सर्वार्थ सिद्धि योग की है इस बार धनतेरस
नई दिल्ली। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। पंचाग के अनुसार अनुसार त्रिपुष्कर योग में शुभ कार्य करने पर उसमें तीन गुने की सफलता हासिल होती है जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ माना गया है क्योंकि इसमें सभी सिद्धियों का वास होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग पर राहुकाल का भी असर नहीं होता और खरीदारी करना शुभ फल देने वाला होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। वहीं त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 50 मिनट से शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।
दीपावली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है और यह 5 दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व होता है। धनतेरस से दिवाली महापर्व प्रारंभ हो जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। धनतेरस को धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। धनतेरस पर सोना-चांदी,आभूषण और बर्तन की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना गया है। धनतेरस पर खरीदी गई चीजों में तेरह गुने की वृद्धि होती है, ऐसी पौराणिक मान्यताएं हैं। धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि,भगवान कुबेर के साथ माता लक्ष्मी की पूजा होती है। इस दिन घरों में दीए जलाएं जाते हैं। इस बार दिवाली 24 अक्तूबर को मनाई जाएगी,लेकिन धनतेरस की तिथि को लेकर मतभेद बना हुआ है कि धनतेरस 22 या 23 अक्तूबर किस दिन मनाया जाए।धनतेरस का पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाई जाती है। धनतेरस पर लक्ष्मी पूजा त्रयोदशी तिथि के दौरान प्रदोष काल में करने का विधान होता है। इस साल कार्तिक महीने की कृष्ण त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 02 मिनट पर प्रारंभ हो रही हैं और अगले दिन यानी 23 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 03 मिनट पर खत्म हो जाएगी फिर चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। हिंदू धर्म में कोई भी व्रत या त्योहार उदया तिथि के आधार ही मनाई जाती है। ऐसे में त्रयोदशी की उदया तिथि 23 अक्तूबर को है।
शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि पर अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रगट हुए थे। इस कारण से हर वर्ष दिवाली के पहले धन त्रयोदशी के रूप में भगवान धन्वंतरि का जन्मदिन मनाया जाता है। इसदिन इनकी विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है। धनतेरस पर भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं। और कुबेर यंत्र,श्रीयंत्र और महालक्ष्मी यंत्र को घर,मंदिर और प्रतिष्ठानों में स्थापित किया जाता है। धनतेरस के दिन सोने, चांदी के आभूषण,सिक्के और बर्तन की खरीदारी होती है। इसके अलावा धनतेरस पर झाड़ू और धनिए के बीज की भी खरीदारी करते हैं। धनतेरस दिवाली का पहला दिन होता है। धनतेरस की शाम को घर के मुख्य दरवाजे और आंगन में दीये जलाए जाते हैं।
लोग धनतेरस के दिन वाहन से लेकर सोना-चांदी और बर्तन खरीदते हैं। आजकल बढ़ती महंगाई की वजह से सोना चांदी या फिर वाहन खरीद पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है लेकिन सोने-चांदी के अलावा भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जो मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय हैं। इन्हें आप धनतेरस के दिन खरीद सकते हैं। हिंदू धर्म में झाड़ू का संबंध मां लक्ष्मी से माना से माना जाता है, इसलिए धनतेरस के दिन घर में नई झाड़ू लाना भी अच्छा माना जाता है। इस धन तेरस यदि आप सोना चांदी नहीं खरीद पा रहे हैं तो झाड़ू जरूर खरीद कर लाएं।धनतेरस के दिन पीतल धातु खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। इससे आपके घर में सुख-समृद्धि आती है। कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन से धन्वंतरि देव प्रकट हुए थे, तो उनके हाथों में अमृत कलश था। धार्मिक मान्यता है कि ये कलश पीतल की धातु का था, इसलिए पीतल धन्वंतरि देव की धातु मानी गई है। कहा जाता है कि गोमती चक्र मां लक्ष्मी को प्रिय है। धनतेरस के दिन खरीदकर घर लाएं और शाम को मां लक्ष्मी की पूजा करते समय गोमती चक्र की भी पूजा करें। इसके बाद इन्हें धन स्थान पर रख दें। मान्यता है कि इससे आपका धन स्थान हमेशा रूपये-पैसों से भरा रहता है।
उदया तिथि के अनुसार 23 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा। इसके बाद 23 अक्टूबर को ही शाम 6 बजकर 04 मिनट से ही चतुर्दशी तिथि की शुरुआत हो जा रही है, जिसका अगले दिन 24 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर 24 अक्टूबर को छोटी दिवाली यानी नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। फिर 24 अक्टूबर को ही शाम 05 बजकर 28 मिनट से अमावस्या तिथि लग जा रही है, जो 25 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। वहीं 25 अक्टूबर को शाम में यानी प्रदोष काल लगने से पहले ही अमावस्या समाप्त हो जा रही है। ऐसे में दिवाली का पर्व इस दिन नहीं मनाया जाएगा, बल्कि 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर काली चौदस भी मनाई जाती है। इसमें मध्यरात्रि में मां काली की पूजा की जाती है। काली पूजा रात में होती है ऐसे में 23 अक्टूबर को काली चौदस की पूजा की जाएगी। काली चौदस मुहूर्त-23 अक्टूबर 2022, रात 11 बजकर 42 मिनट से 24 अक्टूबर को रात में 12 बजकर 33 मिनट तक है। इसी प्रकार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 53 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक है।
शास्त्रों के अनुसार, कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें धनतेरस के दिन खरीदने से परहेज करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार, धनतेरस के दिन लोहे की वस्तुएं घर लाना शुभ नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन लोहे से बनी कोई भी वस्तु यदि आप घर लाते हैं, तो घर में दुर्भाग्य का प्रवेश हो जाता है और ये शुभ फल नहीं देता है। धनतेरस के दिन एल्युमिनियम या स्टील की वस्तुएं भी न खरीदें। मान्यता है कि स्टील या एल्युमिनियम के बने बर्तन या अन्य कोई सामान खरीदने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और घर में दरिद्रता का वास होता है। कहा जाता है कि एल्युमिनियम पर राहु का प्रभाव होता है, इसलिए इसे दुर्भाग्य का सूचक भी माना जाता है। धनतेरस के दिन प्लास्टिक की वस्तुएं खरीदना अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, यदि आप धनतेरस के दिन घर में कोई भी प्लास्टिक की चीज लेकर आएंगे तो इससे धन के स्थायित्व और बरकत में कमी आ सकती है।मान्यता है कि धनतेरस के शुभ अवसर पर शीशे या कांच की बनी चीजें भी बिल्कुल नहीं खरीदनी चाहिए। शीशे या कांच का सीधा संबंध राहु से होता है। यदि घर में राहु प्रवेश कर जाए तो इससे घर में गरीबी आती है। ज्योतिष के अनुसार, धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी या बोन चाइना से बनी कोई भी वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए। ये चीजें घर में आने वाली बरकत में बाधा डालती हैं। (हिफी)