किसानों के धरने के आगे झुकी सरकार - मानी मांगे
करनाल। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के साथ हरियाणा के करनाल में हुए लाठीचार्ज के बाद चल रहे आंदोलन के आगे हरियाणा सरकार झुक गयी है। सरकार ने मृत किसान के परिजनों को नोकरी और पूरी घटना की न्यायिक जांच की मांग को स्वीकार कर लिया है।
गौरतलब है कि तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। इसी आंदोलन के बीच किसानों ने भाजपा नेताओं का विरोध करने का ऐलान किया हुआ है। इसी कड़ी में जब बीती 28 अगस्त को हरियाणा के करनाल में भाजपा के कार्यक्रम का विरोध कर रहे किसानों पर हरियाणा पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था तब उसमें एक किसान की मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद किसानों ने करनाल में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत में जिस तरह से भीड़ उमड़ी और किसानों ने करनाल में भी किसान महापंचायत करने का ऐलान किया तो हरियाणा सरकार बैकफुट पर आ गई। अभी तक किसानों की मांगें नहीं मानने वाली हरियाणा सरकार ने कल देर रात तक चली किसानों के साथ चली मीटिंग के बाद तय किया कि इस पूरे घटनाक्रम की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज से जांच कराई जाएगी। जांच 1 महीने में पूरी होगी तथा तब तक लाठीचार्ज के आरोपी एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी एवं प्रशासन ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपसी सहमति के फैसले की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि इस लाठीचार्ज में मौत का शिकार हुए किसान के दो परिजनों को सरकार नौकरी देगी।