीवन को बचाने के लिए 24 घंटे जुटे हैं। आज देश में जरूरी दवाओं की आपूर्ति बढ़ाने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। ऑक्सीजन रेल ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को बहुत बड़ी ताकत दी है। देश के दूर सुदूर हिस्सों में ये स्पेशल ट्रेन ऑक्सीजन पहुंचाने में जुटी हैं। वैक्सीन को लेकर भी अब कोई समस्या नहीं रहेगी। भारत बायोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा इला के मुताबिक कंपनी ने दिल्ली और महाराष्ट्र सहित 14 राज्यों को कोविड-19 की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' की सीधी आपूर्ति एक मई से शुरू कर दी है। हैदराबाद स्थित कंपनी ने केंद्र सरकार द्वारा किए गए आवंटन के अनुसार कोविड-19 की वैक्सीन की आपूर्ति शुरू की है। केंद्र सरकार की तरफ से घोषणा की गई है कि स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का उत्पादन मई-जून महीने में दोगुना कर दिया जाएगा। प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ाया जा रहा है। सितंबर महीने तक हर महीने दस करोड़ वैक्सीन डोज का उत्पादन होने लगेगा। उस समय तक सभी को वैक्सीन लगाना संभव होगा।

केंद्रीय विज्ञान और तकनीक मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक आत्मनिर्भर भारत मिशन 3.0 के तहत स्वदेशी वैक्सीन्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इसी मिशन के तहत भारत सरकार का बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट वैक्सीन प्रोडक्शन के लिए फंड मुहैया करा रहा है। वर्तमान में स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन का हर महीने एक करोड़ डोज का प्रोडक्शन किया जा रहा है। जल्द ही ये दोगुना किया जाएगा और फिर जुलाई-अगस्त तक इसे 6-7 गुना तक बढ़ाया जाएगा। सितंबर 2021 तक हर महीने इस वैक्सीन के दस करोड़ डोज प्रोड्यूस किए जाएंगे। इला ने ट्वीट किया है कि भारत बायोटेक एक मई 2021से भारत सरकार द्वारा किए गए आवंटन के आधार पर राज्य सरकारों को कोवैक्सीन की सीधी आपूर्ति की पुष्टि करता है। अन्य राज्यों से भी अनुरोध मिले हैं और हम स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर वितरण करेंगे। कंपनी इस समय आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को वैक्सीन की आपूर्ति कर रही है। हैदराबाद स्थित फार्मा कंपनी में निर्मित कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और शनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स में जारी आंकड़ों के अनुसार, इस वैक्सीन का एफिकेसी रेट 81 प्रतिशत है। साथ ही कई जानकारों ने कोवैक्सीन को कोरोना वायरस के अलग-अलग वैरिएंट्स पर काफी असरदार बताया है। कहा जा रहा है कि कोवैक्सीन लेने के बाद सूजन, दर्द, बुखार, पसीना आना या ठंड लगने, उल्टी, जुकाम, सिरदर्द और चकत्ते जैसे साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है। इस वैक्सीन के जरिए ऐसे पैथोजन्स जो खुद का गुणा नहीं कर सकते, उन्हें शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा। फॉर्मेलीन जैसे कैमिकल्स की मदद से वैक्सीन इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना सिखाएगी। इसमें निष्क्रिय वायरस को बहुत कम मात्रा में एल्युमीनियम आधारित कंपाउंड के साथ मिलाया गया है, जिसे एड्जुवेंट कहते हैं। यह इम्यून सिस्टम को वैक्सीन के साथ प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है।

भारत के टीकाकरण कार्यक्रम में रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 की भी एंट्री हो गई है। इस लिहाज से भारत में नागरिकों को मिलने के लिए तैयार वैक्सीन की संख्या तीन हो गई है। हैदराबाद में 14 मई को इस वैक्सीन के पहले डोज दिए गए। साथ ही इस दौरान स्पूतनिक-5 की कीमतों का भी ऐलान किया गया है। फिलहाल भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। नई वैक्सीन के शामिल होने के साथ ही सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन सा टीका सबसे ज्यादा असरदार होगा या इनके साइड इफेक्ट्स क्या होंगे?

पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार हुई ऑक्सफोर्ड- एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड का इस्तेमाल दुनिया के 62 से ज्यादा देश कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में जारी आंकड़े बताते हैं कि विश्व स्तर पर इस वैक्सीन की प्रभावकारिता दर यानि एफिकेसी रेट 70.4 फीसदी है। वहीं, हाल ही में सरकार ने इस वैक्सीन को और असरदार बनाने के लिए दो डोज के बीच अंतराल बढ़ा दिया है। नई जानकारी के मुताबिक, 14-16 हफ्ते के गैप से दिए जाने की सलाह दी गई है।

कोविशील्ड के इस्तेमाल के बाद लोगों में लालपन, बदन या बांह में दर्द, बुखार आना, थकान महसूस होना और मांसपेशियों के जकड़ने जैसे साइड इफेक्ट देखे गए हैं। हालांकि, कई देशों ने वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद खून के थक्के जमने की शिकायत की थी। साथ ही अस्थाई रोक भी लगा दी थी। हालांकि, कई स्टडीज और जानकार ने इस वैक्सीन को सुरक्षित बताया है। बहरहाल, सरकार के वैक्सीन प्लान में 6 नए टीके शामिल हैं।

स्पूतनिक-5 कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया में शुरू हुए वैक्सीन अभियान में मंजूरी पाने वाली शुरुआती वैक्सीन में से एक है। मीडिया रिपोर्ट्स में जारी जानकारी के अनुसार, इस वैक्सीन का प्रभावकारी दर 91.6 प्रतिशत है। एक स्टडी के अनुसार, स्पूतनिक- 5 को लेने के बाद लोगों को दर्द या फ्लू जैसे साइड इफेक्ट का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल इस वैक्सीन से जुड़ा कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है। कोरोना के अलग अलग वैरिएंट्स को देखते हुए सभी का टीकाकरण अत्यावश्यक है। (हिफी)

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