कृषि कानूनों का विरोध आंदोलन नहीं बल्कि, वैचारिक क्रांति - टिकैत
इंद्री मंडी। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन किसानों का विरोध नही बल्कि वैचारिक क्रांति है। सरकार को देर-सवेर नये कृषि कानूनों को वापिस लेना ही पडेगा। तभी राजधानी के बाॅर्डरों पर धरना प्रदर्शन कर रहे किसान अपने घर लौटेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में सोमवार को हरियाणा के इंद्री अनाज मंडी में आयोजित किसान मंहा पंचायत में शामिल होने के लिए प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के साथ किसानों को जागरूक करने पहुंचे भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। महापंचायत को संबोधित करने के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत, प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी और बलबीर राजेवाल समेत बड़े किसान नेता पहुंचे हैं।
सोमवार को महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर बरसते हुए कहा कि कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन नहीं बल्कि, किसानो के बीच वैचारिक क्रांति शुरू हुई है। विचारों से शुरू हुई यह क्रांति अब विचारों से ही खत्म होगी। उन्होंने कहा कि सरकार यदि वास्तविक रूप से कृषि कानूनों के विरोध मेें चल रहे आंदोलन के मामले को सुलझाना चाहती है तो वह अपना नंबर दे, हमारे नेता सरकार के साथ बात कर लेंगे।
किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत ने किसानो को जागरूक करते हुए कहा कि जब एमएसपी पर कानून बनेगा तो पूरे देश के किसानों को इसका लाभ होगा। केंद्र सरकार को तीनों कानून वापस लेने चाहिए। महा पंचायत को संबोधित करते हुए गुरनाम सिंह चढूनी ने दावा किया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर राजधानी दिल्ली में हुए घटनाक्रम के बाद किसान आंदोलन और अधिक मजबूत हुआ है। उन्होंने हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला पर जनता से गद्दारी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कुर्सी खरीदी है। वह सत्ता के लालच में ही इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वह अपने अधिकारों के प्रति पूरी तरह से जागरूक होकर सावधानी बरतते हुए आंदोलन में अपनी भागीदारी कर किसानों की एकजुटता में अपना योगदान दे।