जगन की चिट्ठी से हिला न्याय का तराजू

जगन की चिट्ठी से हिला न्याय का तराजू

नई दिल्ली। राज्य में न्यायपालिका के कामकाज और उसे प्रभावित कर रहे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी का सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखना चर्चा का विषय बन गया है। इस पर कुछ प्रमुखों ने इस तरह ट्विटर के जरिए प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सबसे पहले तो वहां की बार एण्ड बेंच की प्रतिक्रिया आयी।

सीएम बनाम सुप्रीम कोर्ट के जज। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना द्वारा आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जजों को प्रभावित किए जाने की शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है- बार एंड बेंच।

आंध्र प्रदेश सरकार ने अपनी तकलीफों को सबूतों के साथ भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े से साझा किया है, क्योंकि जांच के दौरान स्थगनादेश नहीं दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में एक के बाद एक स्थगनादेश जारी हो रहे हैं। इससे कोई भी मामले की जांच आगे नहीं बढ़ रही है। छोटे-छोटे मामलों में भी फैसलों की बात करें तो भी ऐसा माहौल पैदा किया जा रहा है कि राज्य सरकार निष्क्रिय बन गई है और एक वर्ग का मीडिया उन खबरों को बड़ी प्रमुखता देते हुए प्रसारित कर रहा है।

सरकार ने जब इसकी वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि यह सब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना के हस्तक्षेप की वजह से हो रहा है। सीएम जगन मोहन रेड्डी ने इससे संबंधित सबूतों के साथ सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े को पत्र लिखा है। सीएम ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने के अलावा तेलुगु देशम पार्टी के कार्यकाल में महाधिवक्ता रहे दम्मलपाटी श्रीनिवास के साथ मिलकर जस्टिस एनवी रमन्ना ने संपत्ति कैसे जुटाई, इसका भी ब्यौरा दिया है। मामला आंध्र प्रदेश की नयी राजधानी अमरावती से जुडा है। आंध्र प्रदेश का विभाजन होने के बाद जब तेलंगाना अलग राज्य बन गया, तब दोनों राज्यों के बीच अपने अपने प्रदेश की राजधानी को लेकर विवाद खड़ा हो गया। हैदराबाद अविभाजित आंध्र प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी और स्वाभाविक रूप से उसने अपना दावा भी पेश किया लेकिन तेलंगाना राज्य के लिए संघर्ष कर रही तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और उसके नेता के चंद्र शेखर राव ने जिद पकड़ ली कि हैदराबाद तो तेलंगाना की ही राजधानी होगी। इस प्रकार हैदराबाद तेलंगाना का हो गया तो सवाल उठा कि आंध्र प्रदेश की राजधानी कहां बनायी जाए। यह उस समय की बात है जब आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्र बाबू नायडू भाजपा के दोस्त हुआ करते थे। नायडू ने अमरावती को प्रदेश की राजधानी बनाने का फैसला कर लिया और राजधानी के आस पास की जमीन भी कितनी कीमती हो जाती है, यह बताने की जरूरत नहीं है। जगन मोहन रेड्डी के आरोप में इस बात का भी जिक्र है कि चन्द्र मोहन नायडू ने किस तरह कुछ लोगों को उपकृत करने के लिए वहां जमीन आवंटित कर दी। ऐसे ही लोगों में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना भी शामिल बताए जा रहे हैं। जस्टिस रमन्ना ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) होने वाले हैं। इसलिए सीएम जगन मोहन रेड्डी के आरोपों को भी हलके में नहीं लिया जाना चाहिए। अभी कुछ दिन पहले ही प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण का मामला भी काफी चर्चित हुआ था। वकील प्रशांत भूषण ने भी न्यायाधीशों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। कहने की जरूरत नहीं कि सुप्रीम कोर्ट अपनी इज्जत बचाने के लिए पसीने-पसीने हो गया था।

राज्य में न्यायपालिका के कामकाज और उसे प्रभावित कर रहे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी का सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखना चर्चा का विषय बन गया है। इस पर कुछ प्रमुखों ने इस तरह ट्विटर के जरिए प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सबसे पहले तो वहां की बार एण्ड बेंच की प्रतिक्रिया आयी।

सीएम बनाम सुप्रीम कोर्ट के जज। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना द्वारा आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के जजों को प्रभावित किए जाने की शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है- बार एंड बेंच।

पायल मेहता ने प्रतिक्रिया दी है कि मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के मुख्य सलाहकर अजय कल्लम ने आरोप लगाया है कि सीएम द्वारा टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के घोटालों का पर्दाफाश किए जाने के बाद से उनके करीबी व सुप्रीमकोर्ट के जज जस्टिस एनवी रमन्ना ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जितेंद्र कुमार माहेश्वरी के जरिए राज्य में न्यायपालिका को प्रभावित किया है। इसी क्रम में राजदीप सर देसाई कहते हैं कि आंध्र्र प्रदेश में बड़ी कहानी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस के परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप एक सीएम ने लगाए हैं। दूसरी तरफ, हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई किए बिना गैग आदेश जारी किया है। सीएम जगन ने फिलहाल इस मसले को लोगों व सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ले जाने का मन बनाया है।

माना जा रहा है कि यह सरकार को अस्थिर करने की साजिश है। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने तेलुगु देशम पार्टी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना और राज्य हाईकोर्ट पर राज्य में लोकतांत्रिक पद्धति से चुनी गई वाईएसआर कांग्रेस सरकार को अस्थिर बनाने और उसे गिराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। एक अंग्रेजी अखबार की वेबसाइट पर इससे जुड़ी पूरी कहानी प्रकाशित हुई है। उसमें मौजूद कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं। जैसे कि सीएम जगन ने जस्टिस एनवी रमन्ना के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है। एनवी रमन्ना इससे पहले टीडीपी सरकार के लीगल एडवाइजर और अतिरिक्त महाधिवक्ता रह चुके हैं। राज्य में न्यायपालिका टीडीपी का पक्ष लेते हुए उस पार्टी के हितों की रक्षा के लिए भ्रष्ट मामलों की जांच रोकने के लिए स्थगनादेश दे रही है। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अमरावती में निजी हितों की रक्षा के लिए तीन राजधानियों के बिल को रोकने सहित अपनी सरकार के निर्णयों के विरोध में राज्य हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसलों का जिक्र किया है। विभिन्न चरणों में दाखिल हुई 30 जनहित याचिकाओं में मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाया गया है।जस्टिस एवी शेषसाई, जस्टिस एम सत्यनारायण मूर्ति, जस्टिस डीवीएसएस सोमयाजुलू, जस्टिस डी रमेश, जस्टिस के. ललिता सहित कुछ अन्य न्यायाधीशों पर टीडीपी के हितों की रक्षा की दिशा में फैसले सुनाने का आरोप भी लगाया गया है। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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