जबरदस्त बारिश से जन-जीवन हुआ अस्त-व्यस्त
झांसी। उत्तर प्रदेश के पानी की एक एक बूंद के लिए तरसने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में हुई मानसून की पहली ही बरसात ऐसी मूसलाधार हुई कि कई जिले पानी पानी हो गये और बाढ़ के हालात पैदा हो गये। बाद में बारिश की रफ्तार धीमी पड़ने और कहीं कहीं थमने से अब स्थिति नियंत्रण में तो आ गयी है लेकिन जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है।
झांसी जिले के जललेखा अधिकारी आशीष पाठक ने बुधवार को बताया कि शनिवार शाम से शुरू हुई मूसलाधार बरसात 24 घंटे से भी अधिक समय पर जारी रहने से माताटीला बांध लबालब हो गया और अतिरिक्त पानी छोड़ा गया जिससे सुकुमा ढुकुमा और पारीछा बांध ओवरफ्लो हो गये। इससे बेतवा नदी के तटवर्ती इलाकों के गांवों में अलर्ट घोषित कर दिया गया। भारी बारिश के कारण सिंध नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और इस कारण झांसी -ग्वालियर मार्ग पर यातायात रोक दिया गया है। सिंध नदी के रौद्र प्रवाह में इस क्षेत्र की प्रसिद्ध रतनगढ माता मंदिर की ओर जाने वाला पुल भी बह गया है।
कुछ इसी तरह के हालात जालौन जनपद में भी देखने को मिल रहे हैं। यहां यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से कई गांव का तहसील कालपी तहसील मुख्यालय से संपर्क टूट गया है वही बेतवा नदी में जलस्तर घटने से क्षेत्री लोगों ने राहत महसूस की। केंद्रीय जल आयोग कार्यालय कालपी प्रभारी रूपेश ने बताया यमुना का जलस्तर बुधवार को समाचार लिखे जाने तक खतरे के निशान से मात्र 20 सेंटीमीटर नीचे रह गया विगत 3 दिनों में यमुना नदी का जलस्तर लगभग 7 मीटर बढ़ गया है यमुना नदी की बाढ़ से देवकली हीरापुर मेनू पुर उरकरा पड़री सहित दर्जनभर से अधिक ग्राम पंचायतों का संपर्क जिला मुख्यालय एवं तहसील मुख्यालय से टूटता जा रहा है ।
ललितपुर जिले में पिछले चार दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के चलते नदी नाले उफान पर हैं। वहीं मध्य प्रदेश के भोपाल, अशोक नगर, शिवपुरी व यूपी के ललितपुर में हो रही बारिश के चलते तालबेहट स्थित उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर बने माताटीला बांध का जलस्तर बढ़ जाने के चलते 20 गेट, 4-4 फुट खोलकर पानी की निकासी की जा चुकी है। सिंचाई विभाग के अवर अभियन्ता बलराम ने बताया कि बांध से डेढ़ लाख क्यूसिक से अधिक पानी छोड़ा गया है व अब गेट बंद कर दिए गए हैं। वहीं सुकवां ढुकवां बांध के पानी से लबालब भर जाने के चलते पानी बांध के ऊपर से जा रहा हैं। ग्राम रामपुर में स्थित शहजाद बांध में पानी की भारी आवक के चलते 3 तीन गेट 9-9 फुट खोलकर पानी छोड़ा जा रहा हैं। इसके अलावा जिले के राजघाट बांध, गोविंद सागर बांध, रोहिणी व सजनाम आदि बांधों का भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा हैं।
ललितपुर स्थित गोविंद सागर बांध का जल स्तर बढ़कर लगभग 86 फुट के फुट से अधिक हो गया है व साइफन खुलने के आसार बढ़ गए हैं। भारी बारिश के चलते ग्रामीण इलाके जलमग्न हो गए है व गरीबों के कच्चे आशियाने ढहने लगे है। तालबेहट नगर में स्थित मानसरोवर के लबालब भरने से ओने के पुल से पानी की जबरदस्त निकासी हो रही है, जिसके चलते पुराना पेट्रोल पम्प रोड, सरफयाना मुहल्ले के दर्जनों घरों में पानी भर जाने से दर्जनों परिवार घर छोड़कर आसपास के सुरक्षित स्थानों में चले गए हैं। ग्राम कडे़सराकलाँ, खांदी, कडे़सरा बाँसी, पूराकलां, पूरा विरधा, कन्धारी आदि गांव में कई कई ग्राम जलमग्न हो गए है।
महोबा जिले में भी मूसलाधार बारिश के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया और जिले के छोटे बड़े तालाब लबालब हो गये । जिले में कोई नदी नहीं होने के कारण बाढ़ के खतरे जैसी तो कोई बात नहीं लेकिन बड़े बड़े तालाबों के भी लबालब होने से पानी की विकट समस्या का काफी हद तक समाधान हो गया है।
बांदा जिले में पिछले एक पखवारे से अधिक समय से हो रही मूसलाधार अनवरत वर्षा के कारण इस वर्ष दलहन, तिलहन, ज्वार, बाजरा व सब्जी सहित सभी खरीफ की फसलें नष्ट हो गई और अब इसवर्ष खरीफ की फसलों की उम्मीद यहां समाप्त हो गयी। फिलहाल किसान वर्षा रुकने और जलमग्न खेतों के सूखने की प्रतीक्षा में है जिससे वह अगली फसलों की तैयारी कर सकें। कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ दिनेश पाह के अनुसार जुलाई माह में 329 मिलीमीटर वर्षा हुई है जबकि गत वर्ष 262 मिलीमीटर वर्षा हुई थी। इस वर्ष विलम्ब से जुलाई के तीसरे और चौथे सप्ताह से शुरू अनवरत घनघोर वर्षा होने से धान की बेड़े लगाने का कार्य भी प्रभावित हुआ।
कृषि विभाग के अनुसार आषाढ़ के महीने में सूखे की स्थिति बनी रही। वर्षा के अभाव में या तो खरीफ की फसलें बोई नहीं जा सकीं और यदि जहां कहीं बोई गई, वह भी सावन के महीने में लगातार दो सप्ताह से हो रही वर्षा में खेत जलमग्न होने से सड़ गई। बीते दो सप्ताह से अधिक समय से हो रही अनवरत भीषण वर्षा के कारण यहां जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। विद्युत संचार व यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई। तिंदवारी थाना की बेंदाघाट की निकट बांदा-- फतेहपुर राष्ट्रीय मार्ग का अत्यधिक बड़ा भाग वर्षा में बह जाने से 2 दिन पूर्व लगभग 40 घंटे तक बांदा- फतेहपुर रायबरेली मार्ग का यातायात बाधित हुआ। इसके अतिरिक्त दर्जनों संपर्क मार्ग भीषण वर्षा से क्षतिग्रस्त हो गए। शहर , कस्बों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में जलप्लावन की स्थिति आवागमन प्रभावित है। जहां दर्जनों की संख्या में मकान धराशाई हो गए वहीं सैकड़ों पेड़ पौधे नष्ट भी हुए। लेकिन इस जबरदस्त वर्षा के कारण जहां भीषण गर्मी से लोगों ने राहत महसूस की। वही जिले के कुएं, गड्ढे, तालाब और पोखर आदि पानी से लबालब हो गए और कुओं व भू- गर्भ के जल स्तर में वृद्धि हो रही है
चित्रकूट जनपद में दो दिन पूर्व हुई भारी बारिश के कारण मंदाकिनी नदी का जलस्तर काफी ऊपर आ गया था लेकिन उसके बाद बारिश कम होने या थमने से जलस्तर में कमी आयी है और किसानों तथा लोगों ने राहत की सांस ली है। हमीरपुर में मौदहा क्षेत्र में बहने वाली चंद्रावल नदी दो दिन पहले हुई भारी बारिश के कारण उफान पर आ गयी थी और रपटे से पानी बहने के कारण यातायात प्रभावित हुआ था । कई स्थानों पर मकान गिरने और बड़े पैमाने पर बिजली के खंभे गिरने और ट्रांसफार्मर आदि को नुकसान पहुंचने का खमियाजा बिजली विभाग और लोगों को उठाना पड़ा । कई इलाकों में बिजली लंबे समय तक गायब रही लेकिन अब बारिश थमने के बाद हालात नियंत्रण में आ गये हैं।
वार्ता