ऐसे होगी बच्चों में कोरोना के लक्षणों की पहचान

ऐसे होगी बच्चों में कोरोना के लक्षणों की पहचान

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से हम धीरे-धीरे उभरते जा रहे हैं। मगर तीसरी लहर का इंतजार भी हम साथ ही साथ कर रहे हैं। भले ही दूसरी लहर का पिक गुजर गया हो। मगर यह संकेत पहले से ही मिल रहे हैं कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर बच्चों को अपना शिकार बनाएगी। इसके लिए हमें पहले ही सतर्क होना होगा। केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार कोरोना पॉजिटिव मरीजों में 20 साल से कम उम्र वाले करीब 12% है। यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ रहा है। इसलिए हमें अभी से सतर्क रहना होगा। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर बच्चों को अपना शिकार बनाएगी।

दुनिया भर के विशेषज्ञ यह भी कह रहे कि कोरोना से बच्चों की सेहत को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ज्यादातर बच्चे कैसे हैं जिनके अंदर कोई लक्षण नजर नही आ रहे है। कई बच्चे ऐसे भी हैं ,जिन्हें माइल्ड मॉडरेट सेगंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में किस तरह बच्चों की पहचान की जाए या किस तरीके से बच्चों की देखभाल की जाए। कोरोना संक्रमण की तीसरी लाइन से पहले बच्चों को कैसे सुरक्षित रखा जाए या बच्चों की सुरक्षा कैसे की जाए? यह एक बड़ा सवाल है। सरकार ने इसको लेकर एक गाइडलाइन जारी की है। कोरोना संक्रमण के बच्चों के लक्षणों को पहचानने का तरीका बताया है। कब तक उनका इलाज घर पर ही किया जाए,यह भी उसमें बताया गया है और मां-बाप को क्या क्या सावधानी बरतनी है।

बच्चों के कौन-कौन से लक्षण हो सकते हैं:-

सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन में कोरोना से पीड़ित बच्चों को 4 कैटेगरी में बांटा गया है।

1- ऐसे बच्चे जिन्हें कोरोना का कोई लक्षण न हो।

2- ऐसे बच्चे जिनमें हलके लक्षण हो। इनमें बुखार, खांसी, सांस लेने में परेशानी,थकान,बदन दर्द, नाक बहना, गले में खराश, दस्त, स्वाद और स्मेल नहीं आने की

शिकायत रहती है।

3- ऐसे बच्चे जिनमें मॉडरेट या मध्यम लक्षण ही ज्यादा दिन तक या ज्यादा गंभीर लगे,तो उसे मॉडरेट कैटेगरी में रख सकते हैं। कुछ बच्चों को पेट और आंत से जुड़ी परेशानियां भी हो सकती है।

4-ऐसे बच्चे जिनमें लक्षण हो। कुछ बच्चों में मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम नाम का सिंड्रोम भी देखा जा रहा है। इस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों में लगातार 100 डिग्री से ज्यादा बुखार बना रहता है। ये सिंड्रोम SARS-CoV-2 से संबंधित है।

हल्के लक्षणों वाले बच्चों का समय-समय पर ऑक्सीजन लेवल बुखार जांच करें। एक चार्ट बनाएं जिसमें बुखार आने का टाइम, टेंपरेचर दिन में बुखार कितनी बार आ रहा है। नोट करें और समय-समय पर पेरासिटामोल दे। गले की खराश और सर्दी के लिए गुनगुने पानी से गरारे भी करवाते करवाते रहें।

अगर बच्चे में मध्यम लक्षण नजर आ रहे हैं,तो उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराए। बच्चों को लिक्विड डाइट दे। छोटे बच्चों के लिए मां का दूध बेस्ट है। अगर बच्चा खाना नहीं खा रहा है, तो फ्यूड थेरेपी भी शुरू कर दें। बुखार के लिए पेरासिटामोल देते रहे। मध्यम लक्षणों के मामले में चिकित्सक के संपर्क में अवश्य रहे। यदि बच्चे का ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है तो उसको ऑक्सीजन की भी जरूरत पड़ सकती है।

यदि बच्चे में गंभीर लक्षण नजर आ रहे हैं तो सीने का एक्सरे ले, कंप्लीट ब्लड काउंट, किडनी व लीवर की जांच अवश्य कराएं।

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