डर या समझदारी: दो संगठनों ने किसान आंदोलन से झाड़ा पल्ला

डर या समझदारी: दो संगठनों ने किसान आंदोलन से झाड़ा पल्ला

नई दिल्ली। राजधानी में दो माह से आंदोलन कर रहे किसानों के साथ शामिल दो किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस पर हुए उपद्रव के बाद अब केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन से अपना नाम वापस ले लिया है।

बुधवार को आंदोलन से खुद को अलग करने वालों में पहला नाम किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंह का है, और दूसरे भारतीय किसान यूनियन भानू गुट के अध्यक्ष भानुप्रताप का नाम शामिल है। राजधानी में हुई प्रेसवार्ता में पत्रकारों से बातचीत के दौराप राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पर आरोप लगाते हुए कहा कि टिकैत अलग रास्ते से जाना चाहते थे। आंदोलन से अपना नाम वापस लेते हुए सरदान वीएम सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने किसानों को भड़काया है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि आंदोलन खत्म करने का फैसला राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ का है न की ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी का।


सरदार वीएम सिंह ने कहा, "हिंदुस्तान का झंडा सभी देशवासियों की गरिमा और मर्यादा है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है तो भंग करने वाले तो गलत हैं ही, साथ ही जिन्होंने गरिमा और मर्यादा को भंग करने दिया वो भी गलत हैं। आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया। शहीद हुए किसान को जो भी व्यक्ति लेकर गया या जिसने उकसाया, उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।"

सरदार वीएम सिंह ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत केंद्र सरकार के साथ बैठक करने के लिए गए थे, उन्होंने बैठक में गन्ना किसानों के मुद्दों पर बात क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत ने सरकार के साथ क्या बात की है उसका पता नहीं। उन्होंने कहा कि जब हम सिर्फ उन्हें सपोर्ट देते रहे तो वहाँ कोई नेता बनता रहा। उधर 72 वें गणतंत्र दिवस पर राजधानी में हुई ट्रैक्टर के दौरान हिंसा से आहत होकर भारतीय किसान यूनियन भानु गुट ने भी किसान आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है। संगठन के सुप्रीमों भानु प्रताप सिंह ने प्रेसवार्ता में कहा कि जो राजधानी में हुई हिंसा के आरोपी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।


उन्होंने चिल्ला बॉर्डर से अपना धरना खत्म करने की घोषणा की। भाकियू भानु के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने कहा कि मंगलवार को राजधानी दिल्ली में जो कुछ भी हुआ है। उससे वह बहुत ही आहत हैं और 58 दिनों के विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को वापिस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले 63 दिनोेें से किसानों का जारी है। प्रेस वार्ता के दौरान भाकियू भानु सुप्रीमों ने कहा कि केंद्र सरकार वैसे भी डेढ़ साल तक के लिए कृषि कानून लागू करने वाली नही है। निश्चित ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें बातचीत का मौका देंगे। लेकिन फिलहाल वह किसान आंदोलन से अपना वापस ले रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों ने आंदोलन के नाम पर माहौल गंदा कर दिया है। उधर नोएडा के एडीसीपी रणविजय सिंह ने कहा है कि भारतीय किसान यूनियन भानु ने चिल्ला बार्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन खत्म कर दिया है। किसानों के प्रदर्शन के कारण जो यातायात बाधित हो रहा था, अब हम उसे सुचारू रूप से चलाने को प्रयास कर रहे है।कि कुछ लोगों ने आंदोलन के नाम पर माहौल गंदा कर दिया है।







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