सूर्य की उपासना का पर्व कल से
लखनऊ। दीपावली के छह दिन बाद सूर्य की उपासना का पर्व छठ कल बुधवार से शुरू हो रहा है जिसमें डूबते और उगते सूर्य की पूजा की जाती है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी समेत अन्य हिस्सों खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाये जाने वाले इस पर्व में सूर्य को जल में खड़े होकर अर्ध्य देने वाली महिलाओं और पुरूषों का 36 घंटे से ज्यादा का व्रत गुरूवार शाम से शुरू हो जायेगा। छठ की शुरूआत तो कल से होगी लेकिन सूर्य को अर्ध्य 20 नवम्बर की शाम और 21 की सुबह दिया जायेगा।
बुधवार को नहाय खाय से शुरू होगा यह पर्व जिसमें लौकी दाल और चावल बनता है। उसके अगले दिन खरना होता है जिसमें खीर और पूरी बनती है। छठ करने वाली महिलायें और पुरूष खरना की खीर खाकर व्रत की शुरूआत करते हैं। दो दिन बाद सुबह का अर्ध्य देने के पश्चात ही अन्न और जल ग्रहण करते हैं।
छठ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रमुख पर्व है जो अब देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाने लगा है। मुम्बई और कोलकाता में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। इन दो महानगरों में भी छठ धूमधाम से मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 1984 के पहले लोग छठ पूजा के बारे में नहीं जानते थे लेकिन, उस साल अखिल भारतीय भोजपुरी समाज की ओर से चार पांच लोगों ने मिलकर इस पर्व को लक्ष्मण मेला मैदान में मनाया।
परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है और न ही मंत्रोचारण की कोई जरूरत है।
महापर्व छठ के कारण बाजार में कद्दू (लौकी) के भाव आसमान छू रहे हैं। राजधानी पटना में इसकी बिक्री तो 60 से 70 रुपये प्रति किलो तक हो रही है। दरअसल नहाय-खाय के दिन व्रतधारी अरवा भोजन के साथ इसकी सब्जी ग्रहण करते हैं। इसी तरह आम की लकड़ी 40-70 रुपये किलो और शुद्ध घी 400 से 450 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है जबकि नारियल, सूप, फल और मिट्टी के चूल्हे की जहां जैसी मांग है, वहां उसी कीमत पर बिक रहे हैं।
कोरोना काल में छठ पूजा मनायी जा रही है। राज्य सरकार ने इसके लिये दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं को घाट पर अर्घ्य के दौरान तालाब में डुबकी नहीं लगाने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र में घाटों के किनारे इस तरह बैरिकेडिंग करें कि श्रद्धालु पानी में डुबकी न लगा सकें। इनके अलावा छठ पर्व के दौरान 60 साल से अधिक उम्र व्यक्ति और 10 साल से कम उम्र के बच्चों तथा बुखार एवं कोरोना लक्षण से ग्रसित लोगों को घाट पर नहीं जाने की सलाह दी गई है। वहीं, इस बार छठ के अवसर पर न मेला लगेगा, ना ही जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
जिला प्रशासन को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह लगातार लोगों से अपील करते रहें कि इस बार वह घाटों पर ना जाकर छठ अपने घरों में ही मनाएं। इसके बाद भी यदि श्रद्धालु तालाब या घाटों पर छठ पर्व मनाने आते हैं तो वहां जिला प्रशासन द्वारा कोरोना वायरस दिशा-निर्देश का सख्ती से पालन कराया जाए। साथ ही लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा गया है। इसके अलावा घाटों पर मास्क लगाना अनिवार्य है।